नहाय-खाय के साथ कल से शुरू होगा छठ महापर्व! इस आरती से करें सूर्यदेव का गुणगान, हर मनोकामना होगी पूरी
Chhath Puja Suryadev Aarti: छठ पूजा भारत का एक प्रमुख और पवित्र पर्व है, जो दीवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य देव और छठी मैया की आराधना के लिए समर्पित है। इस वर्ष छठ पूजा 25 अक्टूबर (शनिवार) से शुरू हो रही है। छठ पूजा कुल चार दिनों तक चलती है। इन दिनों में व्रती (उपवास रखने वाले) लोग अत्यंत श्रद्धा और पवित्रता के साथ सूर्य देव की पूजा करते हैं।
Chhath Puja Suryadev Aarti: 4 दिनों में मनाया जाता है छठ महापर्व
इस वर्ष छठ पर्व 25 अक्टूबर से शुरू हो रहा है, और 28 अक्टूबर तक जारी रहेगा।
- पहला दिन – नहाय खाय: इस दिन व्रती शुद्ध होकर घर की सफाई करते हैं और भोजन में सात्विकता रखते हैं।
- दूसरा दिन – खरना: व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ और चावल की खीर बनाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।
- तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य: इस दिन ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। घाटों पर दीप जलाकर भक्ति गीत गाए जाते हैं।
- चौथा दिन – उषा अर्घ्य: अंतिम दिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और पूजा पूरी होती है। इसके बाद व्रतियों का उपवास समाप्त होता है।

Chhath Puja 2025: भक्ति और सादगी का प्रतीक
छठ पूजा की सबसे खास बात इसकी सादगी और शुद्धता है। इसमें किसी भव्य सजावट की आवश्यकता नहीं होती है, बस मन की पवित्रता और श्रद्धा ही सबसे बड़ी पूजा मानी जाती है। लोग सूर्य देव से स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हैं। यह त्योहार परिवार और समाज को एकता के सूत्र में बांधता है। वहीं इस अवसर पर लोग सूर्य देव की आरती कर उनकी पूजा करते हैं।

Suryadev Aarti Lyrics in Hindi: सूर्य देव की आरती
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
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