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धर्मांतरण का षड्यंत्र

04:57 AM Jul 14, 2025 IST | Aditya Chopra
पंजाब केसरी के डायरेक्टर आदित्य नारायण चोपड़ा

धर्म परिवर्तन से समाज, संस्कृति, लोगों का आचरण, आचार, विचार, व्यवहार और सभ्यता सब कुछ बदल जाते हैं। पुरानी सभ्यताएं लुप्त हो जाती हैं और नई सभ्यता आ जाती है। किसी भी व्यक्ति का किसी धर्म को मानना या न मानना उसका अपना व्यक्तिगत फैसला होता है। आप को भी जो धर्म सही लगता है आप उसका पालन करें। भारत में सभी को अपनी इच्छानुसार धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अध्याय-3 में कहा है कि स्वधर्म भले ही कमजोर क्यों न हो, दूसरों का धर्म अपनाने से बेहतर है। इसका अर्थ यह है कि जैसे एक पेड़ अपनी जमीन में ही सबसे अच्छा फल देता है, वैसे ही इंसान अपने मूल धर्म में ही सच्ची शांति और आत्म संतोष पा सकता है। भारत में धर्म परिवर्तन की साजिशें आज भी जारी हैं। इस्लामी जेहादियों द्वारा बड़े पैमाने पर कराए जा रहे धर्म परिवर्तन की भयावहता पर उत्तर प्रदेश में छांगुर बाबा यानि जमालुद्दीन की ​गिरफ्तारी के बाद जनमानस सोचने को विवश है ​िक हिन्दुओं के देश में यह क्या हो रहा है। वैसे तो देश में धर्मांतरण कोई नई बात नहीं। मुगलों के आने के साथ ही तलवारों के दम पर धर्मांतरण का षड्यंत्र शुरू हो गया था।
आज जो पीढ़ियां हमें दिखाई देती हैं, वे उसी धर्मांतरण का परिणाम है। धर्मांतरण की साजिशों में जेहादियों को वर्ष 2047 तक गजवा-ए-हिन्द का सपना दिखाई देता है आैर जेहादियों का इरादा भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाना है। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के मधपुर में छांगुर बाबा की करोड़ों की आलीशान कोठी मलबे में तब्दील हो चुकी है। अब वहां गर्दा और गुब्बार है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और उत्तर प्रदेश पु​लिस का एक्शन सराहनीय है। क्योंकि धर्म परिवर्तन की साजिशों को ​िवफल बनाना जरूरी है। अब प्याज के छिलकों की तरह परत-दर-परत छांगुर बाबा की सच्चाई सामने आ रही है कि किस तरह जमालुद्दीन को तीन वर्षों में 500 करोड़ की विदेशी फंडिंग हुई। 200 करोड़ के लेन-देन की पुष्टि हो चुकी है। जबकि 300 करोड़ का लेन-देन नेपाल के माध्यम से हुआ। एक पूरा गैंग अवैध तरीके से धर्मांतरण कराने में लगा हुआ था। हिन्दू धर्म की मान्यताओं को पाखंड बताकर और प्रलोभन देकर हिन्दुओं को मुस्लिम बनाया जा रहा था। अलग-अलग धर्मों की लड़कियों को मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए अलग-अलग रेट भी तय कर रखे थे।
वैसे, इसके पहले तक इश्क, मोहब्बत का नाम देकर और इसे नितांत निजी मामला मानकर समाज, पीड़ित परिवार और बेटियों को उनके भरोसे ही छोड़ देता आ रहा था लेकिन पहली बार देश के आम लोगों ने जाना कि यह षड्यंत्र कितना गहरा और भयानक है। इसे आज नहीं समझा गया तो यह आग उनके घरों तक भी पहुंचेगी और जो मुगल नहीं कर पाए, वह भविष्य में संभव हो सकता है। आज ही कश्मीर, केरल, असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, पूर्वोत्तर के राज्यों की जनसांख्यिकी में बदलाव आ चुका है। कई राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं और इसका असर सरकार के निर्णयों, समाज के व्यवहार और देश विरोधी घटनाओं से देखा जा सकता है।
लव जेहाद को लेकर अब गम्भीरता से सोचने की जरूरत है। अब इसकी सच्चाई भी सामने आ चुकी है। इस्लामी जेहादी ही नहीं ईसाई मिशनरियां भी कई राज्यों में धर्म परिवर्तन कराने में लगी हुई हैं। कुछ वर्ष पहले केरल की लड़कियां सामने आई थीं और उन्होंने इस बात का पर्दाफाश किया था कि किस तरह धोखे से उनका धर्म परिवर्तन कराया गया। केरल की पढ़ी-लिखी युुवतियां और युवक दुर्दांत आतंकवादी संगठन आईएसआईएस में भर्ती होने के लिए सीरिया तक पहुंच गए थे। जहां उनका जीवन नरक बन गया था। हैरानी की बात तो यह है कि छांगुर बाबा के षड्यंत्र में हिन्दू से मुस्लिम बनी युवतियां भी संलिप्त हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पिछले वर्ष 2021 के मूल धर्मांतरण विरोधी कानून में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए इसके प्रावधानों को और अधिक कठोर बना दिया है और आलोचकों का कहना है कि इसका दुरुपयोग भी हो सकता है। 2017 से कई भाजपा शासित राज्यों ने विवाह, छल, जबरदस्ती या प्रलोभन के माध्यम से धर्मांतरण को प्रतिबंधित करने के लिए धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए या संशोधित किए हैं। ये उपाय स्पष्ट रूप से "लव जिहाद" का मुकाबला करने के उद्देश्य से हैं-एक सिद्धांत, जिसे मुख्य रूप से हिंदुत्व समूहों द्वारा बढ़ावा दिया जाता है, जो आरोप लगाता है कि अंतर-धार्मिक विवाह संभावित जबरन धर्मांतरण के स्थल हैं।
देश के 12 राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू है। इस कानून की वजह से ही छांगुर बाबा के करोड़ों के साम्राज्य पर बुलडोजर चला। पंजाब और अन्य राज्यों से भी धर्मांतरण का खेल चल रहा है। अब समय आ गया है ​िक देश के हिन्दू और सिख देश ​िवरोधी साजिशों से सतर्क रहें। परिवारों को धर्म और संस्कृति से जोड़ना और बच्चों में अच्छे संस्कार धार्मिक और नैतिक मूल्यों के प्रति जागरूक करना समाज की ​िजम्मेदारी है। समाज ऐसे लोगों तक अपनी पहुंच बनाए जो आर्थिक रूप से सम्पन्न होने के लिए धर्म परिवर्तन करने को लल​ाियत हो सकते हैं। धर्माचार्यों को भी समाज में अपनी बड़ी भूमिका निभानी होगी।

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