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Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि में 9 दिन तक करें कन्या पूजन, मिलेंगे विशेष लाभ

05:47 PM Apr 09, 2024 IST | Yogita Tyagi
chaitra navratri 2024   नवरात्रि में 9 दिन तक करें कन्या पूजन  मिलेंगे विशेष लाभ
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Chaitra Navratri 2024: 9 अप्रैल 2024 यानिकि आज से ही दुर्गा देवी के नौ रूपों को समर्पित चैत्र नवरात्रि का महा पर्व शुरू हो चुका है। इस त्यौहार का समापन नवमीं तिथि 17 अप्रैल को होगा। नवरात्रि शुरू होने के साथ ही हिन्दू नववर्ष की भी शुरुआत हो चुकी है आपको बता दें कि इस साल चैत्र नवरात्र के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ये दोनों ही योग घटस्थापना के लिए बहुत शुभ हैं। एक साल में चार बार नवरात्रि तिथि आती है लेकिन इन चारों में से चैत्र और शारदीय नवरात्रि को महत्वपूर्ण माना गया है। भक्त इन दोनों नवरात्रि पर माता की विशेष पूजा करते हैं। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस बार शुरू हुए नवरात्रों में माता का वाहन घोड़ा है। लेकिन घोडा माँ जगदम्बा के लिए शुभ वाहन नहीं होता है। ऐसा माना जाता है कि सतयुग में सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध चैत्र नवरात्रि को माना गया था, क्योंकि इसी दिन से युग का आरंभ भी हुआ था। इसलिए संवत की शुरुआत भी चैत्र नवरात्रि में ही होती है।आज से दुर्गा माँ के नौ स्वरूपों को समर्पित नवरात्रि का त्यौहार शुरू हो चुका है इस दौरान माँ दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है बता दें आज माँ शैलपुत्री का दिन है।

  • 9 अप्रैल 2024 से ही नवरात्रि का महा पर्व शुरू हो चुका है
  • इस त्यौहार का समापन नवमीं तिथि 17 अप्रैल को होगा 
  •  नवरात्र के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं
  • सतयुग में सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध चैत्र नवरात्रि को माना गया था
  • आज माँ शैलपुत्री का दिन है

मां दुर्गा के वाहन पर आने का अर्थ

माँ दुर्गा का वाहन शेर को माना गया है लेकिन माँ दुर्गा के वाहन पर आने का मतलब ज्योतिष शास्त्रों में यह बताया गया है कि प्रत्येक वर्ष नवरात्रि में माता तिथि के हिसाब से अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर पृथ्वी लोक पर विराजमान होती हैं। जिसका मतलब यह है कि न सिर्फ शेर पर बल्कि माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। देवीभाग्वत पुराण के श्लोक 'शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता' में कहा गया है कि सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी अलग-अलग वाहन पर आगमन करती हैं। यदि नवरात्रों की शुरुआत सोमवार या रविवार से हुई है तो माता का आगमन हाथी पर होगा। इसी प्रकार यदि देवी दुर्गा के ये नौ दिन शनिवार या मंगलवार से शुरू हो रहे हैं तो देवी का आगमन घोड़े पर होगा। यदि गुरुवार या शुक्रवार से नवरात्रि आरम्भ हुए हैं तो माता का आगमन डोली में होता है यदि बुधवार से यह त्यौहार शुरू होता है तो माता नाव पर आरुढ़ होकर विराजमान होती हैं। देवी दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर धरती पर प्रवेश करती हैं यह मनुष्यों के जीवन से भी जुड़ा है। देवी दुर्गा के इन नौ दिनों में भक्त पूजा, हवन, घटस्थापना, सप्तशती पाठ और व्रत आदि रख माँ दुर्गा को प्रसन्न करते हैं नवरात्रि की नवमीं तिथि को सभी के घरों में कन्या पूजन भी किया जाता है। जिसका विशेष महत्व माना गया है। अधिकतर लोग अष्टमी या नवमी तिथि को 9 कन्या बुला कर उनको जीमाते हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार प्रतिपदा से नवमी तक 9 इन नौ दिनों तक अलग-अलग आयु वर्ग की कन्या पूजन का विशेष फल मिलता है लेख के द्वारा हम आगे जानेगें कि कन्या पूजन में किस उम्र की कन्या को पूजना चाहिए और इससे आपकी कौन सी इच्छाएं पूर्ण हो सकती हैं।

2 वर्ष की कन्या

2 साल की कन्या का पूजन करने से सुख एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इतने वर्ष की कन्या को कौमारी भी कहा जाता है इन कन्याओं को पूजन और भोजन के बाद खिलौने उपहार में दिए जाने चाहिए जिसके बाद इनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

3 वर्ष की कन्या

शास्त्रों के अनुसार 3 साल की कन्या का पूजन करने और उन्हें भोजन कराने से मनुष्य को भोग व मोक्ष मिल सकता है। इन कन्याओं को त्रिमूर्ति माना गया है। पूजन के बाद 3 साल की कन्या को उपहार में कोई फल जरूर दें

4 वर्ष की कन्या

4 साल की कन्या का पूजन करने से धर्म, अर्थ और काम की प्राप्ति होती है। इन्हें कल्याणी कहकर सम्बोधित किया जाता है। इतने वर्ष की कन्याओं को किसी मीठी चीज जैसे खीर या हलवा का भोग अवश्य लगाएं और उनका आशीर्वाद जरूर प्राप्त करें।

5 वर्ष की कन्या

5 साल की कन्या का पूजन व उन्हें भोजन कराने से विद्या और ज्ञान प्राप्त होता है। इतने वर्ष की कन्या को रोहिणी कहकर भी सम्बोधित किया जाता है। कन्या पूजा के बाद इन्हें उपहार में विद्या से जुड़ी चीजें जैसे- पुस्तकें, पेन-पेन्सिल पानी की बोटल, कॉपी आदि दें।

6 वर्ष की कन्या

6 वर्ष की कन्या को पूजने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है, शांति मिलती है और इनके पूजन से गलत सपने नहीं दिखाई देते हैं। इतने साल की कन्या को काली स्वरूपा माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इन्हें उपहार में वस्त्र देने चाहिए।

7 वर्ष की कन्या

7 वर्ष की कन्या को पूजने और भोजन आदि कराने से राज्य पद और कर्म में सिद्धि मिलती है। इतने वर्ष की कन्या को देवी चण्डी का रूप माना जाता है। इन्हें उपहार में श्रृंगार सामग्री देनी चाहिए और आशीर्वाद लेना चाहिए।

8 वर्ष की कन्या

शास्त्रों के अनुसार 8 साल की कन्या का पूजन करके धन-संपदा आदि प्राप्त किया जा सकता है। आठ साल की कन्या को शंभवी का रूप माना जाता है। हवन- पूजन के पश्चात आप इतने वर्ष की कन्याओं को जितना आपसे बन सकता है उसके अनुसार दान कर सकते हैं।

9 वर्ष की कन्या

9 साल की कन्या खुद माँ दुर्गा का रूप मानी जाती है। पूजन व भोजन के पश्चात इन कन्याओं को दुर्गा चालीसा की पुस्तकें, लाल चुनरी दें, पान व ईलायची भी खिलाएं। इसके पश्चात उन्हें उनकी मर्जी के अनुसार गरबा करने के लिए भी कहें यदि वे इसके लिए एक ही बार में तैयार हो जाएँ जो समझे माता रानी का आशीर्वाद आप पर बना हुआ है।

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