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श्रीलंका में चीन के दूतावास ने अपने नागरिकों को प्रदर्शन से दूर रहने की हिदायत दी

श्रीलंका में अरबों डॉलर का निवेश करने वाले चीन ने द्वीप देश में मौजूद अपने सैकड़ों नागरिकों को वहां किसी भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेने की चेतावनी दी है। चीन श्रीलंका की स्थिति पर पैनी नजर रख रहा है, जहां सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास पर धावा बोल दिया और प्रधानमंत्री के आवास में आग लगा दी।

01:56 AM Jul 11, 2022 IST | Shera Rajput

श्रीलंका में अरबों डॉलर का निवेश करने वाले चीन ने द्वीप देश में मौजूद अपने सैकड़ों नागरिकों को वहां किसी भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेने की चेतावनी दी है। चीन श्रीलंका की स्थिति पर पैनी नजर रख रहा है, जहां सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास पर धावा बोल दिया और प्रधानमंत्री के आवास में आग लगा दी।

श्रीलंका में चीन के दूतावास ने अपने नागरिकों को प्रदर्शन से दूर रहने की हिदायत दी
श्रीलंका में अरबों डॉलर का निवेश करने वाले चीन ने द्वीप देश में मौजूद अपने सैकड़ों नागरिकों को वहां किसी भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेने की चेतावनी दी है। चीन श्रीलंका की स्थिति पर पैनी नजर रख रहा है, जहां सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास पर धावा बोल दिया और प्रधानमंत्री के आवास में आग लगा दी।
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सरकार के नियंत्रण वाले अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ के मुताबिक कोलंबो में चीनी दूतावास ने शनिवार को एक नोटिस जारी किया, जिसमें श्रीलंका में चीनी नागरिकों को स्थानीय सुरक्षा स्थिति पर पूरा ध्यान देने और विरोध के फैलने के मद्देनजर स्थानीय कानूनों और नियमों का पालन करने की हिदायत दी। अखबार के मुताबिक, चीनी नागरिकों से कहा गया है कि वे किसी भी प्रदर्शन में शामिल नहीं हों।
दूतावास ने चीनी नागरिकों से ना तो किसी प्रदर्शन में हिस्सा लेने, ना किसी प्रदर्शन को देखने के लिए बाहर निकलने को कहा। दूतावास ने यह भी सुझाव दिया कि चीनी नागरिक सतर्क रहें, सुरक्षित रहें, बाहर जाने से बचें और दूतावास के नोटिस तथा समय-समय पर दी जाने वाली सूचनाओं से अवगत रहें। चीन के सैकड़ों नागरिक श्रीलंका में अरबों डॉलर के निवेश से बनाई जा रही चीन की विभिन्न परियोजनाओं में काम करते हैं। इन परियोजनाओं में हंबनटोटा बंदरगाह और कोलंबो बंदरगाह शहर परियोजना शामिल हैं।
चीन ने आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका को कुछ लाख डॉलर की सहायता प्रदान की है और हाल में चावल की बड़ी खेप भेजी थी, लेकिन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे या उनके भाई पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे द्वारा चीनी ऋण की अदायगी टालने के लिए मांगी गई बड़े पैमाने पर मौद्रिक सहायता प्रदान नहीं की। चीन के इस इनकार के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं है।
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