भारतीय बैंकों ने वित्त वर्ष 24 में 15 प्रतिशत ऋण वृद्धि दर्ज की
Indian Bank: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) लेन-देन में पर्याप्त वृद्धि हुई, जो वित्त वर्ष 24 में 57 प्रतिशत सालाना वृद्धि है। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) बैंकिंग सेक्टर राउंडअप- वित्त वर्ष 24 के अनुसार, इस सेगमेंट में फोनपे और गूगल पे का दबदबा रहा, जिनकी संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 86 प्रतिशत रही।
डिजिटल भुगतान में दिखा बदलाव
डिजिटल भुगतान में बदलाव देखा गया, पिछले तीन वर्षों में क्रेडिट कार्ड लेन-देन दोगुना हो गया। इसके विपरीत, डेबिट कार्ड लेन-देन में साल-दर-साल (YoY) 43 प्रतिशत की गिरावट आई। कुल मिलाकर भारतीय बैंकिंग प्रणाली ने ऋण वृद्धि में मजबूत गति बनाए रखी, जो वित्त वर्ष 24 में 13 प्रतिशत की जमा वृद्धि के साथ 15 प्रतिशत बढ़ी। पहली बार, बैंकिंग क्षेत्र का कुल शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 24 में 3 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया, जिसमें सभी बैंक समूहों ने 1 प्रतिशत से अधिक की संपत्ति पर रिटर्न (आरओए) हासिल किया। यह उच्च ऋण वृद्धि, स्वस्थ शुल्क आय वृद्धि और कम ऋण लागतों द्वारा संचालित क्षेत्र की लाभप्रदता को रेखांकित करता है।
शुद्ध लाभ में 34 प्रतिशत की वृद्धि
विशेष रूप से, निजी बैंकों के मुनाफे में साल-दर-साल (YoY) 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) के शुद्ध लाभ में 34 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
रिपोर्ट में परिसंपत्ति की गुणवत्ता में सुधार पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (GNPA) 2.8 प्रतिशत के दशक के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। यह सुधार एक स्वस्थ प्रावधान कवरेज अनुपात (PCR) द्वारा समर्थित है, जो दर्शाता है कि बैंक परिसंपत्ति-पक्ष जोखिमों का प्रबंधन करने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं। PSB ने अपने GNPA को आधा करके 3.5 प्रतिशत कर दिया, जबकि निजी बैंकों ने उद्योग के औसत से नीचे 1.7 प्रतिशत GNPA की सूचना दी। वित्त वर्ष 2024 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर सभी अनुमानों से अधिक रही, जो कि सालाना आधार पर 8.2 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 2025 के लिए पूर्वानुमान सालाना आधार पर 6.2 प्रतिशत और 7 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है।
(Input From ANI)
नोट – इस खबर में दी गयी जानकारी निवेश के लिए सलाह नहीं है। ये सिर्फ मार्किट के ट्रेंड और एक्सपर्ट्स के बारे में दी गयी जानकारी है। कृपया निवेश से पहले अपनी सूझबूझ और समझदारी का इस्तेमाल जरूर करें। इसमें प्रकाशित सामग्री की जिम्मेदारी संस्थान की नहीं है।
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