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सियासी संकट से जूझ रहे हांगकांग में बढ़ी चीन की दादागीरी, विधान परिषद में निर्वाचित सीटों की संख्या कम की

चीन ने हांगकांग विधान परिषद में निर्वाचित सीटों की संख्या कम कर दी है जो पहले से ही सियासी संकट से जूझ रहे लोकतंत्र के लिए एक झटका है। चीन की शीर्ष विधायिका की दो दिवसीय बैठक के बाद मंगलवार को इन बदलावों की घोषणा की गई।

03:20 PM Mar 30, 2021 IST | Desk Team

चीन ने हांगकांग विधान परिषद में निर्वाचित सीटों की संख्या कम कर दी है जो पहले से ही सियासी संकट से जूझ रहे लोकतंत्र के लिए एक झटका है। चीन की शीर्ष विधायिका की दो दिवसीय बैठक के बाद मंगलवार को इन बदलावों की घोषणा की गई।

चीन ने हांगकांग विधान परिषद में निर्वाचित सीटों की संख्या कम कर दी है जो पहले से ही सियासी संकट से जूझ रहे लोकतंत्र के लिए एक झटका है। चीन की शीर्ष विधायिका की दो दिवसीय बैठक के बाद मंगलवार को इन बदलावों की घोषणा की गई।
नयी व्यवस्था के अनुसार, विधान परिषद की सीटों का विस्तार 90 तक कर दिया गया है और केवल 20 सीटों पर ही सदस्य जनता द्वारा निर्वाचित होकर आएंगे। अभी विधान परिषद की 70 में से आधी सीटों पर सदस्य सीधे निर्वाचित होकर आते थे।चीन ने पिछले साल हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया था और इस साल वह चुनावी प्रक्रिया में बदलाव कर रहा है।
हांगकांग में 2019 में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों में हजारों लोग सड़कों पर उतरे थे और जब सरकार ने प्रदर्शनकारियों की मांग मानने से इनकार कर दिया तो प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए थे। चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने हांगकांग के संविधान में संशोधनों को मंजूरी दी, जिससे शहर के विधानमंडल पर बीजिंग का नियंत्रण बढ़ जाएगा।
नयी विधान परिषद में 20 निर्वाचित सदस्य होंगे, 30 सदस्य निर्वाचन क्षेत्रों द्वारा चुने जाएंगे और 40 सदस्य चुनाव समिति द्वारा चुने जाएंगे जो शहर के नेता का चुनाव करेगी। चुनाव समिति के सदस्य 1,200 से बढ़ाकर 1,500 किए जाएंगे। इस समिति में बीजिंग की केंद्र सरकार के समर्थकों की संख्या अधिक है।
हांगकांग में राजनीतिक विपक्ष इन बदलावों को उन्हें शासन से दूर रखने के वृहद प्रयासों के तौर पर देखता है। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने मार्च में रखे उस प्रस्ताव पर मुहर लगाई है जिसमें स्थायी समिति को मूल कानून में बदलाव करने का अधिकार दिया गया। हांगकांग में अब चुनाव कानूनों में बदलाव किया जाएगा और संशोधित कानून के तहत ही चुनाव कराए जाएंगे।

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