मूंगा रत्न: किन राशि वालों के लिए है वरदान? जानें क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र
मंगल की शुभता बढ़ाने के लिए धारण करें मूंगा
मूंगा रत्न को मेष, कर्क, सिंह और वृश्चिक लग्न के लोग धारण कर सकते हैं। यह मंगल की शुभता को बढ़ाता है और आत्मविश्वास को मजबूत करता है। ज्योतिष के अनुसार, मूंगा और मोती से लक्ष्मी योग बनता है, जो आर्थिक समृद्धि लाता है। मूंगा खरीदने और पहनने का सबसे शुभ दिन मंगलवार है।
वैसे तो भारत और शेष विश्व में लगभग 200 प्रकार से ज्यादा की संख्या में रंगीन पत्थर प्राप्त होते हैं। लेकिन प्राचीन भारत में 84 प्रकार के रत्नों का उल्लेख अक्सर मिलता है। वैसे नवरत्न अधिक प्रसिद्ध है। माणिक, मोती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनिया, ये नौ प्रकार के रत्न नवरत्नों में आते हैं। प्राचीन भारत में ये नवरत्न इस कदर प्रसिद्ध थे कि सम्राट अकबर ने अपने दरबार में नौ सभासदों को सम्मान देने के लिए इन पत्थरों की तर्ज पर नवरत्नों की संज्ञा दी। यह बात रत्नों के महत्व को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है। मुल्ला दो-पियाजा, बीरबल और तानसेन जैसे नौ लोग नवरत्नों में आते थे। ये सभी अपने समय में अपने फील्ड के मास्टर थे। इनके जैसा दूसरा कोई नहीं था। लेकिन यहां बात हो रही है उन नवरत्नों की जो अकबर से पहले भी थे और आज भी है। जैसा कि मैं बता चुका हूं कि जो नव रत्न हैं वे सीधे ग्रहों के कारकत्वों से जुड़े हुए हैं। इनके अलावा दूसरे जो भी रत्न हैं वे इन रत्नों के उपरत्न हैं। हालांकि उनका अपना एक स्वतंत्र अस्तित्व है लेकिन वे ग्रहों के उपरत्नों के रूप में ज्यादा प्रसिद्ध हैं। यहां नवरत्नों के सूक्ष्म विश्लेषण के उपरान्त नवरत्नों की इस शृंखला में हम आज बात करेंगे मंगल के प्रसिद्ध रत्न मूंगे के बारे में, जो वास्तव में पत्थर माना जाता है लेकिन है नहीं।
क्या है मूंगा और कैसे प्राप्त होता है
नवरत्नों में मोती और मूंगा दो ऐसे रत्न हैं जो कि पत्थर की श्रेणी में नहीं आते हैं। हालांकि आम बोलचाल की भाषा में इनको भी स्टोन ही कह दिया जाता है। लेकिन वास्तव में मोती और मूंगा स्टोन नहीं है। मूलतः ये दोनों जैविक पदार्थ हैं। समुद्र में एक जीव होता है जिसे प्रवाल कहते हैं। शायद इसलिए ही प्राचीन भारत में मूंगे को प्रवाल भी कहा जाता रहा है। यह जीव जिस पदार्थ से अपना घर बनाता है वह पदार्थ मूंगा होता है। मूंगे का निर्माण माइक्रो-क्रिस्टलीय क्वार्ट्ज और कैल्शियम कार्बोनेट होता है। इसी प्रकार से मोती की उत्पत्ति शीप नामक जीव के पेट से होती है।
ज्योतिष के अनुसार किन लोगों को पहनना चाहिए मूंगा
यहां बहुत ही सरल सा सूत्र काम करता है कि जिस लग्न में मंगल कारक हो या शुभ स्थिति में हो उस लग्न के लोग मूंगा धारण कर सकते हैं। क्योंकि मूंगा मंगल की शुभता के लिए धारण किया जाता है। आमतौर पर जिन लोगों का जन्म मेष, कर्क, सिंह या वृश्चिक लग्न में हुआ है वे मूंगा धारण कर सकते हैं। इन लग्नों में मंगल कारक होता है। हालांकि दूसरे लग्नों में भी मूंगा धारण किया जा सकता है लेकिन इसके लिए जन्म कुंडली का अवलोकन अवश्य करवाएँ। इसके अलावा यदि जन्म कुंडली नहीं है लेकिन यदि आपकी नाम राशि मेष या वृश्चिक है तो भी मूंगा धारण कर सकते हैं। वैसे किसी भी रत्न को पहनने से पूर्व कुंडली पर अवश्य विचार करना चाहिए।
