कोरोना-कोरोना
आज जिधर देखो एक ही शब्द, एक ही वातावरण दिखाई देता है कोरोना। कोरोना से कितने संक्रमित हुए, कितने लोग मरे, किस देश में क्या असर हुआ, क्या-क्या सरकार कर रही है, क्या लोग कर रहे हैं आदि। कौन-कौन सी सैलिब्रिटी इसकी चपेट में आ गई है।
04:57 AM Mar 29, 2020 IST | Kiran Chopra
Advertisement
आज जिधर देखो एक ही शब्द, एक ही वातावरण दिखाई देता है कोरोना। कोरोना से कितने संक्रमित हुए, कितने लोग मरे, किस देश में क्या असर हुआ, क्या-क्या सरकार कर रही है, क्या लोग कर रहे हैं आदि। कौन-कौन सी सैलिब्रिटी इसकी चपेट में आ गई है।
Advertisement
यह एक ऐसी महामारी है जो कोई भेदभाव नहीं रखेगी। कौन अमीर, कौन गरीब, कौन सैलिब्रिटी, कौन आम व्यक्ति। यहां तक कि सारा विश्व इससे एकजुटता से लड़ रहा है।
Advertisement
पूरी मानव जाति पर दुश्मन दैत्य कोरोना वायरस इस समय बेहद निर्णायक हमला कर चुका है। केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें बहुत से कदम उठा रही हैं, परन्तु फिर वही बात, अकेली सरकारें भी कुछ नहीं कर सकतीं, जब तक हम एक-एक व्यक्ति इसमें सहयोग न देगा, समझे न।
Advertisement
हर समय हर काम के लिए धनराशि की भी जरूरत होती है। इसलिए बहुत से एम.पी. अपनी एम.पी. राशि से सहायता कर रहे हैं। जो लोगों का पैसा है लोगों पर ही खर्च होता है। ब्यास गुरु की तरफ से 1 करोड़ की राशि सहायता कोष में दी गई है। शिरडी मंदिर से 51 करोड़ की राशि दी गई है। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के हैड सिरसा जी ने गरीबों के लिए लंगर सेवा खोली हुई है तथा बंगला साहिब और मोती बाग गुरुद्वारों के कमरे फ्री डाक्टर और नर्सों को देकर बहुत बड़ा नेक काम किया है। यही नहीं मुस्लिम धर्म गुरुओं ने घर बैठकर ही जुम्मे की नमाज अदा करने के निर्देश दिए हैं जो सबसे अहम फैसला है क्योंकि एक ही स्थान पर लोगों का इकट्ठे होना और नमाज अदा करना सुरक्षित नहीं था।
बहुत से अच्छे लोग इस संकट की घड़ी में आगे आ रहे हैं, कहीं पुलिस, कहीं डीएम आगे आकर लोगों की सेवा कर रहे हैं। वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब फरीदाबाद के महेन्द्र खुराना ने गरीबों को खाना बांटा, चौपाल और वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब दिल्ली में काम कर रहा है। ईस्ट दिल्ली में जग्गी ब्रदर्स और एमएलए जितेन्द्र महाजन, अशोक विहार में चौपाल के विकेश सेठी और भोला नाथ जी सेवा दे रहे हैं।
सच में गरीब और मजदूर व्यक्तियों के मुख से यही सुना जा रहा है कि बीमारी से नहीं भूख से डर लगता है। दिल्ली में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर, कर्मचारी अपने-अपने घरों का सैंकड़ों मील रास्ता पैदल ही तय करने निकल चुके हैं। मैं मानती हूं कि संकट की घड़ी में लोग परिवार के साथ रहना चाहते हैं परंतु यह कोरोना वायरस फैलने के कारण बहुत गलत हो रहा है। लॉकडाउन का मतलब है जो जहां है वहीं रहे, मूवमेंट नहीं, एक-दूसरे के साथ न जुड़ें।
लोग पूजा-पाठ कर रहे हैं। वैसे भी नवरात्रि और कई त्यौहारों का मौसम है। इस समय मौसम में बदलाव के चलते लोगों को खांसी-जुकाम, बुखार हो जाता है तो इसका भी ध्यान रखना है। दहशत नहीं पैदा करनी चाहिए।
व्हाट्सएप पर तरह-तरह के मैसेज चल रहे हैं। कुछ लोग वातावरण को हल्का-फुल्का करने के लिए हंसी मजाक वाले डाल रहे हैं, कई सीरियस भी डाल रहे हैं। सबसे बड़ा अच्छा मैसेज है कि मंदिर बंद हैं, क्योकि भगवान अस्पतालों में अपनी सेवा दे रहे हैं। सच में भगवान रूपी डाक्टर, नर्सें अपनी सेवा आज परीक्षा की घड़ी में अस्पतालों में दे रहे हैं।
बहुत सी बीवियों को शिकायत थी कि पति उनको टाइम नहीं देते। अब जब सारा समय पति साथ बैठे हैं तो नोंक-झोंक हो रही है। एक-दूसरे की असलियत सामने आ रही है। असली-नकली प्यार समझ आ रहा है।
पहले घर में माएं इसलिए परेशान होती थीं कि टेबल पर खाना लगा होता था तो बच्चे पीजा, बर्गर आर्डर कर देते थे। अब बच्चे डर के मारे कुछ भी आर्डर नहीं कर रहे। अब माएं इसलिए परेशान हैं कि हर रोज बच्चों के लिए क्या चेंज मीनू बनाएं। अक्सर बच्चों की मायें टीचर को कोसती थीं कि टीचर ने यह नहीं बच्चों को सिखाया, पढ़ाया या डांटा। अब जब बच्चे 24 घंटे घरों में हैं तो बेचारी माओं की हालत बुरी है, असलियत उनके सामने है। अब तो वो चाहती हैं कि कब कोरोना जाए, बच्चे स्कूल जाएं।
घर के नौकरों पर गाज गिरती रहती थी, यह सफाई नहीं हुई या समय पर खाना नहीं बना आदि-आदि। अब तो घर के कोने-कोने की सफाई हो रही है और नौकरों के काम की अहमियत बढ़ रही है और कहीं-कहीं यह भी है कि नौकर रखे ही न जाएं। जो काम हम कर सकते हैं कोई नहीं कर सकता। कई स्थानों पर बाई और नौकरों को बहुत मिस कर रहे हैं।
हमारे आफिस के कर्मचारियों को सलाम और मैं उनके आगे नतमस्तक हूं जो अखबार को चलाने में बहादुरी से काम कर रहे हैं। कुल मिलाकर यह कोरोना कइयों को जोड़ रहा है, कइयों की असलियत मालूम पड़ रही है। बहुत से लोग पिस रहे हैं क्योंकि इन्कम नहीं, परन्तु टैक्स, कर्मचारियों को सैलरी और जीएसटी तो पे करना पड़ेगा।
अभी इसमें छूट भी मिल रही है, परन्तु यह कोरोना कइयों पर कहर ढा रहा है। जानमाल की कहर। कहीं जान नहीं कहीं माल नहीं।

Join Channel