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ये छोटी बच्‍ची रहती थी जेल में कैदी पिता के साथ,कलेक्‍टर साहब ने दी नयी जिंदगी

हाल ही में एक 6 साल की छोटी सी बच्ची की जिंदगी में नया सवेरा आया है। यह पूरी घटना छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की है। यह नन्ही सी जान जब कुछ ही महीने की थी तब इसको जेल में लाया गया था।

09:02 AM Jun 20, 2019 IST | Desk Team

हाल ही में एक 6 साल की छोटी सी बच्ची की जिंदगी में नया सवेरा आया है। यह पूरी घटना छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की है। यह नन्ही सी जान जब कुछ ही महीने की थी तब इसको जेल में लाया गया था।

हाल ही में एक 6 साल की छोटी सी बच्ची की जिंदगी में नया सवेरा आया है। यह पूरी घटना छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की है। यह नन्ही सी जान जब कुछ ही महीने की थी तब इसको जेल में लाया गया था। क्योंकि इसके पिता ने अपराध किया था जिस वजह से उसे जेल जाना पड़ा। इस बच्ची को भी तभी से जेल में ही रहना पड़ा और जेल में ही 6 साल तक इसका पालन-पोषण हुआ। लेकिन बच्ची की जिंदगी में फरिश्ता बनाकर आए एक आईएएस अधिकारी ने उसकी जिंदगी में चांर चांद लगा दिए जिसे बच्ची की जिंदगी बदल गई। 
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जब बच्ची पैदा हुई तो मां का हो गया था देहांत

इस छोटी सी बच्ची की मां का देहांत उसके जन्म होने के साथ ही हो गया था। इस बच्ची की कोई और देखरेख करने वाला नहीं था। लिहाजा ये बच्ची भी अपने पिता के साथ ही जेल की सलाखों के पीछे आ गई। जेल प्रशासन ने महिला कैदियों को बच्ची की देखभाल के लिए कहा। 

बच्ची ने कहा स्कूल जाना चाहती हूं…

जैसे-जैसे टाइम निकला बच्ची बड़ी होने लगी और जेल में ही उसने अपने पैरों पर चलना शुरू कर दिया उसके बाद वह प्ले स्कूल में पढऩे लगी। बाकी आम बच्चों की तरह इस बच्ची को भी टीवी देखने और खेलने का शौक है। लेकिन इन सारी चीजों से ज्यादा इस बच्ची में पढ़ाई करने की ललक है। कुछ दिन पुरानी बात है कि बिलासपुर के कलेक्टर डॉ.संजय अलंग जेल का निरिक्षण करने के लिए पहुंचे। इस दौरान उनकी मुलाकात बच्ची से हुई। जब कलेक्टर साहब ने बच्ची से पूछा कि वह क्या करना चाहती है तो उसने कहा  कि वह जेल से बाहर जाकर पढऩा चाहती है। स्कूल जाना चाहती है।
मासूम सी बच्ची की यह इच्छा आईएएस अधिकारी डॉ अलंग के दिल को छू गई। उन्होंने जेल के अधिकारियों से बात करके बच्ची का शहर के एक अच्छे स्कूल में एडमिशन करवा दिया। कलेक्टर साहब की इस पहल की हर जगह चर्चा हो रही है। कलेक्टर साहब के इस नेक कदम में शहर के लायंस क्लब ने भी उनका साथ दिया। बच्ची अब ना केवल स्कूल में पढऩे लगी है बल्कि स्कूल के हॉस्टल में भी उसके रहने की व्यवस्था करवा दी गई है। 
अपने इस अच्छे काम के लिए कलेक्टर साहब का कहना है कि सकारात्मक बदलाव आम नागरिकों के साथ ही संभव हो सकता है। बाकी सारे लोग अगर इन बच्चों के  बैकग्राउंड को न देखते हुए बल्कि इन जैसे मासूमो की जिंदगी संवारने के लिए आगे आए तो इन बच्चों की जिंदगी में नया सवेरा आ सकेगा।
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