जम्मू-कश्मीर में बादल फटने से तबाही, रामबन में 40 घर क्षतिग्रस्त
रामबन में बादल फटने से 40 घर क्षतिग्रस्त, दर्जनों वाहन बहे
जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में बादल फटने और मूसलाधार बारिश से 40 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। प्रशासन ने तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू कर 100 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। प्रभावित इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। नीति-निर्माताओं से अपेक्षा की जा रही है कि वे दीर्घकालिक समाधान और पूर्व चेतावनी प्रणाली को सुदृढ़ बनाएं।
जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में रविवार तड़के बादल फटने और मूसलाधार बारिश के कारण भारी तबाही मची है। अचानक आई बाढ़ से इलाके में अफरा-तफरी मच गई और कई घर बह गए या क्षतिग्रस्त हो गए। प्रशासन के अनुसार 40 से अधिक घरों को नुकसान पहुंचा है, जबकि कई गाड़ियां बाढ़ में बह गईं। हालात को देखते हुए प्रशासन ने तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है। अब तक 100 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। प्रभावित इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। वहीं, मौसम विभाग ने अगले कुछ घंटों में और बारिश की संभावना जताई है।
लगातार बारिश से बिगड़े हालात, भूस्खलन ने बढ़ाई मुसीबत
रामबन और आसपास के इलाकों में लगातार हो रही बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। भारी वर्षा के कारण कई जगहों पर भूस्खलन हुआ है, जिससे गांवों का संपर्क टूट गया है। खासकर जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) पर नाशरी से बनिहाल के बीच करीब दर्जनभर स्थानों पर भूस्खलन और मिट्टी खिसकने की घटनाएं सामने आई हैं। प्रशासन ने यातायात पूरी तरह बंद कर दिया है और सफर न करने की अपील की है।
प्रशासन की सतर्कता से टली बड़ी त्रासदी
स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन बल की तत्परता के चलते बड़ी जनहानि टल गई। प्रशासन ने समय रहते राहत कार्य शुरू कर 100 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। एसडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवक संयुक्त रूप से राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। प्रभावित परिवारों को अस्थायी शिविरों में भोजन और चिकित्सा सहायता दी जा रही है।
पर्यावरणीय चेतावनी: लगातार बढ़ रहे बादल फटने की घटनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी इलाकों में जलवायु परिवर्तन के कारण बादल फटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। यह न सिर्फ पर्यावरण के लिए खतरा है, बल्कि यहां के निवासियों के जीवन और आजीविका पर भी गंभीर असर डालता है। नीति-निर्माताओं से अपेक्षा की जा रही है कि वे दीर्घकालिक समाधान और पूर्व चेतावनी प्रणाली को सुदृढ़ बनाएं।