CBI: बैंक धोखाधड़ी मामले में 7 साल बाद आरोपी गिरफ्तार
मांड्या में Bank Fraud के एक बड़े मामले में Central Bureau of Investigation (CBI) को बड़ी सफलता मिली है। CBI ने सात साल से फरार चल रही आरोपी नसरीन ताज को गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी से लंबे समय से लापता आरोपी को पकड़ने में एजेंसी की तकनीकी और निगरानी क्षमता का प्रदर्शन भी देखने को मिला।
2009 में दर्ज हुआ था मामला, CBI
CBI ने 15 अप्रैल 2009 को Syndicate Bank, मांड्या शाखा के तत्कालीन Branch Manager असदुल्लाह खान और आठ अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और जालसाजी के आरोप में मामला दर्ज किया था। इन सभी पर Syndicate Bank को धोखा देने और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपये की ठगी करने का आरोप था।
जांच के मुताबिक, इन आरोपियों ने बैंक को कुल 12.63 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में फंसाया था। नसरीन ताज का नाम भी इसी साजिश में शामिल था। उसके पास आय का कोई वैध स्रोत नहीं था, फिर भी उसने अपने पति और अन्य आरोपियों के साथ मिलकर 1.2 करोड़ रुपये की Temporary Overdraft (TOD) सुविधा और 55 लाख रुपये का Agriculture Loan ले लिया।
CBI Arrests Proclaimed Offender in a high-value Bank Fraud Case
Advanced Tech Tools help identity and locate the accused absconding for nearly Seven Years pic.twitter.com/kPQfcd0jQS
— Central Bureau of Investigation (India) (@CBIHeadquarters) July 21, 2025
CBI, लोन का ग़लत इस्तेमाल
नियमानुसार Agriculture Loan का उपयोग कृषि विकास में होना था लेकिन नसरीन ताज और अन्य आरोपियों ने इसका इस्तेमाल अवैध तरीके से TOD का पुनर्भुगतान करने में किया। यह बैंक नियमों का खुला उल्लंघन था और एक बड़ा वित्तीय अपराध भी।
CBI ने जांच के बाद 12 अक्टूबर 2010 को चार्जशीट दाखिल की और नसरीन ताज को षड्यंत्रकारियों में शामिल किया।
2019 से लापता थी आरोपी
नसरीन ताज 2019 से फरार थी। कोर्ट ने उसके खिलाफ Non-Bailable Warrant (NBW) 30 अप्रैल 2019 से जारी किए। 27 नवंबर 2021 को Bengaluru की Special Court ने उसके खिलाफ संपत्ति कुर्की के आदेश भी जारी कर दिए थे। इस दौरान अन्य आरोपियों का ट्रायल चलता रहा, कुछ दोषी ठहराए गए और कुछ बरी कर दिए गए लेकिन नसरीन ताज का कोई सुराग नहीं मिला।
पहचान छिपाकर रह रही थी आरोपी
CBI की रिपोर्ट के मुताबिक नसरीन ताज ने जानबूझकर अपने पति, परिवार और सोशल नेटवर्क से सारे संबंध तोड़ लिए थे। वह बार-बार अपनी लोकेशन बदलती रही। उसने Salma नाम से Bengaluru में रहने लगी और स्थानीय लोगों से कम संवाद रखती थी। यहां तक कि अपने नियोक्ता और आस-पास के लोगों को भी उसने अपनी असली पहचान नहीं बताई।
डिजिटल ट्रैकिंग से मिली सफलता
CBI ने एडवांस्ड टेक्नोलॉजी और Digital Tracking की मदद से उसके डिजिटल footprint का विश्लेषण किया और लोकेशन का पता लगाया। सघन निगरानी के बाद एजेंसी ने Bengaluru में नसरीन ताज को ट्रेस किया और गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद उसे Bengaluru कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
तकनीक और जांच का बेहतरीन उदाहरण
यह गिरफ्तारी CBI की आधुनिक टेक्नोलॉजी आधारित निगरानी और निरंतर फील्ड जांच की मिसाल बनी है। यह मामला दर्शाता है कि किस तरह से नए टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म और जमीन पर मेहनत करने वाले जांच अधिकारी मिलकर लंबे समय से फरार अपराधियों को पकड़ने में कामयाब हो सकते हैं।
इस बैंक घोटाले में करीब 7 साल तक फरार रही नसरीन ताज की गिरफ्तारी ने एक बार फिर यह साबित किया कि कानून के शिकंजे से कोई अपराधी ज्यादा दिन तक बच नहीं सकता।
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने 11 जुलाई 2006 को हुए भीषण मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाकों के मामले में सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए 12 में से 11 आरोपियों को बरी कर दिया है। अपील प्रक्रिया के दौरान एक आरोपी की मृत्यु हो गई थी। यह फैसला 19 साल बाद आया है।
सबूत विशवास के लायक नहीं थे
हाई कोर्ट की विशेष पीठ ने फैसले में कहा है कि मामले में पेश किए गए सबूत विशवास के लायक नहीं थे। इतना ही नहीं कई गवाहों संदेह के घेरे में थी। कोर्ट ने यह भी स्वीकार किया कि आरोपियों से जबरदस्ती पूछताछ कर उनके बयान लिए गए, जो कानून मान्य नहीं है।