चंगीवाला हत्याकांड : कमीशन ने जगमेल की मौत के लिए स्वस्थ विभाग और पुलिस को ठहराया दोषी
पंजाब के दलित नौजवान जगमेल सिंह की मौत का असल सच जानने के लिए चेयरमैन नैशनल कमीशन फार शडियूल कॉस्टस भारत सरकार की अध्यक्षता में गांव चंगीवाला में पहुंचकर उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल ने जगमोहन की मौत के लिए पंजाब के स्वस्थ विभाग और पुलिस विभाग को दोषी ठहराया
06:07 PM Nov 23, 2019 IST | Shera Rajput
लुधियाना-लहरागगा : पंजाब के दलित नौजवान जगमेल सिंह की मौत का असल सच जानने के लिए चेयरमैन नैशनल कमीशन फार शडियूल कॉस्टस भारत सरकार की अध्यक्षता में गांव चंगीवाला में पहुंचकर उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल ने जगमोहन की मौत के लिए पंजाब के स्वस्थ विभाग और पुलिस विभाग को दोषी ठहराया है। कमीशन के चेयरमैन प्रो. रामशंकर कथेरिया, उपचेयरमैन डॉ एल मरूगन, केबिनेट मंत्री डॉक्टर योगिंद्रा पासवान, सदस्य डॉ एमएस स्वराज विद्धान की टीम आज करीब दो घंटे गांव चंगीवाला में रही।
Advertisement
कमीशन ने डिप्टी कमीश्रर संगरूर श्री घनश्याम थोरी, आईजी पटियाला जतिंद्र ङ्क्षसह औलख, जिला पुलिस प्रमुख डॉ संदीप गर्ग की उपस्थिति में पत्रकारों से बातचीत करते बताया कि मृतक जगमेल सिंह की मार-पिटाई गांव के दबंग लोगों द्वारा बड़ी बेरहमी और निर्दयता से की गई लेकिन वक्त पर सिविल अस्पताल में स्वस्थ सेवाएं ना मिलने और पुलिस द्वारा समय पर कार्यवाही ना किए जाने से जगमेल सिंह की मौत हुई है।
उन्होंने एसएचओ लहरागगा को इस घटना की पूरी रिपोर्ट तैयार करके कमीशन को दिए जाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कमीशन द्वारा 15 दिनों के अंदर पंजाब के गृहमंत्री , डीजीपी पंजाब, स्वस्थ विभाग द्वारा की गई लापरवाईयों के कारण विभागों के सचिवों की दिल्ली में बैठक बुलाए जाने की जानकारी दी है और कहा है कि जो भी इस मामले में दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही होंगी।
स्मरण रहे कि 7 नवंबर को अपने ही गांव के चार दबंगों की कुरूरता का शिकार हुए संगरूर के अनुसूचित जाति के 37 वर्षीय जगमेल सिंह जगा का गांव के ही धनाढय लोगों ने मारपीटाई के बाद, पेशाब पिलाने, पैरों समेत टांगों पर तेजाब डालने और नुकीले प्लास से मांस नौचने के कारण इलाज के दौरान पीजीआई में मौत हो गई थी।
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन और सरकार से दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू किया था। संगरूर के सांसद भगवंत मान ने यह मुद्दा संसद में उठाया था।
– सुनीलराय कामरेड
Advertisement