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दिल्ली में प्रदूषण की मार के बीच इन 5 इलाकों में की गई क्लाउड सीडिंग, कुछ घंटों में होगी आर्टिफिशियल रेन

03:52 PM Oct 28, 2025 IST | Amit Kumar
Cloud Seeding Delhi,credit (S-M)

Cloud Seeding Delhi: दिल्ली में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण से लोगों को राहत दिलाने के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। राजधानी में पहली बार कृत्रिम (आर्टिफिशियल) बारिश कराने की योजना पर काम शुरू किया गया है। इस पहल के तहत आईआईटी कानपुर की टीम की मदद से क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया पूरी की गई।

Cloud seeding Meaning: क्लाउड सीडिंग क्या है?

क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक तकनीक है, जिसके ज़रिए बादलों में कुछ खास रासायनिक पदार्थ जैसे सिल्वर क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड छोड़े जाते हैं। इन रसायनों की मदद से बादलों में नमी बढ़ती है और बारिश होने की संभावना अधिक हो जाती है।

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Cloud Seeding Delhi, credit (S-M)

Artificial Rain in Delhi: किन इलाकों में हुआ ट्रायल

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने जानकारी दी कि क्लाउड सीडिंग का पहला ट्रायल राजधानी के कुछ हिस्सों में किया गया। इनमें मयूर विहार, करोल बाग, भोजपुर, सादकपुर और बुराड़ी इलाके शामिल हैं। सिरसा ने बताया कि ट्रायल के लिए कानपुर से आए विशेष विमान का उपयोग किया गया।

Cloud Seeding Delhi: कितनी फ्लेयर्स छोड़ी गईं

इस ट्रायल में कुल आठ फ्लेयर्स छोड़ी गईं, जिनका वजन प्रत्येक का लगभग 2 से 2.5 किलोग्राम था। इन फ्लेयर्स ने बादलों में सिल्वर क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड के कण छोड़े। इस प्रक्रिया के दौरान वातावरण में नमी लगभग 15 से 20 प्रतिशत थी।

Cloud Seeding Delhi,credit (S-M)

कितनी देर तक चला ट्रायल

पर्यावरण मंत्री ने बताया कि क्लाउड सीडिंग का ट्रायल लगभग आधे घंटे तक चला। प्रक्रिया पूरी होने के बाद विमान को मेरठ एयरपोर्ट पर लैंड करवाया गया। आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों के अनुसार, क्लाउड सीडिंग के 15 मिनट से 4 घंटे के अंदर बारिश होने की संभावना रहती है।

क्या होगा आगे का प्लान?

सिरसा ने कहा कि अगर यह ट्रायल सफल रहता है, तो आने वाले दिनों में इसे बड़े स्तर पर लागू किया जाएगा। अगले कुछ दिनों में सरकार 9 से 10 और ट्रायल करने की योजना बना रही है। दूसरा ट्रायल दिल्ली के बाहरी इलाकों में किया जाएगा।

प्रदूषण से राहत की उम्मीद

दिल्ली में सर्दियों के मौसम में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। आर्टिफिशियल बारिश से उम्मीद है कि हवा में मौजूद प्रदूषक कण नीचे बैठ जाएंगे और वायु गुणवत्ता में सुधार होगा। सिरसा ने कहा कि अगर यह प्रयोग सफल रहता है, तो यह दिल्ली के लिए एक लॉन्ग-टर्म सॉल्यूशन बन सकता है।

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