Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

केंद्र सरकार घर-घर कोरोना वैक्सीनेशन की नीति पर पुनर्विचार करे : बॉम्बे HC

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह केंद्र और मुंबई नगर निकाय की असंवेदनशीलता से दुखी और निराश है।

07:38 PM May 20, 2021 IST | Desk Team

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह केंद्र और मुंबई नगर निकाय की असंवेदनशीलता से दुखी और निराश है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह केंद्र और मुंबई नगर निकाय की असंवेदनशीलता से दुखी और निराश है जिसने वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों, बीमारों और व्हील चेयर वाले लोगों के लिए घर-घर जाकर टीकाकरण का कार्यक्रम शुरू नहीं किया।
Advertisement
वहीं, कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या केंद्र द्वारा उपलब्ध कराए गए टीके की कुछ खुराक राज्य की जेलों में बंद कैदियों को नहीं भेजी जा सकती। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी ने दोहराया कि केंद्र को अपनी नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए जिसमें उसने कहा था कि खुराक के बेकार होने और दुष्प्रभाव संबंधी विभिन्न वजहों से घर-घर जाकर टीकाकरण करना संभव नहीं है।
कोर्ट ने केंद्र द्वारा गठित कोविड-19 टीकाकरण के लिए विशेषज्ञों की समिति (एनईजीवीएसी) के अध्यक्ष को कहा कि वह घर जाकर टीका देने के मुद्दे पर फिर से विचार करे और इसके साथ ही मामले की सुनवाई दो जून के लिए टाल दी। पीठ ने कहा, ‘‘अगर एनईजीवीएसी घर जाकर टीका लगाने का अभियान शुरू करने का फैसला करती है तो उसे कोर्ट के आदेश का इंतजार किए बिना लागू करना चाहिए।’’
कोर्ट ने कहा, ‘‘हम केंद्र सरकार से बहुत ही दुखी हैं। केंद्र सरकार के अधिकारियों ने हमें निराश किया है। आपके अधिकारी असंवेदनशील हैं। बुजुर्गों को (टीकाकरण) केंद्रों की ओर जाने के बजाय आपको (सरकार को) उनतक पहुंचना चाहिए।’’ पीठ ने रेखांकित किया कि विशेषज्ञ समूह उस निष्कर्ष पर काम कर रही है कि घर-घर टीकाकरण संभव नहीं है क्योंकि लोगों में टीके के दुष्प्रभाव होने के आशंका है।
कोर्ट ने कहा, ‘‘ क्या कोई वैज्ञानिक आंकड़ा है जो दिखाता है कि खास टीके से व्यक्ति में जटिलता विकसित हो सकती है? वे आंकड़े कहां हैं जिसमें एक भी व्यक्ति की मौत टीका लेने के बाद हुई? विशेषज्ञ समिति को स्पष्ट होना चाहिए। उसे अगर-मगर में नहीं पड़ना चाहिए।’’
कोर्ट ने बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को भी फटकार लगाते कहा कि वह हलफनामा दाखिल करे कि वह केंद्र द्वारा दिशानिर्देश आने के बाद ही घर-घर जाकर टीका लगाने का अभियान शुरू करेगी। कोर्ट अधिवक्ता ध्रुती कपाडिया और कुणाल तिवारी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 75 साल से अधिक उम्र के लोगों या टीकाकरण केंद्र जाने में अक्षम लोगों को घर में जाकर टीका लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
वहीं, पीठ ने स्वत: संज्ञान पर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि क्या सरकार कुछ खुराक कैदियों के लिए आवंटित कर सकती है? क्योंकि कैदियों को भी जीवन का अधिकार है। इससे पहले राज्य सरकार ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान बताया था कि बृहस्पतिवार शाम तक केंद्र से उसे टीके की दो लाख खुराक मिलेगी। कोर्ट ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि दो लाख खुराक में से कुछ खुराक जेल प्रशासन को गंभीर बीमारियों से ग्रस्त कैदियों के टीकाकरण के लिए मिलेगी।’’
Advertisement
Next Article