सोनिया की चाय कैप्टन को भाय
हरियाणा, महाराष्ट्र व दिल्ली में मिली लगातार पराजयों से न सिर्फ कांग्रेस शीर्ष…
ये लम्हें उकडंू़ बैठे हैं कब से मुंडेर पर अपने पंख फैलाए उड़ने को हैं एकदम तैयार
अपनी चोंच में दबाए िरश्तों की अनसुलझी
डोर कुछ, कुछ तेरी हां, तो कुछ इंकार
हरियाणा, महाराष्ट्र व दिल्ली में मिली लगातार पराजयों से न सिर्फ कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के हौसले पस्त हुए हैं, बल्कि उनकी चुनावी रणनीतियां भी मौके-बेमौके बेपर्दा हुई हैं। अब न सिर्फ क्षत्रपों पर से उनका भरोसा डगमगाया है, बल्कि अब राज्यों में सामूहिक नेतृत्व की दुहाई दी जाने लगी है। सो, बिहार, पंजाब, केरल व असम के आने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस शीर्ष अपना हर कदम बेहद फूंक-फूंक कर रखना चाहता है।
पिछले दिनों बातों ही बातों में हिमाचल के एक पुराने कांग्रेसी नेता राजा विजयेंद्र सिंह नालागढ़ ने राज्य के सीएम सुक्खू से चर्चा करते हुए कहा कि ‘अब चूंकि पंजाब में चुनाव आने वाले हैं और वहां आज भी कैप्टन अमरिंदर सिंह की कुछ धमक बरकरार है तो कांग्रेस क्यों नहीं उन्हें ‘अप्रोच’ करती, वैसे भी भाजपा में जाने का उन्हें कोई खास लाभ भी नहीं हुआ है, भगवा पार्टी ने उन्हें गवर्नर बनाने का वादा किया था, पर उस पर आज तक तामील नहीं हो पाई।’ राजा विजयेंद्र की वैसे भी कैप्टन के परिवार से िरश्तेदारी है। सो, हिमाचल के कांग्रेसी सीएम सुक्खू ने राजा नालागढ़ का यह संदेश दिल्ली पहुंचा दिया।
सूत्रों की मानें तो इसके बाद 10 जनपथ यानी सोनिया गांधी के ऑफिस से कैप्टन अमरिंदर को चाय पर न्यौता प्राप्त हुआ। वैसे भी कैप्टन राजीव गांधी के दून स्कूल के मित्रों में शुमार होते हैं, इस नाते भी सोनिया से उनके बेहद पारिवारिक िरश्ते हैं। कहते हैं कोई दस दिन पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह सोनिया के बुलावे पर नई दिल्ली स्थित 10 जनपथ पहुंचे, जहां दोनों नेताओं के बीच एक आत्मीय माहौल में लंबी बातचीत हुई।
कैप्टन ने बातचीत की शुरूआत में ही स्पष्ट कर दिया कि ‘उनके कांग्रेस में वापिस लौटने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता, क्योंकि उन्होंने जरा भी इस ओर अपने कदम बढ़ाए तो केंद्रीय जांच एजेंसियां उन पर भूखे शेरों सा टूट पड़ेगी।’ सो, कैप्टन ने सोनिया को आश्वस्त किया कि ‘आने वाले पंजाब चुनाव में वे भीतरखाने से कांग्रेस की पूरी मदद करेंगे, बशर्ते कांग्रेस उनकी पुत्री इंदर कौर को पटियाला शहर से विधानसभा का चुनाव लड़वा दे, उनकी पत्नी परणीत कौर भी कांग्रेस के टिकट पर 2029 का लोकसभा चुनाव लड़ लेंगी।’ कहते हैं सोनिया ने कैप्टन के इस प्रस्ताव को सहज़ स्वीकार करते हुए कहा कि ‘आप अपनी बेटी से बोलो कि एक बार वे राहुल से आकर मिल लें।’ सो, पंजाब में नए समीकरणों के बयार अभी से दिखने लगे हैं।
बिहार में फीके पड़ रहे हैं पीके
चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांंत किशोर ने ‘बिहार बदलाव रैली’ के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा रखा था, संगठन क्षमता, पैसा, मीडिया पॉवर यानी सब कुछ। उनका मानना था कि ‘यह रैली भीड़ व संख्या के लिहाज से एक नई मिसाल कायम करेगी, उनका दावा था कि उनकी रैली में 5 लाख लोग जुटेंगे।’ भीड़ के लिए खाने-पीने का इंतजाम भी उसी तर्ज पर किया गया था, 80 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से छोले चावल का इंतजाम था और कहते हैं इस मद में 4 करोड़ रुपयों काे रिजर्व रखा गया था। गांधी मैदान में कुर्सियां भी उसी हिसाब से लगाई गई थीं, पर जब तीन बजे तक महज कुछ हजार लोग ही जुट पाए तो आयोजकों ने धीरे-धीरे पीछे से कुर्सियां समेटनी शुरू कर दी।
इसके घंटे-डेढ़ घंटे बाद पीके वहां पहुंचे, बोले-प्रशासन उन्हें यहां आने नहीं दे रहा था इसीलिए आने में देर हो गई… इस रैली में मौजूद कुछ महिलाओं के वीडियो भी वायरल हो गए, जिनमें वे कहती नज़र आ रही हैं -हम तो मुखिया जी के साथ आए हैं, दो हजार रुपया मिला है, चुनाव में सोने का चेन देने का वादा भी हुआ है। पर उनके नेता प्रशांत किशोर कौन हैं इस बारे में ये महिलाएं अनभिज्ञ थीं।
दरअसल,पीके की योजना अपनी ‘जनसुराज पार्टी’ के माध्यम से मुस्लिम व पिछड़ा वोट बैंक में सेंध लगाने की है जिससे जाने-अनजाने राज्य में राजद-कांग्रेस की कब्र खोदी जा सके और भाजपा को इसका फायदा दिलवाया जा सके। पर अब तक बात बनती नज़र नहीं आ रही। कहते हैं पीके की पार्टी के चुनावी प्रदर्शन को आंकने के लिए भाजपा ने भी अपना जमीनी सर्वेक्षण करवाया है, सूत्र बताते हैं कि भाजपा के अपने सर्वे में पीके की पार्टी को 2 प्रतिशत से भी कम वोट प्राप्त होने का दावा हुआ है। सो, माना जाता है कि फिलवक्त पीके को उपकृत करने के धन-संसाधन पर से भाजपा ने अपना हाथ फिलवक्त वापिस खींच लिए हैं।
लगता है पीके को भी हालात का कुछ अंदेशा हो गया है सो, रैली के फौरन बाद पटना प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने दबी जुबान से कह ही डाला ‘मेरे लिए यह 2025 का चुनाव उतना महत्वपूर्ण नहीं है, सच पूछिए तो मैं 2030 के चुनाव के लिए अभी से जमीन तैयार कर रहा हूं।’
भाजपा का नया अध्यक्ष कब तक?
