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धूम्रपान करने वालों और शाकाहारियों में ‘सीरो पॉजिटिविटी’ कम : रिपोर्ट

धूम्रपान करने वालों और शाकाहारी भोजन करने वालों में ‘सीरो पॉजिटिविटी’ कम पाई गई है और साथ ही ‘ओ’ रक्त समूह वाले लोगों के कोरोना वायरस से प्रभावित होने की आशंका कम है।

04:46 PM Apr 25, 2021 IST | Desk Team

धूम्रपान करने वालों और शाकाहारी भोजन करने वालों में ‘सीरो पॉजिटिविटी’ कम पाई गई है और साथ ही ‘ओ’ रक्त समूह वाले लोगों के कोरोना वायरस से प्रभावित होने की आशंका कम है।

धूम्रपान करने वालों और शाकाहारियों में ‘सीरो पॉजिटिविटी’ कम   रिपोर्ट
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धूम्रपान करने वालों और शाकाहारी भोजन करने वालों में ‘सीरो पॉजिटिविटी’ कम पाई गई है और साथ ही ‘ओ’ रक्त समूह वाले लोगों के कोरोना वायरस से प्रभावित होने की आशंका कम है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा समूचे भारत में कराए गए सीरो सर्वेक्षण का उद्देश्य कोविड-19 के पीछे जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज की मौजूदगी और संक्रमण के संभावित जोखिमों का पता लगाने और वायरस को बेअसर करने की उनकी क्षमता को मालूम करना था।
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यह अध्ययन 140 वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने किया है जिसमें शहरी और अर्ध शहरी केंद्रों में सीएसआईआर की 40 से ज्यादा प्रयोगशालाओं में काम करने वाले 10,427 वयस्कों और उनके परिवार के सदस्यों का आकलन किया गया। इन लोगों ने स्वेच्छा से अध्ययन में हिस्सा लिया।
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सर्वेक्षण में सामने आया कि कोविड-19 सांस संबंधी बीमारी होने के बावजूद धूम्रपान इससे प्रथम पंक्ति का बचाव कर सकता है क्योंकि यह अधिक बलगम बनाता है। हालांकि, इसमें आगाह किया गया है कि कोरोना वायरस संकमण पर धूम्रपान और निकोटिन के प्रभाव को समझने के लिए अधिक केंद्रित कार्यविधिक अध्ययनों की जरूरत है।
अनुसंधान पत्र में कहा गया, “धूम्रपान को स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक माना जाता है और यह कई बीमारियों से जुड़ा होता है तथा अध्ययन के परिणामों को इसको बढ़ावा देने वाला नहीं माना जाना चाहिए, खासकर यह जानकर कि यह संबंध अभी पूरी तरह स्थापित नहीं हुआ है।”
अध्ययन में पता चला कि शाकाहारी भोजन रेशों से भरपूर होता है जो कोविड-19 के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता उपलब्ध कराने में भूमिका निभा सकता है। शाकाहार में आंतों में मौजूद सूक्ष्म कीटाणुओं का रूप परिवर्तित कर सूजन रोधी विशेषताएं होती हैं। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि जिन लोगों का रक्त समूह ‘ओ’ है, उनमें संक्रमण का खतरा कम होता है जबकि ‘बी’ और ‘एबी’ रक्त समूह वालों में जोखिम अधिक है।
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