‘अपराधों की रोकथाम के लिए कम्युनिटी पुलिसिंग बहुत जरूरी’
बेटों के अंदर डालने होंगे महिला सम्मान के बीज: किरण चोपड़ा
महिला उत्पीड़न व बलात्कार आज समाज की बहुत बड़ी समस्या है। इसके प्रिवेंशन के उपाय करना जरूरी है। इसके लिए कम्युनिटी पुलिसिंग या सामाजिक पुलिसिंग बहुत जरूरी है। पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी ने उक्त विचार प्रकट किए। उन्होंने पीएआरआई द्वारा आयोजित कन्वेंशन में कहा कि आज जब कोई लड़का स्कूल छोड़ता है या फेल हो जाता है तो इसका ध्यान रखना परिवार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। जब वह स्कूल छोड़ता है तो क्राइम व बलात्कार जैसे जघन्य अपराध कर सकता हैं। ऐसे में कम्युनिटी पुलिसिंग बहुत जरूरी है। इसमें टीचर, मां-बाप व पंचायत का अपना अलग रोल होता है। इसमें एनजीओ,आरडब्ल्यूए, मार्केट एसोसिएशन भी अपनी भूमिका निभाते हैं। इससे सभी की निगरानी बढ़ जाती है। जब सब अपनी भूमिका अलग-अलग निभाते हैं तो क्राइम रेट में गिरावाट आती है। उन्होंने आगे कि प्रिवेंशन बहुत जरूरी है यदि हमें प्रिवेंशन नहीं करेंगे तो फायर फाइटिंग करेंगे। इससे कुछ हासिल नहीं होने वाला। उन्होंने कहा कि बिगड़े लोगों या अपराधियों को केवल पर्सनल बॉड पर ही जमानत नहीं मिलनी चाहिए। उनको कंडीशनल बेल मिलनी चाहिए। इसमें किसी एनजीओ को रिपोर्ट करना, क्षेत्र के एमएलए को रिपोर्ट करना शामिल होना चाहिए। इसमें पुलिस व डीएम की भी जिम्मेदारी बनती है।
बलात्कार पीड़िता से शादी करने वालों का किया जाए सम्मान: किरण चोपड़ा
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में चिंताजनक वृद्धि के मद्देनजर पीपल अगेंस्ट रेप्स इन इंडिया (पीएआरआई) द्वारा सोमवार को एक कन्वेंशन का आयोजन किया गया। नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित इस कन्वेंशन का उद्देश्य सरकारी निकायों, नीति निर्माताओं, कानूनी विशेषज्ञों, शिक्षकों, लॉ इन्फोर्समेंट अधिकारियों, मीडिया हाउस और एनजीओ के प्रतिनिधियों सहित प्रमुख स्टेक होल्डर्स के बीच सार्थक संवाद और सहयोग को बढ़ावा देना है। इस दौरान पंजाब केसरी की सीएमडी व वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन किरण चोपड़ा ने कहा कि आज की चर्चा का विषय बेहद गंभीर व संवेदनशील है।
उन्होंने कहा कि आज देश के लिए काला दिन है। एक मां ने अपनी बेटी को खोया और इस बात को 12 साल हो गये। उन्होंने कहा कि मैं भी महिला हूं और महिला के दर्द को समझती हूं। उन्होंने कहा कि निर्भया व कोलकाता कांड भारतीय संस्कृति को चुनौती देते हैं क्योंकि हमारी संस्कृति में महिला का सम्मान होता है। जबकि अब महिला को भोग की वस्तु समझा जाता है। हमें पुरुषों के अंदर यह भावना लानी होगी कि महिला भोग की वस्तु नहीं है। किरण चोपड़ा ने कहा कि आज हमें अपने बेटों के अंदर महिला सम्मान के बीज डालने होंगे, उसे बताना पड़ेगा कि यह महिला आपकी बहन-बेटी है, इसका सम्मान व रक्षा आपकी जिम्मेदारी है। बहन-बेटी की रक्षा करने वाले बेटों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बलात्कार पीड़िता से शादी करने वालों का भी सम्मान होना चाहिए। इस दौरान सामाजिक कार्यकार्ता शोभा विजेन्द्र ने कहा कि हमारे देश में कम्युनिटी पुलिसिंग नहीं है और पुलिस सुधारों की रफ्तार भी धीमी है। पीड़ित को डराया-धमकाया जाता है। इसको लेकर सख्त प्रावधान किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में महिला को देवी समझा जाता, लेकिन असल तथ्यों को भुला दिया जाता है।
हमें अपने बच्चों को नैतिक शिक्षा के साथ-साथ ऐसी परवरिश देनी होगी जिससे वो महिलाओं का सम्मान करें। यह सरकार का काम नहीं है बल्कि हमें स्वयं यह काम करना होगा। उन्होंने कहा कि हालांकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसके अनुरूप बदलाव किए गए हैं। वहीं जाने-माने पत्रकार आशोक श्रीवास्तव ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि क्राइम अगेंस वूमैन बड़ी समस्या है। इस मुद्दे पर सभी को संवेदनशील बनना होगा। घर के बेटों को महिलाओं के आदर के बारे में बताना होगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ हुए अपराधों को लेकर सिस्टम को संवेदनशील होना पड़ेगा। लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसियों को इस बारे में गंभीरता से काम करना होगा।
यौन अपराध बड़ी गंभीर व समाज को झकझाेरने वाली समस्या: भयाना
इस दौरान पीएआरआई की संस्थापक योगिता भयाना ने कहा कि आज यौन अपराध बड़ी गंभीर व समाज को झकझाेरने वाली समस्या है। इसका समाधान सरकार के दृढ़ संकल्प व समाज के प्रयासों से आएगा। हमारी संस्था 2012 से यौन हिंसा से पीड़ितों का समर्थन करने और प्रणाली गत सुधारों की वकालत करने के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा कि हमारे व्यापक जमीनी अनुभव और भारत भर में मामलों को संभालने में प्रत्यक्ष भागीदारी से आकर्षित होकर, हम सभी स्टेक होल्डर्स और भारत सरकार को पेश करने के लिए एक व्यापक ज्ञापन और नीति सुझाव तैयार कर रहे हैं।
बेटियों को सुरक्षित करने के लिए आज भी हमें करना पड़ रहा संघर्ष: आशा देवी
बेटियों को सुरक्षित करने के लिए
हमें आज भी करना पड़ रहा संघर्ष
इस दौरान निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि बेटियों को सुरक्षित करने के लिए हमें आज भी संघर्ष करना पड़ रहा है। पीडितों को न्याय मिलने में देर सबसे बड़ी समस्या है। 9 साल से ज्यादा समय तक एक कोर्ट में फैसला नहीं होता। इससे आगे के फैसले में भी देरी हो जाती है। देश का क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के हालात खराब हैं।
महिलाओं के स्वास्थ्य की
सुरक्षा मेरा पहला उद्देश्य
सरदार पटेल स्कूल में पढ़ने वाली 16 वर्षीय छात्रा यशाया ग्रोवर ने बताया कि वे सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन को ग्रामीण क्षेत्रों में प्रमोट करना चाहती है। महिलाओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा मेरा पहला उद्देश्य है। पीएआरआई के माध्यम से मुझे ऐसा बड़ा प्लेटफॉर्म मिला है। मैं अपने बाल सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित महिलाओं को देती हूं। यशाया ने बताया कि वे पीएम मोदी व सुधा मार्ति से अपने इस कार्य के बारे में बता चुकी हैं।