Chhath Puja 2025: 26, 27 या 28 कब है छठ पूजा, जानें नहाए- खाए से लेकर सूर्योदय अर्घ्य का शुभ मुहूर्त
Chhath Puja 2025: छठ पूजा एक ऐसा पर्व है, जो चार दिनों तक लगातार चलता है। इस पूजा में सूर्य देव और छठ मैया की पूजा का बहुत महत्व होता है। भारत में इस पर्व को मानाने के लिए लोग देश-विदेश से अपने घर आते हैं। इस साल दिवाली 20 अक्टूबर दिन सोमवार को पड़ रही है। हर घर में दिवाली की तैयारियां शुरू हो गई हैं, आज यानी 18 अक्टूबर को धनतेरस है। आज से 5 दिनों तक भारत में हर दिन धूम-धाम से सभी त्योहार मनाए जाएंगे। दिवाली के 6 दिन बाद छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है, जो हिंदू धर्म के लिए सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि उनकी भक्ति-भाव और आस्था है।
Chhath Puja Shubh Muhurat: छठ पूजा का शुभ मुहूर्त

इस साल छठ पूजा का पर्व 25 अक्टूबर से शुरू होकर 28 अक्टूबर को सूर्य अर्घ्य के साथ समाप्त होगी। छठ पूजा हर साल कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक चार दिनों तक चलने वाला महापर्व है। जिसमें मुख्य रूप से भगवान सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कि इस साल छठ पूजा किस दिन पड़ रही है और इसके दौरान क्या करना चाहिए।
इस दिन जो भी लोग व्रत रखते हैं, वो पवित्र नदी या घर में स्नान करके नए कपड़े पहनते हैं। फिर भोजन में लौकी-भात और चने की दाल का सेवन करते हैं। इस भोजन को ग्रहण करने के बाद से ही इस व्रत की शुरुआत हो जाती है।
Chhath Puja 2025 Rituals: छठ पूजा की विधि

छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता है। इस दिन व्रत रखने वाले लोग निर्जल रहते हैं, जिसके बाद शाम को सूर्यास्त के बाद गुड़ और चावल की खीर , पूड़ी और फलों का प्रसाद बनाकर छठी मैया को अर्पित करते हैं। व्रत रखने वाले लोग इस प्रसाद का सेवन करके अपना दिन का व्रत खोलते हैं। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद से ही 36 घंटे का कठोर निर्जला व्रत की शुरुआत होती है।
यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन है, जो कार्तिक शुक्ल पक्ष तिथि को पड़ता है। इस दिन सभी व्रती किसी पवित्र नदी तट पर इकट्ठा होते हैं। सूप में ठेकुआ, फल, गन्ना और समेत अन्य पारंपरिक प्रसाद सजाकर डूबते हुए सूर्य देव को पहला अर्घ्य देते हैं। इसके बाद अगले दिन सुबह भोर में गंगा घाट पर जाकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह सूर्य की पहली किरण की पूजा करने का प्रतीक है। अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके 36 घंटे का निर्जला व्रत खोलते हैं।
शुभ मुहूर्त
27 अक्टूबर को सूर्यास्त शाम 05 बजकर 40 मिनट पर होगा।
28 अक्टूबर को सूर्योदय सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर होगा।
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