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रोहिंग्‍या मुस्लिम पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब, कहा - 'इनके रहने से राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव'

08:32 AM Mar 21, 2024 IST | Rakesh Kumar

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अवैध रोहिंग्या मुस्लिम प्रवासियों को भारत में रहने और बसने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है और न्यायपालिका अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वालों को शरणार्थी का दर्जा देने के लिए एक अलग श्रेणी बनाने के लिए संसद और कार्यपालिका के विधायी और नीतिगत डोमेन में प्रवेश नहीं कर सकती है।

Highlights 

अनुच्छेद 21 के तहत केवल जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए सरकार ने एक हलफनामे में कहा कि एक विदेशी को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत केवल जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है और उसे देश में निवास करने और बसने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि भारत यूएनएचसीआर शरणार्थी कार्डों को मान्यता नहीं देता है जिसे कुछ रोहिंग्या मुसलमानों ने शरणार्थी स्थिति का दावा करने के आधार के रूप में उपयोग करने के लिए सुरक्षित किया है।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ा

सरकार ने दावा किया कि रोहि‍ंग्याओं के लगातार अवैध तरीके से रहने से राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि भारत ने 1951 के शरणार्थी समझौते पर या शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित प्रोटोकाल, 1967 पर हस्ताक्षर नहीं किया है।इस प्रकार किसी भी वर्ग के व्यक्ति को शरणार्थी के रूप में मान्यता दी जानी है या नहीं, यह एक शुद्ध नीतिगत निर्णय है। हलफनामा उस याचिका के संबंध में दाखिल किया गया है, जिसमें केंद्र को उन रोहि‍ंग्याओं को रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, जिन्हें जेलों या हिरासत केंद्रों या किशोर गृहों में रखा गया है।

विदेशी अधिनियम के प्रविधानों के कथित उल्लंघन के लिए हिरासत में लिया गया

इन्हें बिना कोई कारण बताए या विदेशी अधिनियम के प्रविधानों के कथित उल्लंघन के लिए हिरासत में लिया गया है। हलफनामे में कहा गया है कि दुनिया की सबसे बड़ी आबादी और सीमित संसाधनों वाले विकासशील देश के रूप में अपने नागरिकों को प्राथमिकता देना आवश्यक है। इसलिए विदेशियों को शरणार्थी के रूप में पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता है। खासकर ऐसी स्थिति में जब ज्यादातर विदेशियों ने अवैध रूप से देश में प्रवेश किया है।

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