Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

Chhath Puja 2024 History: जानें कैसे हुई छठ पूजा की शुरुआत?

06:51 AM Nov 05, 2024 IST | Priya Mishra

Advertisement

छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा विधि विधान से की जाती है। छठ पूजा का प्रारंभ कब से हुआ, सूर्य की आराधना कब से प्रारंभ हुई, इसके बारे में सभी लोग जानना चाहते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में भगवान श्रीराम, द्वापर में दानवीर कर्ण और पांच पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने सूर्य की उपासना की थी। छठी मैया की पूजा से जुड़ी कई कथाएं सुनने को मिलती हैं जिससे पता चलता है कि लोग सदियों से उनकी आराधना करते आ रहे हैं।

पहली कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, लंका के राजा रावण का वध करने के बाद जब भगवान श्री राम और माता सीता ने रामराज्य की स्थापना अयोध्या में की थी, तब कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को उपवास रखा था और सूर्य देव की पूजा अर्चना की थी, तब से ही छठ पूजा का प्रारंभ हुआ।

दूसरी कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, प्रियवंद नाम के एक राजा की कोई संतान नहीं थी। उन्होंने जब महर्षि कश्यप से इस बारे में बात की तब महर्षि ने उन्हें संतान प्राप्ति के लिए एक यज्ञ करने का विचार दिया। उस दौरान यज्ञ में आहुति के लिए बनाई गई खीर राजा की पत्नी मालिनी को खाने के लिए दी गई, जिसके बाद मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया लेकिन वह मृत पैदा हुआ।

राजा प्रियवंद मृत पुत्र के शव को लेकर श्मशान पहुंचे और पुत्र वियोग में अपना प्राण त्यांगने लगे। उसी वक्त ब्रह्मा की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं। उन्होंने राजा से कहा, मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हूं, इसलिए मेरा नाम षष्ठी भी है।

ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी राजा से कहती है तुम मेरी पूजा करो और लोगों में इसका प्रचार-प्रसार करो। माता षष्ठी के कहे अनुसार, राजा प्रियवंद ने पुत्र की कामना से माता का व्रत विधि विधान से किया, उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी थी। जिसके बाद उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई।

तीसरी कथा

एक प्रचलित कथा के अनुसार, छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल के दौरान हुई थी। सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके इस पर्व की शुरुआत की थी। कहते हैं कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। वह रोज घंटों पानी में खड़े होकर सूर्य देव की आराधना करते थे। सूर्य देव की कृपा से ही वह महान योद्धा बने थे, जिसके बाद से पानी में खड़े होकर अर्घ्य देने की परंपरा शुरू हुई।

चौथी कथा

छठ पूजा से संबंधित महाभारत काल की एक अन्य कथा भी प्रचलित है, जिसमें पांडवों और द्रौपदी ने अपना खोया हुआ धन दौलत और मान सम्मान पाने के लिए छठ पूजा किया था। फिर उन्हें छठी मैया ने खुश होकर उनका राजपाट वापस लौटा दिया।

Advertisement
Next Article