Chhath festival को लेकर बड़ा कदम! भारत सरकार ने UNESCO को लिखा पत्र
भारत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए छठ महापर्व (Chhath festival) को UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कराने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। यह फैसला छठी मइया फाउंडेशन की ऐतिहासिक पहल के बाद लिया गया है। छठ महापर्व भारत की आस्था, संस्कृति और पर्यावरण के संरक्षण का प्रतीक है, जिसे अब अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की दिशा में काम हो रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने 8 अगस्त 2025 को पत्र संख्या F.No.U-11/134/2018-UNESCO के तहत यह निर्णय लिया है। इसके अनुसार, संगीत नाटक अकादमी (SNA) को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह इस पर्व को UNESCO की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाए। इस कार्य में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अहम भूमिका रही है।
छठी मइया फाउंडेशन की पहल
यह पूरी प्रक्रिया छठी मइया फाउंडेशन की ओर से पहली बार की गई आधिकारिक मांग के बाद शुरू हुई। फाउंडेशन के चेयरमैन श्री संदीप कुमार दुबे ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “यह प्रधानमंत्री और संस्कृति मंत्रालय की दूरदर्शिता का प्रमाण है। छठ केवल पूजा का पर्व नहीं, बल्कि यह भारतीय परंपरा, महिलाओं की भागीदारी, और पर्यावरण के प्रति हमारे सम्मान को दर्शाता है।”
UNESCO की सूची में शामिल होने से क्या लाभ होगा?
अंतरराष्ट्रीय पहचान:
UNESCO की सूची में शामिल होने से Chhath festival को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी। यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर को एक नया सम्मान देगा।
पर्यटन में बढ़ोतरी:
इस मान्यता से देश-विदेश से श्रद्धालु और पर्यटक इस पर्व को देखने आएंगे, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
परंपराओं का संरक्षण:
UNESCO के माध्यम से Chhath festival को अंतरराष्ट्रीय सहयोग और फंडिंग मिलेगी, जिससे इसके मूल स्वरूप को संरक्षित किया जा सकेगा।
प्रवासी भारतीयों का जुड़ाव:
विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए यह एक भावनात्मक जुड़ाव का कारण बनेगा और उनकी सांस्कृतिक पहचान मजबूत होगी।
महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संदेश:
Chhath festival में महिलाएं प्रमुख भूमिका निभाती हैं और यह पर्व सूर्य और जल के प्रति सम्मान प्रकट करता है। इससे महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण का संदेश वैश्विक स्तर पर पहुंचेगा।
Modi Cabinet Highlights Today: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाल ही में हुई केंद्रीय Cabinet की बैठक में देश के विकास से जुड़े तीन महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। इन फैसलों का मकसद सार्वजनिक परिवहन, तकनीकी आत्मनिर्भरता और पूर्वोत्तर भारत के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, Modi Cabinet की बैठक में सरकार ने लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के फेज-1B को भी हरी झंडी दे दी है। इस नए फेज में 11.165 किलोमीटर लंबा नया कॉरिडोर बनेगा जिसमें कुल 12 स्टेशन होंगे – 7 अंडरग्राउंड और 5 एलीवेटेड। यह फेज खासतौर पर पुराने लखनऊ के भीड़भाड़ वाले इलाकों को मेट्रो नेटवर्क से जोड़ेगा।
किन इलाकों में मेट्रो चलेगी?
इस नए फेज में अमीनाबाद, यहियागंज, पांडेगंज, चौक, केजीएमयू, बड़ा और छोटा इमामबाड़ा, भूलभुलैया, घंटाघर, रूमी दरवाजा जैसे इलाके शामिल होंगे। ये सभी क्षेत्र ऐतिहासिक और व्यापारिक दृष्टि से अहम हैं।
क्या होगा फायदा?
- मेट्रो की पहुंच रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और बस अड्डों तक आसान हो जाएगी।
- पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
- स्थानीय बाजारों में व्यापार तेज होगा।
- मेट्रो स्टेशनों के पास निवेश और विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी।
Modi Cabinet Semiconductor Approval ( सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी)
देश में इलेक्ट्रॉनिक्स और चिप निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने चार नए सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं पर लगभग 4,600 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
कहां लगाए जाएंगे प्रोजेक्ट?
ये यूनिट्स ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश में लगाई जाएंगी। इससे 2,000 से ज्यादा युवाओं को सीधे रोजगार मिलेगा, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से और भी नौकरियां पैदा होंगी।