टॉप न्यूज़भारतविश्वराज्यबिजनस
खेल | क्रिकेटअन्य खेल
बॉलीवुड केसरीराशिफलSarkari Yojanaहेल्थ & लाइफस्टाइलtravelवाइरल न्यूजटेक & ऑटोगैजेटवास्तु शस्त्रएक्सपलाइनेर
Advertisement

चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का दिन,जानिए पूजा विधि और महत्व

चैत्र नवरात्रि का आज चौथा दिन है और इस दिन शक्ति की देवी कही जानें वाली मां दुर्गा के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा की आराधना की जाती है।

01:23 PM Mar 28, 2020 IST | Desk Team

चैत्र नवरात्रि का आज चौथा दिन है और इस दिन शक्ति की देवी कही जानें वाली मां दुर्गा के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा की आराधना की जाती है।

चैत्र नवरात्रि का आज चौथा दिन है और इस दिन शक्ति की देवी कही जानें वाली मां दुर्गा के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा की आराधना की जाती है। मान्यताओं के मुताबिक बताया जाता है कि जब इस संसार में केवल अंधकार ही था उस वक्त देवी कूष्मांडा ने अपने ईश्वरीय हास्य से ब्रह्मांड की रचना करी थी।
इसी वजह से देवी मां को सृष्टि के रचनाकार के रूप में भी माना जाता है। इसके अलावा इन्हें आदिशक्ति भी कहा जाता है। बता दें कि नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांड की पूजा करने का खास महत्व होता है। पारंपरिक मान्यताओं के मुताबिक जो भक्त सच्चे मन से इस विशेष दिन कूष्मांडा की पूजा करता है उसे आयु,यश और बल की प्राप्ति होती है। 
मां कूष्मांडा कौन हैं?
कु का मतलब कुछ ऊष्मा का अर्थ ताप और अंडा का अर्थ ब्रह्मांड शास्त्रों के मुताबिक मां कूष्मांडा ने अपनी दिव्य मुस्कान से ही पूरे संसार में फैले अंधकार को दूर किया था। देवी कूष्मांडा को सभी कष्टों को हरने वाली माता कहा जाता है। इनका निवास स्थान सूर्य है। इसी वजह से देवी कूष्मांडा के पीछे सूर्य का तेज दर्शाया जाता है। चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए मां दुर्गा का यह एक इकलौता ऐसा रूप है जिन्हें सूर्यलोक में रहने की शक्ति प्राप्त की है। इसके अलावा मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि प्रिय है। 
देवी मां कूष्मांडा का रूप
चेहरे पर हल्की सी मुस्कान झलकती हुई मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं है,इस वजह से इन्हें अष्टभुजा से भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में कमंडल,धनुष,बाण,कमल-पुष्प,कलश,चक्र एंव गदा है। वहीं इनके आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला भी है। देवी के हाथ जो अमृत कलश है उससे वो अपने भक्तों की दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य का वरदान देती है। मां कूष्मांडा का वाहन सिंह है। 
देवी कूष्मांडा की पूजा विधि
-इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेने के बाद हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
-मां दुर्गा की मूर्ति के आगे घी का दीपक जलाएं और उन्हें तिलक लगाएं। इसके बाद माता रानी को हरी इलायची,सौंफ और कुम्हड़े का भोग लगावें।
-इसके बाद मां कूष्मांडा की आरती करें और किसी ब्राह्मïण को भोजन कराएं या दान करें। इसके बाद आप भी स्वयं प्रसाद ग्रहण करें। 
Advertisement
Advertisement
Next Article