मूंगा और मोती से बनता है लक्ष्मी योग
जैसा कि प्रसिद्ध है कि मंगल और चन्द्रमा की परस्पर मित्रता है। हालांकि चन्द्रमा के साथ मंगल होने से मांगलिक दोष लगता है लेकिन किसी भी योग के हमेशा दो पक्ष होते हैं। इसलिए चन्द्र-मंगल की युति एक प्रसिद्ध लक्ष्मी योग भी है। जब मेष या वृश्चिक राशि में मंगल के साथ पक्षबली चन्द्रमा हो तो यह पूर्ण लक्ष्मी योग बनता है। जब यह योग बने तो लक्ष्मी की अपार कृपा प्राप्त होती है। लेकिन जिन लोगों की जन्म कुंडली में लक्ष्मी योग नहीं हो उन्हें चाहिए कि मूंगा और मोती के कॉम्बिनेशन से कृत्रिम लक्ष्मी योग से लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए आपको चाहिए कि आप मूंगे के दोनों तरफ दो मोती लगा कर अंगूठी या लॉकेट बना कर धारण करें। कुछ लोग मोती और मूंगा की माला भी सुझाते हैं। लेकिन यह महंगा सौदा है। क्योंकि माला में वजन ज्यादा होता है। आपके पास बजट है तो यह कर सकते हैं। वैसे माला में चूंकि वजन ज्यादा होता है इसलिए यह अंगूठी की तुलना में अधिक प्रभावी होती है।
आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए भी मूंगा पहन सकते हैं
भारतीय ज्योतिष के अनुसार मूंगा हमारे आत्मविश्वास को बहुत बढ़ा देता है। साहस पैदा करता है। जो कार्य आपको बहुत कठिन लग रहा हो वह मूंगा धारण करने से कुछ ही दिनों या महीनों में आप आसानी से कर सकते हैं। क्योंकि मूंगा मानसिक शक्ति को बहुत बढ़ा देता है। एक यह भी मान्यता है कि जो लोग अक्सर बीमार रहते हैं उनको भी मंूगा अवश्य धारण कर लेना चाहिए। ज्यादातर मामलों में मूंगा स्वास्थ्यवर्धक होता है। वैसे जो लोग मेडिकल लाईन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं जैसे डॉक्टर या मेडिकल स्टोर आदि से, वे भी अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए मूंगा पहन सकते हैं।
मूंगा खरीदने और पहनने का मुहूर्त
मूंगा रत्न को खरीदने और धारण करने के लिए मंगलवार सबसे शुभ दिन होता है। यदि मंगलवार को संभव नहीं हो तो रविवार, सोमवार और गुरुवार को भी मूंगा खरीदा या धारण किया जा सकता हैं। यदि वार के साथ मंगल के नक्षत्र का समावेश प्राप्त हो तो और भी शुभ मुहूर्त हो जाता है मूंगा हमेशा चांदी, सोना या तांबा में धारण किया जाना चाहिए। मूंगे को धारण करने के लिए अनामिका अंगुली जिसे आम बोलचाल की भाषा में रिंग फिंगर कहा जाता है, सबसे शुभ होती है। हालांकि अच्छी क्वालिटी का कम वजन का मूंगा भी बहुत अच्छा काम करता है फिर भी मूंगे का वजन कम से कम 4 कैरेट या रत्ती होना चाहिए। सर्वश्रेष्ठ मूंगा जापान का आता है। इसके बाद इटली का मूंगा अच्छा समझा जाता है। मूंगा और मोती रत्नों के बारे में एक बात और चर्चित है कि इन दोनों रत्नों का प्रभाव हमेशा सीमित समय के लिए होता है। इसलिए इनको लगभग ढ़ाई वर्ष में बदल देना चाहिए।
मूंगा रत्न के संबंध में पांच महत्वपूर्ण बातें
1 – जहां तक हो सके मूंगा हमेशा ट्रायंगल आकर में ही धारण करें।
2 – जिस अंगुली में मूंगा पहना जाए उसी में गोमेद, लहसुनिया या हीरा जैसे रत्न नहीं पहनें।
3 – मूंगा हमेशा अनामिका अंगुली में मंगलवार की सुबह धारण करें।
4 – मूंगा बहुत अधिक डार्क कलर का नहीं होना चाहिए। सामान्य लाल रंग का मूंगा श्रेष्ठ होता है।
5 – बड़े आकार के दूषित मूंगे की तुलना में निर्दोष कम वजन का मूंगा ज्यादा बेहतर परिणाम देता है।