जाति जनगणना को मिली मंजूरी: जानिए कैसे होती है गिनती और क्या सवाल पूछे जाते हैं
जाति जनगणना की प्रक्रिया और सवालों की पूरी जानकारी
मोदी सरकार ने जाति जनगणना को मंजूरी देते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यह जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड-19 के कारण स्थगित कर दी गई थी। अब इस प्रक्रिया में धर्म, वर्ग और अन्य सामाजिक-आर्थिक सवाल पूछे जाएंगे, जो सरकार की नीतियों को दिशा देने में सहायक होंगे।
जाति जनगणना को लेकर बड़ा फैसला सामने आया है। बुधवार को हुई CCPA (कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स) की बैठक में मोदी सरकार ने जातीय जनगणना को मंजूरी दे दी है। यह जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था। अब सरकार ने तय किया है कि मुख्य जनगणना प्रक्रिया के साथ ही जाति आधारित जानकारी भी जुटाई जाएगी। जनगणना के दौरान धर्म, वर्ग और संभवतः सम्प्रदाय से जुड़े सवाल भी पूछे जाएंगे। जनगणना केवल लोगों की गिनती भर नहीं होती, यह एक व्यापक प्रक्रिया होती है जिसमें देश के हर नागरिक से जुड़ी महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक जानकारी एकत्र की जाती है। यह जानकारी सरकार की नीतियों और योजनाओं को दिशा देने में अहम भूमिका निभाती है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जनगणना की प्रक्रिया कैसे होती है, कौन लोग इसे अंजाम देते हैं और आम नागरिकों से किस तरह के सवाल पूछे जाते हैं।
कैसे होती है जनगणना की प्रक्रिया?
जनगणना कराने के लिए सरकार प्रशिक्षित कर्मियों की नियुक्ति करती है जिन्हें “एन्यूमेरेटर” कहा जाता है। ये लोग क्षेत्र विशेष में जाकर घर-घर दस्तक देते हैं और निर्धारित प्रश्नों के उत्तर दर्ज करते हैं। इनके पास सरकारी पहचान पत्र होता है, जिसे आम नागरिक जरूरत पड़ने पर देख सकते हैं। जनगणना दो चरणों में होती है—पहला है हाउसिंग सेंसस जिसमें घर, बिजली, पानी, शौचालय, सम्पत्ति जैसे सवाल पूछे जाते हैं। दूसरा हिस्सा है नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR), जिसमें व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी दर्ज की जाती है।
कौन-कौन से सवाल पूछे जाते हैं?
एन्यूमेरेटर लोगों से करीब 29 सवाल पूछते हैं। इनमें शामिल हैं—नाम, लिंग, माता-पिता का नाम, जन्म तिथि, वैवाहिक स्थिति, स्थायी व वर्तमान पता, परिवार के मुखिया का नाम और उससे संबंध, शिक्षा स्तर, रोजगार, और अब जाति से जुड़ा प्रश्न भी जोड़ा जाएगा। चर्चा है कि इस बार सम्प्रदाय को लेकर भी सवाल हो सकते हैं।
डाटा कैसे तैयार होता है?
जनगणना में इकट्ठा किया गया डाटा किसी निजी एजेंसी के साथ साझा नहीं किया जाता। यह सारा डाटा फिल्टर कर के विभिन्न कैटेगरी में बांटा जाता है और फिर इसे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में जोड़ा जाता है। जनगणना अधिनियम 1948 के तहत यह सारी जानकारी गोपनीय रखी जाती है और सरकार द्वारा नीतियां बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
Caste Census: मोदी सरकार कराएगी जाति जनगणना: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव
भारत में जनगणना का इतिहास
भारत में पहली बार जनगणना 1872 में लॉर्ड मेयो के शासनकाल में शुरू हुई थी, लेकिन पूरी और संगठित जनगणना 1881 में हुई। इसके बाद से हर 10 साल में जनगणना होती रही है। आजादी के बाद पहली जनगणना 1951 में हुई थी और उसके बाद 1961, 1971, 1981, 1991, 2001 और 2011 में जनगणना कराई गई। 2021 की जनगणना कोविड के चलते रुकी रही, जिसे अब 2025 में अंजाम दिया जाएगा।