Chandra Grahan: भारत में साल का आखिरी पूर्ण चंद्रग्रण जारी, देर रात 1.26 बजे होगा खत्म
Chandra Grahan : भारत में इस साल का आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण लग गया है। इसे ‘ब्लड मून’ के नाम से भी जाना जाता है. यह पूर्ण चंद्र ग्रहण रात 8:58 बजे शुरू हुआ और रात 1:26 बजे समाप्त होगा। यह ग्रहण करीब 3 घंटे 28 मिनट तक चलेगा। 11 बजे के बाद ब्लड मून लगभग 82 मिनट तक आसमान में दिखाई देगा। यह ग्रहण भारत के सभी बड़े शहरों में साफ तौर पर दिखाई देखा। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, चेन्नई, लखनऊ, पटना, अहमदाबाद, जयपुर, पुणे, कानपुर, नागपुर, हैदराबाद, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर, वाराणसी, और देहरादून समेत देशभर के लोग इस अद्भुत नजारे को देख पाएंगे। बता दें, ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12 बजकर 58 मिनट से प्रारंभ हो गया था।
#WATCH दिल्ली: चंद्रग्रहण या 'ब्लड मून' शुरू हुआ। pic.twitter.com/O5OBYucgdJ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 7, 2025
जानें क्यों कहा जाता है इसे ब्लड मून
चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी की से होकर गुजरता है। इस दौरान सूर्य की रोशनी सीधे उस पर नहीं पड़ती और वातावरण से गुजरकर वह लाल-नारंगी में बदल जाती है। इसी कारण इसे ब्लड मून कहा जाता है। आसमान में यह नजारा बेहद आकर्षक और अद्भुत दिखाई देता है।
#WATCH तिरुवनंतपुरम, केरल: चंद्रग्रहण के पूर्ण चरण में चंद्रमा धीरे-धीरे लाल होता जा रहा है। pic.twitter.com/ubOpGhhGFP
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 7, 2025
सूतक काल का समय
हिंदू धर्म में चंद्रग्रहण के दौरान सूतक काल का विशेष महत्व है। यह वह अशुभ समय होता है, जब पूजा-पाठ, खाना बनाना या खाना जैसे कार्यों से परहेज किया जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, चंद्रग्रहण के लिए सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू होता है। इस सूतक काल की शुरुआत रविवार दोपहर 12:57 बजे से हो गई, जो देर रात 2:24 बजे तक रहेगा।
सूतक काल में क्या न करें?
बता दें, सूतक काल के दौरान मंदिरों में पूजा या देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श न करें। अगर जरूरी हो, तो गंगाजल से शुद्धिकरण करें। खाना न बनाएं और न खाएं। पहले से बना हुआ फलाहार या सात्विक भोजन ही लें। गर्भवती महिलाओं को घर में रहने और ग्रहण न देखने की सलाह दी जाती है। नाखून काटना, बाल बनाना या सोना जैसे कार्यों से बचें। ग्रहण के बाद स्नान करें और दान-पुण्य करें। ज्योतिषी बताते हैं कि सूतक काल चंद्रमा के प्रभाव से जुड़ा है, और इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। हालांकि, वैज्ञानिक रूप से ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जहां पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है।