CM दफ्तर में हुई कोरोना की एंट्री, मुख्यमंत्री योगी ने खुद को किया आइसोलेट
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय में कई अधिकारियों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद मुख्यमंत्री योगी ने एहतियात के तौर पर आइसोलेशन में रहने का फैसला किया है। इस दौरान वह वर्चुअली निगरानी करते रहेंगे।
07:57 PM Apr 13, 2021 IST | Ujjwal Jain
Advertisement
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय में कई अधिकारियों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद मुख्यमंत्री योगी ने एहतियात के तौर पर आइसोलेशन में रहने का फैसला किया है। इस दौरान वह वर्चुअली निगरानी करते रहेंगे।
Advertisement
इस बात की जानकारी खुद मुख्यमंत्री योगी ने ट्वीट करके दी है। उन्होंने लिखा कि मेरे कार्यालय के कुछ अधिकारी कोरोना से संक्रमित हुए हैं। यह अधिकारी मेरे संपर्क में रहे हैं, अत: मैंने एहतियातन अपने को आइसोलेट कर लिया है एवं सभी कार्य वर्चुअली प्रारम्भ कर रहा हूं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल ओएसडी अभिषेक कौशिक, विशेष सचिव अमित सिंह सहित कुछ अन्य कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।
Advertisement
वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य महकमे के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर स्वास्थ्य सेवाओं की चिंताजनक हालत की ओर ध्यान आकर्षित किया और कहा कि अगर हालात में जल्दी सुधार नहीं हुआ तो कोविड-19 रोकथाम के लिए लखनऊ में लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है।
Advertisement
उधर, समाजवादी पार्टी ने मंत्री के पत्र बहाने कोरोना प्रबंधन में अव्यवस्था के लिए पूरी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। कानून मंत्री ब्रजेश पाठक का सोमवार को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा व स्वास्थ्य तथा प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को भेजा गया कथित पत्र मंगलवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस पत्र के भेजे जाने के बारे में जब पाठक से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एक गोपनीय पत्र भेजा है।’’ लेकिन उन्होंने पत्र में क्या लिखा है इस बारे कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।
सोशल मीडिया पर वायरल पत्र में पाठक ने लिखा है कि ‘‘अगर कोविड-19 जनित परिस्थितियों को शीघ्र नियंत्रित नहीं किया गया तो हमें रोकथाम के लिए लखनऊ में लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है।” उन्होंने पत्र में लिखा है, ‘‘अत्यंत कष्ट के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि वर्तमान समय में लखनऊ जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। विगत एक सप्ताह से हमारे पास पूरे लखनऊ जनपद से सैकड़ों फोन आ रहे हैं, जिनको हम समुचित इलाज नहीं दे पा रहे हैं।”
पत्र में लिखा है, ”मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में फोन करने पर बहुधा फोन का उत्तर नहीं मिलता। इसकी शिकायत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री से और अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य से करने के उपरान्त फोन तो उठता है किन्तु सकारात्मक कार्य नहीं होता।” उन्होंने आगे लिखा है कि मरीज की जांच रिपोर्ट मिलने में चार से सात दिन का समय लग रहा है, एंबुलेंस नहीं मिल रही है।
उन्होंने यह शिकायत की है, ”आज मेरे विधानसभा क्षेत्र के पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त डॉ योगेश प्रवीण की अचानक तबियत बिगड़ गई। इसकी सूचना मिलने पर मैंने स्वयं मुख्य चिकित्सा अधिकारी से फोन पर बात की और उन्हें तत्काल एंबुलेंस व चिकित्सा मुहैया कराने का अनुरोध किया, किंतु खेद का विषय है कि कई घंटों बाद भी उन्हें एंबुलेंस नहीं मिली और समय से इलाज नहीं होने के कारण उनकी मृत्यु हो गयी।”

Join Channel