नेपाल 100 रुपये के नोट छापेगा भारतीय क्षेत्रों का नक्शा, कैबिनेट बैठक में लिया फैसला
Nepal Currency: नेपाल ने एख बड़ा फैसला लिया है बता दें, 100 रुपये के नोट पर भारतीय क्षेत्रों वाला नक्शा छापेगा नेपाल। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इसका फैसला लिया गया है। इसमें भारत के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को नेपाल का हिस्सा दिखाया जाएगा। 2020 में नेपाल ने इन हिस्सों को एकतरफा रूप से अपना घोषित कर दिया था।
Highlights
- नेपाल ने किया बड़ा ऐलान
- अपने 100 रुपये के नोट पर छापेगा नया नक्शा
- भारतीय क्षेत्रों का नक्शे छापे
नोट पर छापेगा रतीय क्षेत्रों का नक्शा
नेपाल ने अपने 100 रुपये के नए नोट पर भारतीय क्षेत्र-लिपुलेख ¨लपियाधुरा और कालापानी को शामिल कर बनाया नेपाली मानचित्र छापेगा। उत्तराखंड के इस हिस्से को नेपाल भारत द्वारा कृत्रिम रूप से विस्तारित क्षेत्र बताता है। प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में 100 रुपये के नए नोट पर नेपाल का नया नक्शा छापने का निर्णय लिया गया है। इसी नए नक्शे में तीन भारतीय क्षेत्रों को नेपाल में शामिल दिखाया गया है। यह जानकारी सरकार की प्रवक्ता रेखा शर्मा ने दी है।
नेपाल के संविधान में भी संशोधन किया गया
उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने नोट की पृष्ठभूमि पर छपे नेपाल के पुराने नक्शे के स्थान पर नया नक्शा दर्शाए जाने का निर्णय 25 अप्रैल और दो मई को हुई बैठकों में लिया। इससे पहले 18 जून, 2020 को नेपाल ने अपने राजनीतिक मानचित्र में लिपुलेख, कालापानी और ¨लपियाधुरा को शामिल कर लिया था। इसके लिए नेपाल के संविधान में भी संशोधन किया गया था।
भारत ने जताई आपत्ति
भारत ने नेपाल के इस कृत्य पर कड़ी आपत्ति जताई थी और इसे नेपाल का एकतरफा विस्तारवादी कदम करार दिया था। चीन और नेपाल के नजदीक के ये क्षेत्र हमेशा से भारत का हिस्सा हैं। भारत ने सीमा क्षेत्र में आधारभूत ढांचा विकसित करने के अभियान के तहत जब इस क्षेत्र में सड़क का निर्माण कराया तभी नेपाल की चीन समर्थक केपी शर्मा ओली सरकार ने आपत्ति जताते हुए उसे नेपाली भूमि बताना शुरू कर दिया था।
मामले को राष्ट्रीय अस्मिता से जोड़ने के ओली सरकार के बयानों का नेपाल का विपक्ष भी विरोध नहीं कर सका और संसद की स्वीकृति लेकर तीनों क्षेत्रों को सरकार ने नेपाल के राजनीतिक मानचित्र में शामिल करा दिया। विदित हो कि भारत और नेपाल पांच राज्यों से लगने वाली 1,850 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा साझा करते हैं।
नोट – इस खबर में दी गयी जानकारी निवेश के लिए सलाह नहीं है। ये सिर्फ मार्किट के ट्रेंड और एक्सपर्ट्स के बारे में दी गयी जानकारी है। कृपया निवेश से पहले अपनी सूझबूझ और समझदारी का इस्तेमाल जरूर करें। इसमें प्रकाशित सामग्री की जिम्मेदारी संस्थान की नहीं है।
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