Chanda kochhar ICICI: लोन के बदले घूस मामले में दोषी करार हुईं चंदा कोचर, जानें पूरा मामला
Chanda kochhar ICICI: ICICI बैंक की पूर्व CEO चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर पर वीडियोकॉन ग्रुप को लोन देने के बदले रिश्वत लेने के गंभीर आरोप हैं। दिल्ली की एक अपीलीय ट्रिब्यूनल (Appellate Tribunal) ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच और आरोपों को सही ठहराया है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि चंदा कोचर ने बैंक के नियमों और अपनी जिम्मेदारियों का उल्लंघन किया।
ट्रिब्यूनल के मुताबिक, ICICI बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 300 करोड़ रुपए का लोन दिया था। इस लोन को मंजूरी देने वाली समिति की अध्यक्षता खुद चंदा कोचर ने की थी। लोन मंजूरी के ठीक एक दिन बाद, वीडियोकॉन की एक यूनिट – सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (SEPL) – से 64 करोड़ रुपए की रकम चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NRPL) को ट्रांसफर की गई।Chanda kochhar ICICI
पैसे के लेन-देन का जाल
जांच में सामने आया कि NRPL का असली नियंत्रण दीपक कोचर के हाथ में था, हालांकि कागजों पर इसे वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के स्वामित्व वाली कंपनी दिखाया गया। दीपक कोचर NRPL के मैनेजिंग डायरेक्टर भी थे। इतना ही नहीं, SEPL में भी दीपक कोचर की 95% हिस्सेदारी थी, जो ये साबित करती है कि पूरा नेटवर्क आपस में जुड़ा हुआ था और लोन के बदले यह फंड ट्रांसफर एक तरह की रिश्वत थी।Chanda kochhar ICICI
Chanda kochhar की भूमिका पर सवाल
ट्रिब्यूनल ने इस बात को भी खारिज कर दिया कि चंदा कोचर को लोन के पीछे किसी तरह के रिश्ते की जानकारी नहीं थी। ट्रिब्यूनल ने साफ कहा कि वह वीडियोकॉन ग्रुप से जुड़ी कंपनियों और उनके मालिकों को जानती थीं। इसके बावजूद उन्होंने लोन मंजूर करने की प्रक्रिया में हिस्सा लिया, जो कि ICICI बैंक के आंतरिक नियमों का उल्लंघन है। Chanda kochhar ICICI
विश्वासघात और नियमों का उल्लंघन
कोर्ट ने माना कि लोन मंजूरी के बदले और उनके पति को वित्तीय फायदा हुआ और यह प्रक्रिया पूरी तरह से गलत थी। बैंक के नियमों और पारदर्शिता की शर्तों का खुला उल्लंघन हुआ है। चूंकि चंदा कोचर बैंक की सबसे ऊंचे पद पर थीं, उनसे अपेक्षा थी कि वे निष्पक्षता और ईमानदारी से काम करें, लेकिन इस मामले में उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया।
इस फैसले ने ED की जांच और उनके लगाए गए आरोपों को मजबूती दी है। इससे यह भी साफ होता है कि बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता और नैतिकता बनाए रखने के लिए सख्त निगरानी और कार्रवाई की जरूरत है। Chanda kochhar ICICI
इसके बाद यह भी पढ़ें-10 वर्षों में PMKVY के तहत 1.6 करोड़ उम्मीदवारों को मिली ट्रेनिंग: मंत्री जयंत चौधरी
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के तहत पिछले 10 वर्षों में 1.6 करोड़ से अधिक उम्मीदवारों को ट्रेनिंग दी गई है और 1.29 करोड़ युवाओं को प्रमाणित किया जा चुका है। कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने बताया कि NSDC ने पुरस्कार देने वाली संस्थाओं के माध्यम से 2.32 लाख से ज्यादा ट्रेनर को प्रमाणपत्र दिए है। वहीं पीएमकेवीवाई के के लिए, MSDE ने वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 1,538.29 करोड़ रुपये जारी किए है।
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युवाओं को ट्रेनिंग
PMKVY 4.0 के अंतर्गत, मान्यता प्राप्त और ट्रेनिंग केंद्रो में प्रशिक्षण दिया जा रहा है और प्रशिक्षण केंद्रों की निगरानी भी की जा रही है। साथ ही नियमों का पालन न करने वाले प्रशिक्षण केंद्रों के विरुद्ध FIR दर्ज करना, काली सूची में डालना, निलंबन, वित्तीय वसूली आदि जैसी कानूनी कार्रवाई की जा रही है। पीएमकेवीवाई पूरे देश में एक्टिव है और इसका लाभ कई समुदायो सहित समाज के सभी वर्गों को मिलता है।
कैसे कार्य करती है
सरकार कौशल भारत गुणवत्ता आश्वासन ढाँचे के अंतर्गत प्रशिक्षण केंद्रों के लिए मानदंडों और SIDH के माध्यम से और योजना की डेटा-आधारित निगरानी के माध्यम से, लाभकारी प्रशिक्षण संस्थानों को NSDC द्वारा दिए जाने वाले समर्थन की निगरानी करती है। E-KYC आधारित नामांकन, आधार-सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति, शिकायत निवारण प्रणाली, निष्पादन लेखा परीक्षा, प्रभाव आकलन और तृतीय-पक्ष मूल्यांकन जैसी प्रौद्योगिकी-सक्षम प्रणालियों के माध्यम से निगरानी तंत्र को सुदृढ़ किया जाता है।