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जिंदल ग्रुप : जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (JSPL) और जिंदल रिन्यूएबल्स ने सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में निवेश के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदारी की घोषणा की। यह एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) देश की स्टील इंडस्ट्री में डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगा।
जिंदल स्टील की योजना अपने अंगुल स्थित डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में ग्रीन हाइड्रोजन को एकीकृत करने की है। पहले चरण में, जिंदल रिन्यूएबल्स 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित करेगा, जिसका संचालन दिसंबर 2025 तक शुरू किया जाएगा। इस परियोजना के तहत, प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी होगी, जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, जिंदल रिन्यूएबल्स जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की आपूर्ति करेगा। इस कदम का उद्देश्य अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक कम करना है। संजय सिंह, जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक, ने कहा, हम ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन के एकीकरण से न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारतीय स्टील इंडस्ट्री के लिए नए मानक स्थापित कर रहे हैं। यह साझेदारी हमारी सतत विकास और नवाचार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
इस करार के अंतर्गत, जिंदल स्टील आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर और समर्थन प्रदान करेगा, जबकि जिंदल रिन्यूएबल्स ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और संचालन की जिम्मेदारी संभालेगा। यह साझेदारी ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में कमी लाने के साथ-साथ अगले 25 वर्षों के लिए एक स्थिर और सतत बिजनेस मॉडल सुनिश्चित करेगी।
जिंदल स्टील अपनी वैश्विक उपस्थिति के साथ 12 अरब डॉलर के निवेश के माध्यम से अपनी क्षमता और संचालन को लगातार किफायती बनाने की दिशा में काम कर रहा है। साथ ही, भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जिंदल रिन्यूएबल्स का लक्ष्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है, और वर्तमान में वह 3 गीगावाट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है। कंपनी 2030 तक 12 गीगावाट से अधिक की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखती है।