भाजपा के नए अध्यक्ष को लेकर सस्पेंस अब भी बरकरार है। पर सूत्र बताते हैं कि मोदी और संघ के दरम्यान हुई हालिया बातचीत में मोटे तौर पर संघ के पुराने प्रचारक रहे मनोहर लाल खट्टर के नाम पर एक सहमति बन गई है। हो सकता है आने वाले 15 अप्रैल तक खट्टर के नाम का ऐलान भी हो जाए। सूत्र बताते हैं कि भाजपा ने पूरे देश को राज्य व केंद्रशासित प्रदेश मिला कर अपने प्रदेश अध्यक्षों के लिए 36 प्रांत चिन्हित कर रखे हैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले कम से कम 17 प्रदेशों को उनका अध्यक्ष मिल जाना चाहिए।
आज की तारीख में भाजपा ने 15 प्रदेशों में अपने नए अध्यक्ष का चुनाव कर लिया है। सो, तमिलनाडु के बाद अब आने वाले कुछ दिनों कुछ अन्य प्रदेशों के नए अध्यक्षों का ऐलान भी मुमकिन है। आने वाले 18 अप्रैल से बेंगलुरु में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आहूत है, कयास है इस बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर सहमति की आखिरी मुहर भी लग जानी है।
अन्ना को मलाई खाने से ऐसे रोका
आखिरकार भारी मशक्कत के बाद तमिलनाडु में भाजपा ने अन्नामलई की जगह अन्नाद्रमुक से आए नयनार नागेन्द्रन को अपना नया अध्यक्ष घोषित कर दिया है, साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि ‘तमिलनाडु का अगला चुनाव भाजपा के. पलानीस्वामी की अन्नाद्रमुक के साथ मिल कर लड़ेगी वह भी बतौर जूनियर पार्टनर।’
दरअसल भाजपा के तमिलनाडु अध्यक्ष अन्नामलई का एक टेप भाजपा के एक बड़े नेता के हाथ लग गया था, जिसमें वे तमिलनाडु के एक सीनियर पत्रकार से कह रहे हैं कि ‘भाजपा का यहां क्या है? मैं अपनी नई पार्टी लांच करने की सोच रहा हूं, तमिलनाडु में जो भी हिंदुत्व के साथ है उन्हें मैं अपनी पार्टी में साथ ले आऊंगा। मैंने यहां भाजपा के जितने भी जिलाध्यक्ष बनाए हैं, वे भी मेरे साथ आ जाएंगे।’ इस टेप के बाद उक्त बड़े नेता ने फौरन अन्नामलई को तलब कर उनसे दो टूक कहा-‘आपके खिलाफ हमारे पास जितने मामले हैं कि उनसे निपटने में आपकी पूरी जिंदगी निकल जाएगी, पर अभी हम आपके खिलाफ कोई एक्शन सिर्फ इसीलिए नहीं ले रहे हैं कि आपने पार्टी की बहुत सेवा की है, सो कृपा कर आप शांत बैठ जाइए और हमें भी शांत रहने दें।’ अन्नामलई को काटो तो खून नहीं, महीना गुजर गया, पर उनसे कुछ बोलते नहीं बन रहा। इसके बाद ही भाजपा ने संघ की आपत्तियों को दरकिनार करते बतौर नए पार्टी चीफ नागेन्द्रन के नाम का ऐलान कर दिया।
…और अंत में
पिछले दिनों जयपुर एयरपोर्ट पर भाजपा की महारानी वसुंधरा राजे सिंधिया और कांग्रेस नेता भंवर जितेंद्र सिंह की आमने-सामने की मुलाकात हो गई। प्रारंभिक िशष्टाचार के आदान-प्रदान के बाद ये दोनों नेता वीआईपी लाऊंज में साथ चाय पीने को चले गए। चाय पीने के बाद जब ये नेतागण एयरपोर्ट से साथ बाहर निकले तो पत्रकारों ने इन दोनों को घेर लिया, ज्यादातर सवाल जितेंद्र सिंह से मुखातिब थे ‘आपको पार्टी ने न तो राज्यसभा दी और न ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया, क्या अब भाजपा में जाने की सोच रहे हैं?’ इस पर भंवर ने पलटवार करते हुए पत्रकारों से कहा, ‘जनाब यही सवाल तो आप वसुंधरा जी से भी पूछ सकते हैं?’ इसके बाद दोनों नेता मुस्कुराते हुए वहां से चलते बने।