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Chaitra Navratri 2024: आज महानवमी पर इस तरह करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानें पूजा, मंत्र और आरती की विधि

07:01 AM Apr 17, 2024 IST | Shivam Kumar Jha

Chaitra Navatri 2024: नवरात्रि के नौवें दिन यानी आज मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मां सिद्धिदात्री की भक्ति करने से शोक, भय और रोग का नाश होता जाता है। माना जाता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन करने से मां दुर्गा बहुत खुश होती हैं। साथ ही अपने भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। मां सिद्धिदात्री की पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से भक्तों को सिद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि महानवमी की सही तिथि, मुहूर्त और महत्व के बारे में।

महानवमी 2024 की तारीक

हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि 16 अप्रैल की रात को 1 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी, जो 17 अप्रैल को दोपहर 3 बजकर 14 मिनट तक होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 17 अप्रैल को महा नवमी का व्रत रखा जाएगा।

मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि-

नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने के लिए सुबह स्नान कर साफ कपड़ों को पहने, उसके बाद सबसे पहले कलश की पूजा और सभी देवी देवताओं का ध्यान करें। मां को मोली, रोली, कुमकुम, पुष्प चुनरी चढ़ाकर मां की भक्ति भाव से पूजा करें। इसके बाद मां को पूरी, खीर, चले, हलुआ और नारियल का भोग लगाएं। उसके बाद माता के मंत्रों का जाप करें और नौ कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन कराएं।

मां सिद्धिदात्री के मंत्र-

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।

मां सिद्धिदात्री स्तुति-

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां सिद्धिदात्री की आरती-

जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।

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