बिहार में SIR जांच पर Supreme Court में विवाद, योगेन्द्र यादव ने ऐसा क्या किया? जो भड़क उठा EC!
बिहार में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया चलाई। इस दौरान ड्राफ्ट वोटर लिस्ट तैयार की गई, लेकिन इस लिस्ट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने Supreme Court में दो लोगों को पेश करते हुए कहा कि उन्हें ड्राफ्ट लिस्ट में मृत दिखा दिया गया, जबकि वे जिंदा हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उनका दावा है कि इस प्रक्रिया से 65 लाख से अधिक मतदाता प्रभावित हुए हैं और यह अभियान असफल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में वोटर रजिस्ट्रेशन की दर करीब 99% है, लेकिन SIR के बाद बिहार में यह घटकर 88% रह गई है, जो चिंता का विषय है।
EC का जवाब: प्रक्रिया पारदर्शी है
इस पर चुनाव आयोग(EC) ने कोर्ट में कहा कि यदि किसी का नाम गलती से हटा है, तो वो ऑनलाइन फॉर्म भरकर सुधार करा सकता है। आयोग ने योगेंद्र यादव के कदम को “ड्रामा” करार दिया और कहा कि अदालत में लोगों को लाने के बजाय ऑनलाइन आवेदन किए जाने चाहिए।
Supreme Court की प्रतिक्रिया: नागरिकों को सुनना जरूरी
Supreme Court ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि "हमें खुशी है कि नागरिक अपनी बात रखने के लिए अदालत आ रहे हैं।" कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए सभी पक्षों की बात सुनी।
कपिल सिब्बल की दलील: फॉर्म न भरने पर नाम हटा
याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कई लोगों का नाम इसलिए हट गया क्योंकि वे फॉर्म नहीं भर सके। उन्होंने बताया कि 2003 की लिस्ट में शामिल वोटर्स को भी नया फॉर्म भरना पड़ा, नहीं तो उनका नाम हटा दिया गया।
EC का दावा: कोई व्यापक सर्वे नहीं किया
सिब्बल ने यह भी कहा कि EC ने न तो मृत लोगों का सही सर्वे किया, न ही पता बदले लोगों का। आयोग ने खुद हलफनामे में स्वीकार किया कि उन्होंने इस संबंध में कोई पुख्ता जांच नहीं की।
SC का सवाल: 65 लाख का आंकड़ा कैसे?
कोर्ट ने पूछा कि 65 लाख लोगों का आंकड़ा कैसे तय किया गया? क्या यह आशंका केवल अनुमान है या कोई ठोस सबूत है?
प्रशांत भूषण का आरोप: हटाए गए नामों की सूची छिपाई
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने जिन लोगों का नाम हटाया, उनकी कोई सूची सार्वजनिक नहीं की। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ बूथ स्तर पर जानकारी दी गई, जिससे आम जनता को कुछ पता नहीं चला।
SC की चेतावनी: सत्यापन जरूरी
Supreme Court ने कहा कि यदि किसी ने आधार और राशन कार्ड के साथ फॉर्म भरा है, तो चुनाव आयोग को उसकी जानकारी की जांच करनी चाहिए। साथ ही यह भी पूछा कि क्या जिन लोगों ने जरूरी दस्तावेज नहीं दिए, उन्हें इसकी सूचना दी गई?
Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट के परिसर में आवारा कुत्तों (Street Dogs) की मौजूदगी ने वकीलों और लोगों के लिए गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक शर्मा ने रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि यहां आने वाले वकीलों और मीडिया कर्मियों को डॉग बाइट का खतरा है।
वकील ने पत्र में क्या लिखा?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के वकील अभिषेक शर्मा ने रजिस्ट्रार को लिखे पत्र में कहा, “यह अत्यंत चिंताजनक है कि सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आधिकारिक निर्देश में आवारा कुत्तों (Street Dogs) को शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया गया है। इसके बावजूद आवारा कुत्ते कोर्ट परिसर में ही खुलेआम घूमते रहते हैं। हाल ही में उनकी यात्रा के दौरान कोर्ट परिसर में आवारा कुत्तों का झुंड देखा गया, जिनकी तस्वीरें भी उन्होंने खींचीं।”