Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

चीन और पाक को विदेश मंत्रालय ने दिया मुंहतोड़ जवाब , कहा जम्मू कश्मीर है भारत का हिस्सा

NULL

05:45 PM Aug 13, 2017 IST | Desk Team

NULL

आज सरकार ने स्पष्ट किया है कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा है और यह चीन और पाकिस्तान को उच्चतम स्तरों सहित कई अवसरों पर स्पष्ट कर दिया गया है। चीन ने भारत के 43,180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है जबकि पाकिस्तान का जम्मू कश्मीर के 78 हजार वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा है।

सूचना के अधिकार (RTI) के तहत विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 1962 के बाद से जम्मू कश्मीर में भारत की भूमि का लगभग 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूभाग चीन के कब्जे में है।

मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक इसके अतिरिक्त 2 मार्च 1963 को चीन तथा पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित तथाकथित चीन.पाकिस्तान “सीमा करार ” के तहत पाकिस्तान ने पाक अधिकृत कश्मीर के 5180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अवैध रूप से चीन को दे दिया था।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि जम्मू कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा है और यह बात उच्चतम स्तरों सहित कई अवसरों पर चीन को सूचित कर दी गई है। विदेश मंत्रालय का यह बयान ऐसे समय में महत्वपूर्ण है जब चीन के “वन बेल्ट, वन रोड ” को लेकर दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। यह गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। इसी कारण भारत ने चीन के “वन बेल्ट, वन रोड” पर आयोजित सम्मेलन का बहिष्कार किया था।

इसके साथ ही सिक्किम सेक्टर में डोकलाम विवाद को लेकर दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। हाल ही में जब भारत ने सुझाव दिया था कि दोनों देश डोकलाम से एक साथ अपनी सेनाएं हटा लें, तब चीन ने इस सुझाव को मानने से इनकार किया था। चीन के विदेश मंत्रालय में सीमा एवं समुद्री मामलों की उपमहानिदेशक वांग बेन्ली ने कहा था कि नई दिल्ली क्या करेगा अगर वह उथराखंड के कालापानी या कश्मीर में घुस जाए।

एक अन्य RTI के जवाब में विदेश मंत्रालय के पीएआई प्रकोष्ठ ने बताया कि जहां तक पाकिस्तान की ओर से भारतीय क्षेत्र पर कब्जे का सवाल है, यह बताया जाता है कि पाकिस्तान का जम्मू कश्मीर के 78 हजार वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा है। इसके अलावा उसने चीन..पाकिस्तान सीमा समझौते के तहत 5180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अवैध रूप से चीन को दे दिया था।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार का रूख् पूरी तरह से स्पष्ट है और जम्मू कश्मीर भारत का अटूट हिस्सा है। शिमला समझौते के तहत भी भारत सरकार और पाकिस्तान की सरकार जम्मू कश्मीर के विषय समेत सभी लंबित मुद्दों का द्विपक्षीय वार्ता के जरिये समाधान निकालने को प्रतिबद्ध हैं। इसकी प्रतिबद्धता भारत सरकार संसद में भी व्यक्त कर चुकी है। मंत्रालय ने बताया कि यह बात पाकिस्तान सरकार को भी कई अवसरों पर बताई जा चुकी है। इस रूख को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष उच्चतम स्तर पर भी व्यक्त किया जा चुका है।

सूचना के अधिकार के तहत ने विदेश मंत्रालय से यह पूछा था कि चीन और पाकिस्तान ने भारत के कितने क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है और इस बारे में सरकार ने क्या पहल की है ? चीन के साथ सीमा विवाद और घुसपैठ के बारे में एक सवाल के जवाब में रक्षा मंत्रालय के समन्वित मुख्यालय ने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमांकन औपचारिक रऊप से नहीं किया गया है, ऐसे में वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर दोनों पक्षों में गश्ती को लेकर अपनी अपनी समझ है, इसके कारण अस्थायी तौर पर अतिक्रमण की घटनाएं होती हैं।

इसमें कहा गया है कि किसी तरह के मतभेद होने की स्थिति में सीमाकर्मियों के बीच बैठक या सैन्यकर्मियों के बीच फ्लैग बैठक के जरिये सूचनाओं के आदान प्रदान की सुव्यवस्थित प्रणाली है। इस संबंध में सीमा पर शांति एवं स्थिरता संबंधी समझौता (1993), सैन्य क्षेत्र में विश्चवास बहाली के उपाय (1996) और साल 2005 के विश्वास बहाली के उपाय लागू करने की रूपरेखा संबंधी प्रोटोकाल के तहत कदम उठाये जाते हैं।

एक अन्य RTI के जवाब में रक्षा मंत्रालय के समन्वित मुख्यालय (एचक्यू) ने बताया कि पिछले करीब दो वर्षाे के दौरान जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास सेना की परिचालनात्मक कमान के तहत संघर्ष विराम के उल्लंघन के 583 मामले सामने आए हैं, जिसमें सेना के 15 जवान शहीद हुए हैं।

सूचना के अधिकार के तहत रक्षा मंत्रालय के समन्वित मुख्यालय (एचक्यू) के सैन्य परिचालन महानिदेशालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास सेना की परिचालनात्मक कमान के तहत 3 जुलाई 2015 से 3 जुलाई 2017 के बीच संघर्ष विराम के उल्लंघन के 583 मामले सामने आए हैं। 2015 में इस अवधि में ऐसे 135 मामले सामने आए जिनमें 4 जवान शहीद हुए। 2016 में संघर्ष विराम के उल्लंघन के 228 मामले सामने आए जिनमें 8 जवान शहीद हुए और 3 जुलाई 2017 तक ऐसे 220 मामले सामने आए जिनमें 3 जवान शहीद हुए।

लोकसभा में कुछ समय पहले पेश दस्तावेजों में मंत्रालय ने कहा था कि साल 1996 में चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति च्यांग चेमिन की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने एलएसी पर सैन्य क्षेत्र में विश्वास बहाली के कदम के बारे में समझौते पर हस्ताक्षर किए थे । जून 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की चीन यात्रा के दौरान दोनों पक्षों में से प्रत्येक ने इस बारे में विशेष प्रतिनिधि नियुक्त करने पर सहमति जताई थी ताकि सीमा मुद्दे के समाधान का ढांचा तैयार करने की संभावना तलाशी जा सके । इस विषय पर अब तक दोनों पक्षों की कई बैठकें हो चुकी है लेकिन सीमा विवाद पर कोई प्रगति होती नहीं दिख रही है ।

Advertisement
Advertisement
Next Article