कांग्रेस ने 'BSP' बन किया खेल खराब, पहले से ज्यादा वोट पाकर भी AAP से क्यों पिछड़ी BJP
एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) बहुमत हासिल करती दिख रही है तो 15 सालों से काबिज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की निगम से विदाई हो गई है।
03:16 PM Dec 07, 2022 IST | Desk Team
दिल्ली एमसीडी चुनाव (MCD elections) में 15 सालों से काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) की निगम से विदाई हो गई है। आम आदमी पार्टी (आप) बहुमत हासिल करती दिख रही है तो कभी दिल्ली के दिल पर राज करने वाली कांग्रेस मुश्किल से दोहरे अंकों तक पहुंच पाई है। हालांकि, नतीजा एग्जिट पोल से काफी अलग आया है, जिसमें ‘आप’ की आंधी का दावा किया जा रहा था। भाजपा हारी जरूर लेकिन 15 साल की एंटी इनकंबेंसी के बावजूद 100 के पार पहुंचकर अपनी नाक बचाने में कामयाब रही है।
MCD चुनाव के मुकाबले BJP को अधिक वोटशेयर मिला
सबसे जरुरी बात है कि भाजपा भले ही चुनाव हार गई है, लेकिन उसे पहले से ज्यादा वोट मिले हैं। 2017 के एमसीडी चुनाव के मुकाबले भाजपा को अधिक वोटशेयर मिला है। हालांकि, एक बार फिर कांग्रेस की कमजोरी ने जहां भाजपा को नुकसान पहुंचाया तो ‘आप’ को सीधा फायदा हुआ। इससे पहले विधानसभा चुनाव में भी यही ट्रेंड दिख चुका है। ‘आप’ की एंट्री के बाद से भाजपा का वोटशेयर काफी हद तक उसके साथ रहा है, लेकिन कांग्रेस के वोटबैंक का बड़ा हिस्सा अरविंद केजरीवाल की पार्टी अपने पाले में कर चुकी है।
भाजपा को पहले से ज्यादा वोट
दोपहर 12:30 तक हुई काउंटिंग के मुताबिक, आप को सबसे अधिक 42.3 फीसदी वोट मिले हैं। भाजपा को 39.06 फीसदी वोट हासिल हुए हैं। वहीं कांग्रेस को महज 11.70 फीसदी वोट मिले हैं। पिछले चुनाव में नॉर्थ एमसीडी में भाजपा को 35.61 फीसदी वोट मिले थे तो ‘आप’ ने 27.73 फीसदी वोट हासिल किए थे। कांग्रेस को 20.94% वोट मिले थे। ईस्ट एमसीडी में भाजपा को 38.37 फीसदी, आप को 23.59 फीसदी, कांग्रेस को 22.99 फीसदी वोट मिले थे। साउथ एमसीडी में भाजपा को 34.87 फीसदी, आप को 26.44 फीसदी और कांग्रेस को 20.29 फीसदी वोट मिले थे। तब भाजपा ने 181 सीटों पर कब्जा किया था तो पहली बार लड़ी ‘आप’ ने 48 और कांग्रेस ने 30 सीटों पर जीत हासिल की थी। अन्य को 11 सीटों पर जीत मिली थी।
BJP को मिले पहले से ज्यादा वोट
2017 के चुनाव परिणाम से ताजा आंकड़ों की तुलना से साफ हो जाता है कि भाजपा को पहले से ज्यादा वोट मिला है, लेकिन कांग्रेस के वोटशेयर में भारी गिरावट से ‘आप’ को फायदा हुआ है। राजनीतिक जानकार इसकी तुलना यूपी में बसपा की कमजोरी से भाजपा को मिले फायदा से भी कर रहे हैं। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा समर्थकों का एक बड़ा तबगा भाजपा के पाले में चला गया। सपा के वोटशेयर में इजाफे के बावजूद दोतरफा मुकाबले में वह भाजपा से पिछड़ गई।
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