Chhath Puja 2025: लोक आस्था का महापर्व, खरना पर PM मोदी ने दी शुभकामनाएं, जानें क्या कहा?
Chhath Puja 2025 Wishes: लोक आस्था और श्रद्धा का प्रतीक छठ महापर्व देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। शनिवार को नहाय-खाय के साथ इसकी शुरुआत हो चुकी है, जबकि रविवार को पर्व का दूसरा दिन खरना मनाया जा रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और छठ व्रतियों के प्रति आदर व्यक्त किया।
Chhath Puja 2025 Wishes: पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा, “आप सभी को छठ खरना पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं। सभी व्रतियों को सादर नमन! श्रद्धा और संयम के प्रतीक इस पर्व पर गुड़ की खीर और सात्विक प्रसाद ग्रहण करने की परंपरा हमारे संस्कारों की सुंदर झलक पेश करती है। मेरी प्रार्थना है कि छठी मइया सब पर अपनी कृपा बरसाएं।” साथ ही उन्होंने दिनेश लाल यादव निरहुआ का प्रसिद्ध छठ गीत ‘सुख लेके उगिह, दुख लेके डुबिह’ भी शेयर किया, जो छठ मइया की भक्ति और भावनाओं को खूबसूरती से दर्शाता है। इस गीत के बोल अवधेश कुमार सिंह विमल बवारा ने लिखे हैं और संगीत अनिल अनमोल शर्मा ने दिया है।

PM Modi on Chhath Puja: नहाय-खाय से शुरू हुआ छठ पर्व
चार दिनों तक चलने वाला छठ पर्व शुद्धता, संयम और आस्था का प्रतीक है।पहले दिन यानी शनिवार को ‘नहाय-खाय’ की रस्म निभाई गई। इस दिन व्रती गंगाजल से स्नान करते हैं और सात्विक भोजन करते हैं। आमतौर पर इस दिन अरवा चावल, चना दाल, लौकी की सब्जी और आंवले की चटनी का प्रसाद बनाया जाता है। इसे ग्रहण करने के बाद व्रती अगले दिन के उपवास की तैयारी करते हैं।
Chhath Puja kharna 2025: खरना की धार्मिक परंपरा
छठ का दूसरा दिन खरना कहलाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन बिना अन्न और जल के उपवास रखते हैं।संध्या समय व्रती मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर, रोटी और केले से प्रसाद तैयार करते हैं। इसे छठी मइया को अर्पित किया जाता है और पूजा के बाद व्रती स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करते हैं। खरना के बाद व्रती अगले दो दिनों तक निर्जला उपवास रखते हैं, यानी वे न तो अन्न खाते हैं और न ही पानी पीते हैं।

खरना का आध्यात्मिक महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, खरना का प्रसाद अंतिम सात्विक भोजन होता है, जो व्रती को मन और शरीर से तपस्या के लिए तैयार करता है।माना जाता है कि खरना से लेकर पारण (अंतिम दिन) तक छठी मइया की विशेष कृपा व्रतियों पर बनी रहती है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मइया की आराधना का प्रतीक है, जिसमें प्रकृति, जल, वायु और सूर्य के प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है।
आस्था और श्रद्धा का संगम
छठ पूजा न केवल बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बल्कि अब पूरे देश और विदेशों में भी बड़े उत्साह से मनाई जाती है। यह पर्व लोगों को सादगी, शुद्धता और संयम का संदेश देता है। खरना का दिन व्रतियों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है, क्योंकि इसी दिन से कठिन तपस्या की शुरुआत होती है।

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