छत्तीसगढ़ में नीलाम खनिज ब्लॉकों में उत्पादन की राह हुई आसान, सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ की मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सरकार ने राज्य में खनन गतिविधियों को तेज करने के लिए एक बड़ा प्रशासनिक कदम उठाया है। नीलामी के बाद भी वर्षों तक रुकी पड़ी खदानों में अब जल्दी उत्पादन शुरू हो सकेगा। यह संभव हुआ है सतही अधिकार (सरफेस राइट) से जुड़ी नई व्यवस्था लागू होने के बाद, जिसे राज्य सरकार ने हाल ही में राजपत्र में प्रकाशित किया है।
Chhattisgarh News: केंद्र के निर्देशों को राज्य ने दिया मूर्त रूप
पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिए थे कि निजी भूमि पर सतही अधिकार प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए। केंद्र ने पाया था कि सैकड़ों खनिज ब्लॉकों की नीलामी के बावजूद बहुत कम ब्लॉकों में ही वास्तविक उत्पादन शुरू हो पाया था। मुख्य बाधा निजी भूमि मालिकों से सतही अनुमति प्राप्त होने में हो रही देरी थी। इसी समस्या के समाधान के लिए केंद्र ने सरफेस राइट्स फ्रेमवर्क जारी किया था। अब छत्तीसगढ़ सरकार ने इन दिशा-निर्देशों को अपनाते हुए पूरे राज्य में नई व्यवस्था लागू कर दी है।
Chhattisgarh News Today: कलेक्टर को मिलेगा मुआवजा तय करने का अधिकार
नई अधिसूचना के तहत जिले के कलेक्टर को अधिकार दिया गया है कि वे खनन पट्टे की सीमा में आने वाली निजी जमीनों के लिए वार्षिक सतही मुआवजा तय करें। पहले इस प्रक्रिया में लंबा समय लग जाता था, जिससे खदानों में उत्पादन वर्षों तक शुरू नहीं हो पाता था। अब कलेक्टर 30 दिनों के भीतर मुआवजा तय करेंगे, जिससे खनन कंपनियों को समय पर जमीन तक कानूनी पहुंच मिल सकेगी। अगर राज्य सरकार किसी क्षेत्र में अलग से अधिकृत अधिकारी नियुक्त नहीं करती, तो कलेक्टर ही डिफ़ॉल्ट रूप से अधिकृत अधिकारी माने जाएंगे। यह व्यवस्था पूरे छत्तीसगढ़ में 23 अक्टूबर 2025 से लागू हो चुकी है।
मुआवजा तय करने की समयसीमा और भुगतान नियम
नई प्रणाली के तहत, हर साल 30 जून तक वार्षिक सतही मुआवजा देना अनिवार्य होगा। अगर खनन कार्य वर्ष के बीच में शुरू किया जाता है, तो प्रो-राटा आधार पर मुआवजा देना पड़ेगा। सफल बोलीदाता के अनुरोध के बाद अधिकारी को 90 दिनों के भीतर मुआवजे की राशि निर्धारित करनी होगी। इससे प्रक्रिया पारदर्शी होगी और अनावश्यक देरी खत्म होगी।
खनन पट्टाधारियों को जमीन में तुरंत प्रवेश का अधिकार
राज्य सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि खनन कंपनियों को पट्टा अवधि के दौरान किसी भी समय अपने लीज क्षेत्र में प्रवेश का अधिकार मिलेगा। इससे वे, सर्वेक्षण, अन्वेषण, उत्पादन कार्य समय पर कर सकेंगे, और खनन परियोजनाओं में तेज प्रगति होगी।
नई व्यवस्था के लाभ
इस कदम से कई बड़े फायदे मिलने की उम्मीद है। नीलामी के बाद खदानें वर्षों तक बंद नहीं रहेंगी। सतही अधिकार समय पर मिलने से 18 महीनों के भीतर खनन शुरू किया जा सकेगा। भूमि मालिकों को सरकारी अधिकारी द्वारा तय न्यायसंगत और पारदर्शी मुआवजा मिलेगा। खनन कंपनियों को बिचौलियों से निपटने की जरूरत नहीं होगी। लीज निरस्तीकरण जैसे विवादों से बचाव होगा।
खनन क्षेत्र में नया मोड़
नई अधिसूचना के बाद छत्तीसगढ़ उन अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है जिन्होंने सतही अधिकार ढांचे को पूरी तरह लागू किया है। इससे राज्य में खनन परियोजनाओं की गति बढ़ेगी, निवेश को बढ़ावा मिलेगा और खनन क्षेत्र में पारदर्शिता व सतत विकास सुनिश्चित होगा।
यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में 200 यूनिट तक बिजली बिल पर 50% छूट, CM विष्णु देव साय सरकार ने कैबिनेट बैठक में लिया बड़ा फैसला