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दुनिया भर के 180 से ज्यादा देशों में कोरोना का कहर जारी, अब तक 53448 लोगों की मौत, करीब 1015191 से ज्यादा लोग इससे संक्रमित

विश्व के अधिकतर (अब तक 185) देशों में फैल चुके कोरोना वायरस (कोविड-19) का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है और इस खतरनाक वायरस से दुनिया भर में अब तक 53448 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि करीब 1015191 लोग इससे संक्रमित हैं।

11:20 PM Apr 03, 2020 IST | Shera Rajput

विश्व के अधिकतर (अब तक 185) देशों में फैल चुके कोरोना वायरस (कोविड-19) का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है और इस खतरनाक वायरस से दुनिया भर में अब तक 53448 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि करीब 1015191 लोग इससे संक्रमित हैं।

विश्व के अधिकतर (अब तक 185) देशों में फैल चुके कोरोना वायरस (कोविड-19) का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है और इस खतरनाक वायरस से दुनिया भर में अब तक 53448 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि करीब 1015191 लोग इससे संक्रमित हैं। बता दे कि दुनिया भर में कोरोना वायरस का संकट और गहरा गया है और इस महामारी से मरने वाले लोगों की संख्या शुक्रवार को 50,000 पार पहुंच गई,जबकि विश्वभर में संक्रमित लोगों की संख्या 10 लाख से अधिक हो चुकी है। इटली, अमेरिका, स्पेन और ब्रिटेन में मरने वाले लोगों की संख्या अब भी सबसे ज्यादा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था चरमरा गई है।
 वहीं, विशेषज्ञ आगाह कर रहे हैं कि दुनिया भर में कोविड-19 से 10 लाख लोगों के प्रभावित होने का आंकड़ा कुल संक्रमण का एक छोटा सा हिस्सा हो सकता है क्योंकि इसकी जांच प्रणाली अब भी बड़े पैमाने पर उपलब्ध नहीं है। 
अमेरिका में कुल मामलों के करीब एक चौथाई मामले हैं, लेकिन यूरोप भी खतरे से दूर-दूर तक बाहर नहीं है। वहीं, स्पेन में लगातार दूसरे दिन शुक्रवार को 24 घंटे में 900 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। स्पेन में इस जानलेवा विषाणु से अब तक 10,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 
मृतकों के लिहाज से इटली अब भी पहले स्थान पर है, जबकि फ्रांस, बेल्जियम और ब्रिटेन भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। ब्रिटेन की सरकार एक दिन में 569 लोगों की मौत होने के बाद जल्दी-जल्दी अस्थायी अस्पतालों को बनाने का काम कर रही है। ब्रिटेन सरकार ने शुक्रवार को 4,000 बेड वाले एक नये अस्पताल को शुरू किया है। 
दुनिया भर के जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा शुरू की गई जंग शुक्रवार को कमजोर पड़ती दिखी। जर्मनी के विशेषज्ञों ने कहा कि नये संक्रमण की दर लॉकडाउन के उपायों के चलते जरूर धीमी पड़ गई है लेकिन एशियाई देश सिंगापुर ने पुष्टि की है कि वह मामले बढ़ने की आशंका को रोकने के लिए स्कूलों एवं कार्यस्थलों को बंद करेगा। 
वैश्विक अर्थव्यवस्था इस वायरस के प्रकोप से और लॉकडाउन के चलते चरमरा गई है, जहां आधी से ज्यादा आबादी किसी न किसी तरह घर के अंदर रहने को मजबूर हो गई है। 
वैश्विक वित्तीय संकट के मद्देनजर पिछले महीने 7,01,000 नौकरियां खम्त हो गई, मार्च 2009 के बाद से यह सबसे खराब स्थिति है। बेरोजगारी दर भी काफी बढ़ गया है। आर्थिक विशेषज्ञों ने चेताया है कि यह स्थिति और भी बदतर होगी। 
पैंथियोन मैक्रोइकोनॉमिक्स के ईयान शेफर्डसन ने कहा कि मार्च से अप्रैल के बीच कुल 1.6 करोड़ से दो करोड़ लोगों की नौकरी जाने की आशंका है और बेरोजगारी दर एक महीने के भीतर 13 से 16 प्रतिशत हो जाएगी। 
यूरोप में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है जहां आईएचएस मार्केट के विशेषज्ञों ने चेताया है कि 19 राष्ट्रों के यूरोक्षेत्र में कारोबारी गतिविधि ने अब तक की सबसे बुरी मार झेली है और क्षेत्र के सदस्य आयरलैंडके सेंट्रल बैंक ने कहा है कि उसका उत्पादन इस साल 8.3 प्रतिशत तक घट जाएगा। 
वित्तीय रेटिंग एजेंसी फिच ने अमेरिका और यूरोजोन दोनों की अर्थव्यवस्थाओं के इस तिमाही में 30 प्रतिशत तक सिकुड़ने का अनुमान जताया है और एशियन डेवलपमेंट बैंक ने आगाह किया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर 4.1 हजार अरब डॉलर का असर पड़ेगा जो वैश्विक उत्पादन का करीब पांच प्रतिशत है। 
वैश्विक नेताओं ने संकट से निपटने के लिए विशाल आर्थिक सहायता पैकेजों की घोषणा की है और विश्व बैंक ने करीब 15 माह में 160 अरब डॉलर देने की योजना को स्वीकृत किया है। 
चीन में इस महामारी के खिलाफ जंग लड़ते हुए जान गंवाने वाले लोगों के लिए शनिवार को एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। 
भारत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक महामारी के “अंधेरे एवं अनिश्चितता” को दूर करने के लिए रविवार को रात नौ बजे नौ मिनट तक मोमबत्ती और मोबाइल फोन की लाइट जलाने को कहा है। 
भारत में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 2500 से अधिक हो गई है। 
ऑस्ट्रेलिया ने क्रूज पोतों को अपने यहां लंगर नहीं डालने की घोषणा करने का सख्त कदम उठाया है जो विश्व की गर्त में जा रहे पर्यटन उद्योग के लिए एक और झटका है। 
विश्व के सबसे अमीर देशों में भी स्वास्थ्य अधिकारी दबाव में हैं। यहां तक कि अमेरिका में भी स्वास्थ्यकर्मी काफी दबाव में काम कर रहे हैं। 
न्यूयॉर्क के डायना बेरेंट इस उम्मीद में अपने रक्त प्लाज्मा दान कर रही हैं कि भविष्य में इस वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए उनकी हार्ड-एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जा सकता है। 
जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल संक्रमित डॉक्टर से संपर्क में आने के बाद दो हफ्तों तक पृथक वास में रहीं और शुक्रवार को पहली बार बर्लिन स्थित अपने घर गईं लेकिन ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन संक्रमित पाए जाने के बाद अब भी पृथक रह कर काम कर रहे हैं।
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