कैप्टन ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की नीयत पर उठाए सवाल, श्री करतारपुर लांघा खोलना हो सकता है ISI का एजेंडा
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने एक बार फिर लांघा खोले जाने के मुददे पर पड़ोसी मुलक की नीयत पर सवाल उठाते कहा कि देश के अन्य सिखों की भांति वह भी गुरूद्वारा श्री करतारपुर साहिब में नतमस्तक होने की सोचने पर खुश है
04:19 PM Nov 03, 2019 IST | Shera Rajput
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लुधियाना : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने एक बार फिर लांघा खोले जाने के मुददे पर पड़ोसी मुल्क की नीयत पर सवाल उठाते कहा कि देश के अन्य सिखों की भांति वह भी गुरूद्वारा श्री करतारपुर साहिब में नतमस्तक होने की सोचने पर खुश है लेकिन उन्हें पड़ोसी मुलक पाकिस्तान के हुकमरानों पर अभी भी आशंका है कि लांघा को खोलने का आईएसआई का आप्रेशन सीक्रेट हो सकता है, जिसका उददेश्य आने वाले दिनों में रेफरेंडम 2020 के लिए सिख समाज को प्रभावित करके लाभ लिया जा सकें।
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मुख्यमंत्री ने एक वैब चैनल से बातचीत करते हुए यह भी कहा कि पाकिस्तान द्वारा कॉरिडोर व गुरु नानक के नाम पर यूनिवर्सिटी शुरू करने जैसे फैसलों पर भारत को सतर्क रहने की जरूरत है। इनके पीछे छिपे एजेंडे को भी ध्यान से परखने की जरूरत है। भारत को इस मामले में पाकिस्तान के सिर्फ चेहरे पर नहीं जाना चाहिए, सभी चीजों को समग्र तौर पर लेना चाहिए।
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स्मरण रहे कि 9 नवंबर को पाकिस्तान में करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान की ओर से किया जाना है। भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे और पहले जत्थे को रवाना करेंगे। इस जत्थे की अगुवाई कैप्टन अमरिंदर सिंह कर रहे हैं। जत्थे में सभी विधायक, सांसद, देश के कई गणमान्य व्यक्ति और पत्रकार शामिल रहेंगे।
कैप्टन ने गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव का राजनीतिकरण किए जाने पर अफसोस जताया है। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव का राजनीतिकरण करना तो गुरु नानक देव की विचारधारा के खिलाफ है। भारत को इस अवसर पर एकता के साथ खड़े होकर दुनिया के सामने आने की जरूरत है। राजनीतिक विरोधाभासों को त्यागकर पहले की तरह ही इस बार भी महोत्सव का आयोजन सरकार द्वारा ही किया जाना चाहिए।
कैप्टन ने कहा कि इस मौके पर सियासत को एक तरफ रखना चाहिए और इस महान समारोह का काम प्रदेश सरकार पर छोड़ देना चाहिए। ऐसा पहले भी होता रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाकी सिखों की तरह वह भी करतारपुर साहिब गुरुद्वारा में नतमस्तक होने के बारे में सोच कर काफी खुश हैं। यह हमारी अरदास में हमेशा रहा है।
– सुनीलराय कामरेड

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