Char Dham Yatra 2025: कब होगा चार धाम यात्रा का समापन? जानें कौन-से धाम के कब बंद होंगे कपाट
Char Dham Yatra 2025: उत्तराखंड के चार धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री प्रमुख हैं। इन चार धामों को आत्मा शुद्ध करने वाला भी कहा जाता है, जो जीवन के चार मूल तत्वों से जुड़े हैं। यह धाम केवल 6 महीने ही खुलते है और 6 महीने पूरी तरह बंद रहते हैं। इन चार धामों के कपाट शीतकालीन बंद होने की घोषणा कर दी गई है। ऐसे में आपके पास चार धाम यात्रा करने के लिए कुछ ही समय रह गया है। विजयदशमी और भैया दूज के पावन पर्व पर चार धाम के कपाट बंद होने का मुहूर्त निकाला गया है। आइए ऐसे में जानते हैं कि कौन-से धाम के कपाट कब बंद होंगे।
Char Dham Yatra Kapat Closing Date 2025: जानें कब बंद होंगे चार धाम के कपाट
1. बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham)
बद्रीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर (मंगलवार) को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर बंद होंगे। मंदिर के कपाट बंद होने से पहले पंच पूजाएं की जाती हैं, जो 21 नवंबर से शुरू होंगी। इसके बाद 26 नवंबर से भगवान बदरी विशाल के दर्शन नृसिंह मंदिर ज्योतिर्मठ में कर सकेंगे।
2. केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham)
केदारनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इसके कपाट 23 अक्टूबर को भैजा दूज के दिन बंद होंगे, जिसका समय सुबह 8 बजकर 30 मिनट है। यहां कपाट बंद होने के बाद, केदारनाथ बाबा के दर्शन ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में कर सकेंगे।
3. गंगोत्री धाम (Gangotri Dham)
गंगोत्री धाम को पवित्र नदी गंगा की उत्पत्ति का स्थल माना जाता है। गंगोत्री धाम के कपाट गोवर्धन पूजा या अन्नकूट वाले दिन, शुभ तिथि 22 अक्टूबर (बुधवार) को सुबह 11 बजकर 36 मिनट पर बंद हो जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद मां गंगा के दर्शन मुखबा गांव में होंगे।
4. यमुनोत्री धाम (Yamunotri Dham)
यमुनोत्री धाम को यमुना का उत्पत्ति स्थल माना जाता है। इसके कपाट 23 अक्टूबर (गुरुवार) को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर बंद हो जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद अगले 6 महीनों के लिए मां यमुना के दर्शन खरसाली गांव में कर सकेंगे।
Char Dham Yatra: चार धाम के कपाट बंद होने के कारण?
चार धाम मंदिरों के कपाट बंद होने के पीछे कई कारण हैं। इनके पीछे न सिर्फ धार्मिक मान्यता है, बल्कि ये प्राकृतिक और व्यावहारिक चुनौतियों से भी जुड़ा हुआ है। यह धाम ऊंचाई पर स्थित है, जहां अत्यधिक बर्फ़बारी होती है और ये ठंडी हवाओं की चपेट में आते हैं। शीतकालीन में चार धाम को जाने वाले मार्ग बंद हो जाते हैं, जिस वजह से यातायात संभव नहीं हो पाता। इसलिए इस दौरान मंदिरों को बंद रखकर उनकी और श्रद्धालुओं की रक्षा की जाती है। मानसून के बाद, पहाड़ों पर भूस्खलन और चट्टानों के गिरने का खतरा रहता है। इसलिए चार धामों के कपाट बंद करना जरुरी है।