सस्ता गोल्डन वीजा भारत को पड़ेगा महंगा !
मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात ने अपने वीजा संबंधी नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इससे भारतीयों के लिए गोल्डन वीजा पाना आसान हो गया है। यूएई सरकार ने नामांकन आधारित एक नए प्रकार का गोल्डन वीजा शुरू किया है। भारत के लिहाज से सबसे बड़ी चिंता है टैलेंट और पैसे का जाना। जब पढ़े-लिखे, समझदार प्रोफेशनल यूएई जैसे देशों में बसने लगेंगे तो भारत की रीढ़ मजबूत करने वाले लोग देश से दूर हो जाएंगे। इसीलिए कहा जा रहा है कि सस्ता गोल्डन वीजा भारत को पड़ सकता है महंगा! टैलेंट और पैसा दोनों चला जाएगा?केरल और पंजाब पहले से ही बड़े पैमाने पर पलायन झेल रहे हैं। अब जब गोल्डन वीजा इतना सस्ता हो गया है, तो इन राज्यों से और ज्यादा लोग बाहर जाने लगेंगे। इससे स्थानीय लेबर की कमी हो सकती है, जिससे खेती, छोटे कारोबार और घरेलू सेवाओं पर असर पड़ेगा। ऐसे में भारत से न सिर्फ पैसा, बल्कि टैलेंट और मेहनतकश लोग भी धीरे-धीरे बाहर निकल सकते हैं।
दरअसल, यूएई एक स्मार्ट चाल चल रहा है। यूएई खुद को न्यूयॉर्क या लंदन जैसे ग्लोबल सिटी की तरह बनाना चाहता है, जहां दुनियाभर से टैलेंट और निवेश आए। वह दुनियाभर के होनहार लोगों को अपने देश में बुला रहा है, खासकर टेक्नोलॉजी, हेल्थ, एजुकेशन और इनोवेशन के क्षेत्र में। जाहिर है कि भारतीय प्रोफेशनल्स और उद्यमी वहां नए बिजनेस शुरू करेंगे, जिससे यूएई को टैक्स और रोजगार दोनों मिलेगा। उसका मकसद है कि वह तेल पर निर्भरता कम करके एक नॉलेज-बेस्ड इकोनॉमी बने।
संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने एक नए प्रकार का गोल्डन वीज़ा शुरू किया है, जो नामांकन पर आधारित होगा, हालांकि इसमें कुछ शर्तें होंगी, जो कि यहां संपत्ति या व्यवसाय में बड़ी मात्रा में निवेश करने की वर्तमान प्रथा से अलग है। अब तक भारत से दुबई का गोल्डन वीजा पाने का एक तरीका संपत्ति में निवेश करना था, जिसका मूल्य कम से कम एईडी दो मिलियन (4.66 करोड़) होना चाहिए, या देश में व्यापार में बड़ी राशि का निवेश करना था। लाभार्थियों और प्रक्रिया में शामिल लोगों ने बताया कि “नई नामांकन-आधारित वीजा नीति” के तहत, भारतीय अब एईडी 1,00,000 (लगभग रु. 23.30 लाख) का शुल्क देकर आजीवन यूएई के गोल्डन वीजा का आनंद ले सकते हैं। तीन महीने में 5,000 से अधिक भारतीय इस नामांकन-आधारित वीज़ा के लिए आवेदन करेंगे। यूएई में निवास चाहने वालों की बड़ी तादाद रही है। ऐसे में ये फैसला भारतीयों के लिए एक राहत लेकर आया है।
गोल्डन वीजा हासिल करने वाले को इससे कई लाभ मिलेंगे। वे अपने परिवार के सदस्यों को यूएई ला सकते हैं। वे कर्मचारियों को नियुक्त कर सकते हैं और यूएई में व्यवसाय या पेशेवर गतिविधियों में भी भाग ले सकते हैं। छात्रों को भी गोल्डन वीजा मिल सकता था, लेकिन उसके लिए हाई स्कूल में 95 फीसदी से ज्यादा नंबर या यूनिवर्सिटी में बहुत अच्छा जीपीए होना जरूरी था। इसके अलावा, मानवीय काम करने वाले लोगों को भी यह वीजा मिल सकता था, अगर उनके पास कम से कम 5 साल का अनुभव हो या वे एईडी 2 मिलियन का योगदान दे चुके हों। इस वीज़ा के परीक्षण के प्रथम चरण के लिए भारत और बंगलादेश को चुना गया है, तथा भारत में नामांकन-आधारित गोल्डन वीज़ा के प्रारंभिक स्वरूप का परीक्षण करने के लिए रयाद ग्रुप नामक कंसल्टेंसी को चुना गया है। यूएई सरकार की पहल और इस वीजा के लिए पहले देश के रूप में भारत का चयन भारत और यूएई के बीच मजबूत व्यापारिक, सांस्कृतिक और भू-राजनीतिक संबंधों को दर्शाता है, जो मई 2022 से प्रभावी दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) के बाद और मजबूत हो गए हैं।
