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युद्ध विराम, मोदी की समझदारी का सबूत !

जिस प्रकार से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धैर्य और सब्र-ओ-तह्ममुल को दर्शा…

10:20 AM May 13, 2025 IST | Firoj Bakht Ahmed

जिस प्रकार से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धैर्य और सब्र-ओ-तह्ममुल को दर्शा…

युद्ध विराम  मोदी की समझदारी का सबूत

जिस प्रकार से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धैर्य और सब्र-ओ-तह्ममुल को दर्शा कर विश्व शांति के रास्ते पर चलने के लिए पाकिस्तान द्वारा थोपी गई जंग में इस दुश्मन देश के गिड़गिड़ाने और अमेरिका के बीच में पड़ने पर युद्ध विराम किया है, वह प्रमाणित करता है कि उनकी सोच नेतन्याहू जैसी दहशतनाक नहीं है, जो कि पूर्ण विश्व और यहां तक कि अमेरिका द्वारा रोकने के बावजूद भी बमबारी नहीं रोक रहे, तो मोदी का नोबेल शांति पुरस्कार तो बनता ही है। आज पूर्ण विश्व नेतन्याहू पर लानत भेज रहा है कि न तो युद्ध विराम कर रहे हैं और अगर होता भी है, तो उन्होंने हर बार उसे तोड़ा है। आज अमेरिका भी उनसे कन्नी काट रहा है, क्योंकि उनकी नासमझी की हरकतों के कारण ट्रंप का इक़बाल कम हुआ है।

पड़ौसी आतंकवादी देश, पाकिस्तान को उसके द्वारा पहलगाम कांड का सटीक और इबरतनाक दंड तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बख़ूबी दे दिया है, जिसमें उसकी आतंक की फैक्ट्रियां नेस्तनाबूद हो चुकी हैं, जिस में उसकी कई अरब की हानि हुई है। जहां पूर्ण देश के समग्र राजनीतिक मन को उनकी प्रशंसा करनी चाहिए, देश के कुछ विपक्षी व वामपंथी, अपने को उनसे बड़ा देशभक्त साबित करने के लिए, बौरा रहे हैं कि जब पाकिस्तान को मिटाने का समय आया तो मोदी जी ने क़दम पीछे घसीट लिए।

टीवी बहसों में कुछ विपक्षी तो पाकिस्तान पर भारत का कब्ज़ा देखने को बहुत ही व्याकुल हैं। देश से प्यार का आडंबर करने वाले, दिखावा करने वाले ये उनकी जान को आ गए हैं कि जब भारत जीत की कगार पर था तो अमेरिका के दबाव में क्यों कदम खींच लिए। इसकी तुलना 1948 में पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा कश्मीर में जीतते, जीतते, युद्ध विराम को मान लेना और आधा कश्मीर खो देने से भी की जा रही है और 1965 में लाल बहादुर शास्त्री द्वारा भी लाहौर पर भारतीय सेना का कब्ज़ा होने के बाद भी, उसको पाकिस्तान को लौटा देने के साथ की जा रही है और भी इसी प्रकार की घटनाओं, जैसे, 1999 के कारगिल से इसको तोला जा रहा है, जो मोदी के साथ सरासर नाइंसाफी है।

ये चीन नवाज़ वामपंथी, कांग्रेसी और अन्य विपक्षी, देश के नए नवेले सिपाही बन संसद में चर्चा कर, विश्व में भारत का सर ऊंचा करने पर और नंबर एक रणनीतिज्ञ बन जाने ने बाद, राष्ट्र की साख पर बट्टा लगाना चाहते हैं। इनसे कोई पूछे कि जब 2008 में कसाब ने आतंकी हमला किया था तो पीएम मनमोहन ने तो उंगली भी नहीं हिलाई थी। आज ये भाजपा और मोदी से सवाल का रहे हैं जबकि सच्चाई तो यह है कि 2025 के ज़बरदस्त भारतीय हमले में पाकिस्तान के ऐसे दांत खट्टे कर दिए गए हैं कि उसको समझ लेना चाहिए कि गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा।

