छठ पर्व का तीसरा दिन, डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने का पावन अवसर, इस आरती से करे मैया का गुणगान
Chhath Mata Aarti Lyrics: आज छठ महापर्व का तीसरा दिन है। आज के दिन व्रती महिलाएं और पुरुष संध्या समय अस्त होते सूर्य (डूबते सूर्य) को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया की उपासना को समर्पित है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।
Chhath Mata Aarti Lyrics: छठ पर्व की महत्ता
छठ पर्व सूर्य उपासना का सबसे प्राचीन और पवित्र पर्व माना जाता है। हर वर्ष यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि को समाप्त होता है। यह उत्सव मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और देश के अन्य राज्यों में अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। लोग मानते हैं कि छठी मैया की पूजा करने से परिवार में सुख-शांति आती है, संतान को दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
Chhath Puja 2025: छठ पर्व की शुरुआत: नहाय-खाय से
छठ पर्व का आरंभ नहाय-खाय से होता है। इस दिन व्रती शुद्ध होकर स्नान करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन में आमतौर पर लौकी की सब्जी, चने की दाल और भात (चावल) शामिल होते हैं। इस दिन से ही व्रत की पवित्रता और नियमों का पालन शुरू हो जाता है।
दूसरा दिन: खरना का आयोजन
छठ के दूसरे दिन खरना का विधान होता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जल उपवास रखते हैं और शाम को पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं। खरना का प्रसाद आमतौर पर गुड़ और चावल से बनी खीर, रोटी और फल होता है। इसके बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत (बिना जल ग्रहण किए) रखते हैं, जो अत्यंत कठिन माना जाता है।
तीसरा दिन: डूबते सूर्य को अर्घ्य
छठ पर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन षष्ठी तिथि होता है। इस दिन व्रती संध्या के समय नदी, तालाब या सरोवर के किनारे जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं। जल में खड़े होकर सूर्य देव को दूध, जल, फल और ठेकुआ जैसे प्रसाद से अर्घ्य अर्पित किया जाता है। भक्तगण छठी मैया के गीत और आरती गाते हुए व्रत का पालन करते हैं।
चौथा दिन: उदयमान सूर्य को अर्घ्य और व्रत का समापन
पर्व के अंतिम दिन, यानी सप्तमी तिथि की सुबह व्रती और श्रद्धालु उदयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इसके साथ ही छठ मैया से संतान और परिवार की समृद्धि, स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना की जाती है। अर्घ्य के बाद व्रती व्रत का पारण करते हैं और प्रसाद का वितरण करते हैं।
Chhath Puja Aarti: छठी मैया की आराधना और आरती
छठी मैया की पूजा में आरती और भजन का विशेष स्थान होता है। माना जाता है कि आरती करने से माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। प्रसिद्ध आरती “जय छठी मैया, ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए…” इस पर्व की पवित्रता और लोक संस्कृति को जीवंत बनाती है।
Chhath Mata Aarti Lyrics in Hindi: छठ मईया की आरती
जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
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