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आतिशी को सबसे कम उम्र की सीएम​ बनने पर मुबारक

04:15 AM Sep 22, 2024 IST | Kiran Chopra

गर्व की बात है कि कम उम्र की आतिशी सबसे युवा महिला मुख्यमंत्री होंगी। वह दिल्ली की 9वीं मुख्यमंत्री होंगी। इसके अलावा वह सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद तीसरी महिला सीएम होंगी। आम आदमी पार्टी के विधायक दल ने 17 सितम्बर को केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आतिशी का नाम सीएम के रूप में फाइनल किया था। राष्ट्रपति मुर्मू ने 20 सितम्बर को केजरीवाल के इस्तीफे काे स्वीकार करने के साथ आतिशी को सीएम नियुक्त करने की इजाजत दी।
एक महिला व पत्रकार होने के नाते तथा सामाजिक होने के नाते हर महिला पर नजर रखती हूं। कोई भी महिला आगे बढ़ती है तो मुझे ऐसे ही खुशी होती है जैसे मैं आगे बढ़ी। जैसे मुर्मू राष्ट्रपति बनीं तो मुझे इतनी खुशी हुई कि मैंने कई आर्टिकल लिखे और गर्व महसूस करती हूं कि महिला कहां से उठकर जिन्दगी की कठिनाई, चुनौतियों को पार करते हुए राष्ट्रपति बनीं। सब आम खास महिलाओं के लिए गर्व की बात है। यही नहीं दिल्ली की पहली महिला सीएम सुषमा स्वराज और दूसरी महिला सीएम शीला दीक्षित से मेरा बहुत ही स्नेह का पारिवारिक रिश्ता रहा। दोनों के साथ मेरी जादू की झप्पी भी चलती थी। मुझे दोनों हमेशा याद आती हैं, क्योंकि दोनों कर्मठ थीं, स्नेह, ममता से भरपूर थीं। सभी लोगों से प्यार से मिलती थीं और एक राजनीतिज्ञ होने के नाते काम भी करती थीं। दोनों अलग-अलग पार्टी की होने के बावजूद एक-दूसरे से आदर, स्नेह करती थीं और कभी-कभी पिक्चर भी इकट्ठी देखतीं। राजनीतिक विचारधारा उनकी अलग-अलग थी परन्तु समाज में वह घनिष्ठ मित्रों की तरह मिलती थीं।
सुषमा जी एक विद्वान वकील और बहुत अच्छी वक्ता थीं, जिसकी झलक उनकी बेटी में नजर आती है। उनका कार्यकाल छोटा था, क्योंकि उन्हें प्याज की बढ़ती कीमतों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। फिर भी वह लोगों तक अपने शालीन स्वभाव के कारण पहुंचती थीं और उनके दिलों में राज करती थीं। शीला दीक्षित भी इसी तरह लोगों के दिलों में राज करती थीं। उन्होंने अपनी मेहनत से दिल्ली की सूरत बदली। वह मिरांडा हाऊस में पढ़ी थीं। वह भी स्वभाव की बहुत अच्छी, मृदभाषी थीं। हर छोटे-बड़े फंक्शन में पहुंचती थीं। खासकर अगर हम उन्हें जेआर मीडिया इंस्टीच्यूट, वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब, पंजाब केसरी के फंक्शन में बुलाते थे तो वह उसी भाव से आती थीं। मुझे याद है एक बार बुजुर्गों के फंक्शन में वह बुजुर्गों और हन्नी सिंह के साथ नाची थीं। बुजुर्ग बहुत खुश हुए परन्तु उन्हें बड़ी आलोचना सहनी पड़ी थी। सभी चैनल, अखबारों व लोगों ने उनकी आलोचना की परन्तु उन्हें खुशी थी कि उनकी इस कोशिश से लाखों, हजारों बुजुर्ग खुश थे। उनके समय में दिलदहला देने वाला निर्भया कांड हुआ जो उनके लिए घातक बना।
आज आतिशी सिंह मुख्यमंत्री बनी हैं जो शायद तीनों में सबसे ज्यादा शिक्षित हैं। आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी जाने से पहले उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ाई की, दोनों बड़े स्का​ॅलरशिप पर की। उन्होंने शुरू से लेकर अब तक स्कूलों के लिए बहुत काम किया। वह अपने काम से ही आगे बढ़ी हैं। कभी उनकी काफी आलोचना भी होती है। कभी उनकी ​िवचारधारा को लेकर, कभी उनके एक्शन को लेकर परन्तु मैं तो महिला होने के नाते उनके अच्छे काम को देखते हुए उन्हें बधाई देती हूं, क्योंकि उन्हें भी समय थोड़ा मिलेगा। चुनाव आने वाले हैं परन्तु मुझे पूरी उम्मीद है कि वह अपने छोटे कार्यकाल में महिलाओं की सुरक्षा, सशक्तिकरण के लिए बढ़-चढ़कर काम करेंगी। राजनीति से उठकर राजधानी की हर महिला को सुरक्षित अनुभव कराएंगी, क्योंकि छोटी उम्र है, काम करने का जोश है और अनुभव भी है। इसके साथ-साथ मैं मानती हूं उन्हें बहुत सी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ेगा परन्तु महिला होने के नाते मैं जानती हूं कि महिलाओं की छटी इंद्री भी काम करती है। उन्हें मृदुभाषी लोगों से मिलकर सुषमा जी और शीला दीक्षित का मिश्रण बनना होगा। मुझे मालूम है कि अभी वो रामायण के भरत की तरह केजरीवाल की खड़ाऊ सम्भाल कर राजपाट सम्भालेंगी परन्तु उन्हें ऐसी मेहनत करनी होगी ताकि दिल्ली उन्हें याद रखे। महिलाओं के लिए गर्व बनें। सीएम की गद्दी की प्रतिष्ठा को कायम रखें। हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।

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