लोग इस बात को नहीं समझते कि कोई तो कारण रहा होगा कि मोदी जैसे, पाकिस्तान से सुलगे हुए, की जिसको नवाज़ शरीफ़ (बदमाश) ने उरी कांड करके धोखा दिया। सेवादार, कामदार, वज़ादार, वफादार और सबसे अधिक ईमानदार प्रधानमंत्री न तो अब तक आया है, और न ही आएगा, तो कुछ तो हुआ होगा कि युद्ध विराम पर आमादा हुआ। ठीक है, यदि युद्ध बढ़ता और दोनों तरफ़ के लाखों लोग, सैनिक आदि मारे जाते तो इन्सानियत ऐसे ही शर्मिंदा होती, जैसे गाजा में चल रहा है। वास्तव में, पहलगाम को लेकर, आज भी लोगों का दिल फटा हुआ है और यह ज़ख्म हमेशा हरा रहेगा। जो लोग कह रहे हैं कि इसका बदला पाकिस्तान को दुनिया के नक्शे से मिटा कर लेना चाहिए (दिल तो यही चाहता है), तो प्रैक्टिकल जीवन में ऐसा संभव नहीं है।

आज के इजराइल के 1948 में बतौर लुटे-पिटे, बदहाल यहूदी 77 वर्ष पूर्व फिलिस्तीन में शरण लेने आए थे कि उनकी नस्ल को समाप्त किया जा रहा है, मगर आज उन्होंने आसपास के इस्लामी देशों के छक्के छुड़ा रखे हैं और ये सब मिल कर भी इजराइल का, जो कि छोटा से देश है दुनिया के नक्शे नहीं मिटा सके। भारत पाकिस्तान या किसी भी देश के शांतिप्रिय नागरिकों के विरुद्ध कभी भी नहीं रहा, सिवाय आतंकवादियों को मिटाने के, जैसे कि मसूद अज़हर, जिसने कहा था कि भारतीय मिसाइल ने उसके परिवार को समाप्त कर दिया, काश उसको भी समाप्त कर देता। मोदी पर प्रेशर डालने वालों को पता होना चाहिए कि भारत एक शांतिप्रिय देश है, जो चाणक्य नीति में विश्वास रखता है, किसी को छेड़ता नहीं और जो उसे छेड़ता है, उसे छोड़ता नहीं, चाहे वह पाकिस्तान हो या गलवान में चीन हो।

मोदी को दुनिया इसीलिए स्टेट्समैन कहती है कि उनमें देश और दुनिया की जितनी समझ है, दूसरे किसी राज्यध्यक्ष में नहीं। कुछ सियासी हस्तियों का यह कहना कि मियां डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से पांव पसार लिए, बिल्कुल अनुचित है, क्योंकि भारत किसी की धौंस में नहीं आने वाला। रही बात लाहौर प्रेस क्लब में चाय पीने और गिलगित, मुजफ्फराबाद में बिरयानी खाने की बात, तो वह किसी भी समय भारत की पहुंच में है। शहबाज शरीफ़ और आसिम मुनीर द्वारा कोई और बदमाशी की गई तो पाकिस्तान का सत्यानाश तय है।

भारत ने आतंकवादी पाकिस्तान को ऐसा सबक़ सिखाया है कि आने वाली नस्लें याद रखेंगी क्योंकि उसके ग्यारह एयर स्ट्रिप पूर्ण रूप से तबाह हो चुके हैं। यही नहीं, उनका तेल का भंडार भी बर्बाद कर दिया गया है। कुरान और उसके ‘कंठस्थ करना’ को बदनाम करने वाले हाफ़िज़ सईद ने कहा कि पाकिस्तानी फ़ौज कहां मर गई थी कि उसके प्रांगण पर हमला हुआ यही तो भारत की यूएसपी है।

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Firoj Bakht Ahmed

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