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जत्थेदार अकाल तख्त के प्रति सिख पंथ में विवाद बरकरार

श्री अकाल तख्त साहिब के मौजूदा जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गरगज ताजपोशी से…

04:21 AM Jun 05, 2025 IST | Sudeep Singh

श्री अकाल तख्त साहिब के मौजूदा जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गरगज ताजपोशी से…

जत्थेदार अकाल तख्त के प्रति सिख पंथ में विवाद बरकरार

श्री अकाल तख्त साहिब के मौजूदा जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गरगज ताजपोशी से लेकर आज तक निरन्तर विवादों में घिरे दिखाई दे रहे हैं। ज्यादातर सिख समाज के लोग तो उन्हें जत्थेदार के रूप में स्वीकार ही नहीं करते। तख्त पटना साहिब के मामले में हस्तक्षेप करके उन्होंने नए विवाद को जन्म दे दिया जिसके बाद संसार भर में सन्देश अच्छा नहीं गया। आज तक कभी भी तख्तों के बीच टकराव नहीं हुआ ऐसा शायद पहली बार ही देखने को मिल रहा है। सिख बु़िद्धजीवि और राजनीति के जानकार मानते हैं कि जत्थेदार गरगज के द्वारा अपने आका के इशारों पर ऐसा किया गया। तख्त पटना साहिब के पूर्व जत्थेदार रणजीत सिंह गौहर जिन पर कई तरह के गंभीर आरोप लगे, मर्यादा के उलंघन के चलते तख्त पटना साहिब के पांच सिंह साहिबान के द्वारा उन्हें ना सिर्फ तनखाईया बल्कि पंथ से निष्कासित भी किया था पर जत्थेदार अकाल तख्त के द्वारा उन्हें बिना पेश हुए ही माफ कर अपनी सेवाएं जारी रखने का आदेश जारी कर दिया जिसके बाद तख्त पटना साहिब पर विवाद पैदा हो गया और वहां के पांच सिंह साहिबान के द्वारा जत्थेदार कुलदीप सिंह गरगज, जत्थेदार टेक सिंह को तनखाईया करार दिया और इस सारी साजिश के पीछे सुखबीर सिंह बादल के शामिल होने के चलते उन्हें पेश होकर अपना पक्ष रखने का आदेश जारी किया गया। दमदमी टकसाल के द्वारा भी जत्थेदार गरगज को 6 तारीख को होने वाले शहीदी समागमों में सन्देश न देने की बात कही गई है, वहीं जरनैल सिंह भिन्डरावाले के बेटों ने भी जत्थेदार गरगज से सम्मान लेने से इन्कार कर दिया है असल में हर साल शहीदी समागम पर शहीद परिवारों को जत्थेदार अकाल तख्त सम्मानिन्त करते हैं। अब तो आवाज यह भी उठने लगी है कि जो व्यक्ति किसी भी तख्त से तनखाईया हो वह किसी भी सामाजिक या धार्मिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकता। ऐसे में अगर जत्थेदार कुलदीप सिंह गरगज आपरेशन ब्ल्यू स्टार की याद में होने वाले शहीदी समागम में हिस्सा लेने पहुंचते हैं तो वहां बड़ा टकराव भी हो सकता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो जत्थेदार कुलदीप सिंह गरगज की मुश्किलों में निरन्तर बढ़ौतरी ही देखने को मिल रही है।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन : इतिहास इस बात का साक्षी है कि मुगल काल के दौरान हिंदू लड़कियों का जबरन अपहरण किया जाता था। ऐसे में सिख योद्धा मुगलों का सामना करते, लड़कियों को उनकी कैद से मुक्त कराते और उन्हें सुरक्षित उनके परिवारों तक पहुंचाते थे। 1947 में भारत के बंटवारे के समय भी, पाकिस्तान में हिंदू और सिख लड़कियों के साथ मुगलों के वंशजों द्वारा अत्याचार किए गए। उन्हें जबरन उनके परिवारों से अलग किया गया और उनका धर्म परिवर्तन करवाया गया। पाकिस्तान से जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, उनके अनुसार वहां हिंदू और सिख अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों को जबरन इस्लाम धर्म में परिवर्तित किया जा रहा है। हाल ही की रिपोर्टों के अनुसार, 1,000 से अधिक लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जा चुका है। इनमें गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी सिंहों, सेवादारों और यहां तक कि सिख नेताओं की बेटियां भी शामिल हैं। कई मामलों की जानकारी सामने नहीं आ पाती क्योंकि परिवार शर्म या डर के कारण चुप्पी साधे रहते हैं। ऐसे मामलों के बारे में सुनना बेहद पीड़ादायक है और यह सोचने पर मजबूर करता है कि सदियों बाद भी मुगल मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आया है। यह भी संभव है कि आज जो लोग यह कुकृत्य कर रहे हैं, वे उन्हीं मुगलों के वंशज हों जिन्होंने कभी सिख गुरुओं पर अत्याचार किए थे और कश्मीरी पंडितों पर जबरन धर्म परिवर्तन थोपा था। इस पूरे संदर्भ में उन लोगों को दोबारा सोचने की ज़रूरत है जो आज भी कहते हैं कि ‘‘हमें पाकिस्तान की निंदा नहीं करनी चाहिए’’ एक पंजाबी गायक ने भी इस भावना को लेकर एक गीत लिखा है। हम इस भावना का सम्मान करते हैं क्योंकि यह उस आस्था से उत्पन्न होती है कि जिस धरती पर गुरु नानक साहिब ने जन्म लिया, उसकी बुराई नहीं करनी चाहिए। लेकिन अगर गहराई से सोचा जाए, तो ननकाना साहिब जहाँ गुरु साहिब का जन्म हुआ पहले भारत का ही हिस्सा था, जिसे ब्रिटिश हुकूमत और मुस्लिम समुदाय की अलग देश की माँग के कारण भारत से अलग कर पाकिस्तान बना दिया गया। पाकिस्तान ने भारत से लड़ी हर लड़ाई हारी है, फिर भी वह अपनी नकारात्मक गतिविधियों से बाज नहीं आता। भारत सरकार को चाहिए कि वह पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन का मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी जोरशोर से उठाए।

पंथक सेवाओं के लिए सेवा रत्न अवार्ड : गुरुद्वारा राजौरी गार्डन भले ही सिंह सभा हो मगर सेवाओं के मामले में देखा जाए तो वह किसी बड़े एेतिहासिक गुरुद्वारा साहिब की कमेटी से कम नहीं है। धार्मिक कार्यों से लेकर मिनी अस्पताल रुपक विशाल डिस्पैंसरी, कीमोथैरेपी, दांत इंपलांट, डायलेसिस आदि के साथ ही समय -समय पर गरीब परिवारों की बच्चियों की शादी, जरुरतमंद परिवारों के बच्चों को शिक्षा मुहैया करवाने जैसे अनेक कार्य इस कमेटी के द्वारा किए जा रहे हैं। इसी के चलते सर्व सेवा संस्थान द्वारा गुरुद्वारा राजौरी गार्डन के प्रधान हरमनजीत सिंह को सेवा रतन अवार्ड से सम्मानित किया। इसी प्रकार सतनाम सिंह बजाज और तराशा कौर को भी उनके द्वारा की जा रही समाज सेवा के लिए सेवा रत्न अवार्ड पश्चिमी दिल्ली की सांसद कमलजीत सहरावत और संस्था की मुखी डा. सीमा सूरी के द्वारा दिया गया।

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