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'मस्जिदों में नहीं लगाना चाहिए अशोक स्तंभ', कट्टरपंथियों के संग मिले CM उमर अब्दुल्ला

08:59 AM Sep 08, 2025 IST | Neha Singh
 मस्जिदों में नहीं लगाना चाहिए अशोक स्तंभ   कट्टरपंथियों के संग मिले cm उमर अब्दुल्ला
CM Omar Abdullah
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CM Omar Abdullah: श्रीनगर की प्रसिद्ध हजरतबल मस्जिद इन दिनों एक नए विवाद के चलते सुर्खियों में है। मस्जिद में हाल ही में हुए नवीनीकरण के दौरान एक पट्टिका पर राष्ट्रीय प्रतीक (अशोक स्तंभ) लगाए जाने को लेकर स्थानीय लोगों ने नाराज़गी जताई। इसे धार्मिक स्थल पर अनुचित दखल मानते हुए विरोध शुरू हो गया। इतना ही नहीं मामला तब और गरमा गया जब कुछ अज्ञात लोगों ने उस पट्टिका को तोड़ दिया। इसके बाद जम्मू-क्शमीर के मुख्यमंत्री ने भी कट्टरपंथियों जैसा ही बयान दिया है।

CM Omar Abdullah
CM Omar Abdullah

Hazratbal Mosque News: मस्जिद पहुंचे सीएम

6 सितंबर को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के मौके पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला हजरतबल मस्जिद पहुंचे। उन्होंने मगरिब (शाम की) नमाज़ अदा की और पैगंबर मोहम्मद से जुड़े पवित्र चिह्न के दीदार में भाग लिया। उनके साथ जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, मुख्यमंत्री के सलाहकार नासिर असलम वानी और जदीबल के विधायक तनवीर सादिक भी मौजूद थे।

National Emblem Controversy: मस्जिदों में नहीं होने चाहिए प्रतीक

वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. दरख़्शां अंद्राबी द्वारा प्रतीक को नुकसान पहुंचाने वालों के ख़िलाफ़ जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत कार्रवाई की चेतावनी पर टिप्पणी करते हुए, उमर ने कहा कि पहली गलती लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना थी और इसके लिए माफ़ी मांगना ही सही होता। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि प्रतीक सरकारी कार्यालयों में होते हैं, मंदिरों, मस्जिदों या दरगाहों में नहीं।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हज़रतबल दरगाह में जो हुआ, वह नहीं होना चाहिए था। हमने पहले कभी किसी दरगाह या समारोह में राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों का प्रदर्शन नहीं देखा। हज़रतबल में इसे लगाने की कोई जूरूरत नहीं है।

CM Omar Abdullah: 'किसी पट्टिकी की कोई जरूरत नहीं'

उन्होंने कहा कि अगर हज़रतबल दरगाह का सौंदर्यीकरण और विकास कार्य ईमानदारी से किया गया होता, तो लोग बिना किसी पट्टिका के भी इसे पहचानते और स्वीकार करते। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस दरगाह का निर्माण शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने करवाया था, उन्होंने इसकी मरम्मत भी करवाई, लेकिन उन्होंने कभी भी किसी पट्टिका या पत्थर का इस्तेमाल निजी श्रेय लेने के लिए नहीं किया फिर भी उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है।

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