गोल्डन वीज़ा नामांकन प्रक्रिया यूएई और इसके (व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते) सीईपीए हस्ताक्षरकर्ता/भागीदार देशों के बीच एक समझौता है। यह एक पायलट प्रोजेक्ट है जो भारत और बंगलादेश के साथ शुरू हुआ है और जल्द ही इसमें चीन और अन्य सीईपीए देश भी शामिल हो जाएंगे। भारत के लिहाज से सबसे बड़ी चिंता है टैलेंट और पैसे का बाहर जाना। जब पढ़े-लिखे, समझदार प्रोफेशनल्स जैसे डॉक्टर, इंजीनियर और आईटी एक्सपर्ट्स यूएई जैसे देशों में बसने लगेंगे, तो भारत की रीढ़ मजबूत करने वाले लोग देश से दूर हो जाएंगे। साल 2023 में ही करीब 16 लाख भारतीयों ने विदेशी नागरिकता ली थी, जिनमें बड़ी संख्या खाड़ी देशों की थी। अब जब गोल्डन वीजा इतना सस्ता हो गया है, तो यह संख्या और भी तेजी से बढ़ सकती है। साथ ही, इस प्रक्रिया में जो फीस और रहन-सहन का खर्च होगा, वह भी करोड़ों रुपये भारत से बाहर ले जाएगा।
साल 2019 से 2022 के बीच यूएई ने 1.5 लाख से ज्यादा गोल्डन वीजा जारी किए थे और 2025 में 5,000 भारतीयों के आवेदन की उम्मीद है। 23.3 लाख रुपये की फीस से ही अगर 5,000 भारतीय आवेदन करें तो उसे करीब 1167 करोड़ रुपये की इनकम होगी। इसके अलावा यूएई को रियल एस्टेट और उपभोक्ता बाजार में भी फायदा होगा, क्योंकि वीजाधारक वहां घर किराए पर लेंगे, खरीदेंगे, और अपने बच्चों की पढ़ाई व इलाज पर खर्च करेंगे। वियतनाम पिछले कुछ सालों में लगातार पर्यटकों को आकर्षित करने वाला देश बनता जा रहा है। ऐसे में ग्लोबल टैलेंट और इनवेस्टमेंट को आकर्षित करने के लिए वियतनाम ने अब एक नई कोशिश की है। वियतनाम ने एक नया 10 वर्षीय गोल्डन वीजा प्रोग्राम शुरू किया है। इस वीजा का मुख्य उद्देश्य भारतीय नागरिकों सहित वैश्विक निवेशकों, व्यापारियों और पेशेवरों को आकर्षित करना है, यह प्रोग्राम देश में निवेश, पर्यटन और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
वियतनाम सरकार ने इस वीजा योजना को लॉन्च किया, जिसमें भारतीयों को विशेष रूप से टारगेट किया गया है वियतनाम ने भारतीयों को इस प्रोग्राम का प्रमुख लक्ष्य बनाया है, क्योंकि भारत और वियतनाम के बीच व्यापार और सांस्कृतिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। भारतीय उद्यमी, विशेष रूप से तकनीकी और स्टार्टअप क्षेत्र में, वियतनाम की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में निवेश के लिए उत्साहित हैं। अब गोल्डन वीजा पाना बच्चों का खेल सा बन चुका है, ये दिखने में तो एक शानदारी लाइफ चेंजिंग ऑफर लगता है, लेकिन यहीं से शुरू होती है भारत के लिए खतरे की घंटी। ऐसे में भारत की सरकार को ऐसी नीतियां बनानी होंगी, जिससे लोग भारत छोड़ने की बजाय यहीं रहकर काम करना पसंद करें। जैसे कि टैक्स सिस्टम को आसान बनाना, नौकरियों के मौके बढ़ाना और जीवन स्तर में सुधारना होगा।