कोरोना : समर अभी शेष है
वर्ष 2020 की शुरूआत के समय से ही तीसरे युुद्ध की आशंकायें व्यक्त की जाने लगी थीं। अमेरिका-ईरान में टकराव शुुरू हुआ और अमेरिका-चीन में भी भिड़ंत शुरू हो गई थी लेकिन उसके बाद चीन में कोरोना वायरस फैलना शुरू हुआ
12:19 AM Aug 28, 2020 IST | Aditya Chopra
वर्ष 2020 की शुरूआत के समय से ही तीसरे युुद्ध की आशंकायें व्यक्त की जाने लगी थीं। अमेरिका-ईरान में टकराव शुुरू हुआ और अमेरिका-चीन में भी भिड़ंत शुरू हो गई थी लेकिन उसके बाद चीन में कोरोना वायरस फैलना शुरू हुआ जिसने चीन के साथ-साथ पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। अमेरिका ने शुरूआती दौर में लापरवाही बरती, जब कोरोना ने वहां घातक रूप से पैर पसार लिए तो उसने भी बचाव के उपाय लागू कर दिए। तीसरे विश्व युद्ध की आशंकायें ठंडी पड़ती गईं लेकिन दुनिया अब कोरोना से युद्ध लड़ रही है, यह भी एक तरह का युद्ध ही है।
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जहां तक भारत का सवाल है तो कोरोना केसों की संख्या 33 लाख के पार हो चुकी है। बुधवार को रिकार्ड 75 हजार 995 नए केस सामने आए, ये एक दिन में सबसे ज्यादा हैं। इससे पहले 22 अगस्त को 70 हजार 67 लोग संक्रमित मिले थे। पिछले 24 घंटों में 18 हजार 782 एक्टिव केसों की बढ़ौतरी हुई। भारत में हर दिन संक्रमितों के बढ़ने की रफ्तार दुनिया में सबसे तेज हो गई है। दूसरे नम्बर पर या तो अमेरिका रहता है या फिर ब्राजील। इन दोनों देशों में रोजाना 20-25 हजार नए केस मिल रहे हैं। आंकड़ों को देखें तो भारत में अब हर दस लाख की आबादी में 27 हजार 243 लोगों की कोरोना टैस्टिंग हो रही है। इनमें 2393 लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं। इतनी ही आबादी में 44 लोगों की मौत हो रही है। मरने वालों की संख्या अब 60 हजार हो चुकी है। आंकड़े बताते हैं कि संक्रमित मरीजों की ठीक होने वालों की दर बढ़कर 76 फीसदी हो चुकी है और मृत्यु दर दो प्रतिशत से नीचे आ चुकी है।
एक्टिव केसों से तीन गुणा ज्यादा लोग अब कोरोना वायरस को हराकर जीवन की जंग जीत चुके हैं। इस बात का श्रेय डाक्टरों, नर्सों और तमाम विशेषज्ञों को दिया जा रहा है कि उन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए संक्रमित लोगों का उपचार किया। कोरोना से जंग में कई डाक्टर, नर्स और पुलिसकर्मी जान गंवा चुके हैं। अब तो टेस्टिंग की रफ्तार भी काफी तेज है। लॉकडाउन के अनलॉक होते ही हालात सामान्य जरूर लग रहे हैं। जो लोग दो माह पहले खुद को बेबस समझते थे, घरों में बंद थे, उन्होंने बाहर निकलना शुरू कर दिया है। महामारी का डर भी जेहन से निकलना शुरू हो गया है। दिल्ली में तो कोरोना काफी हद तक काबू में है, हालांकि कुछ दिन में नए केस बढ़ रहे हैं। नए केस बढ़ने के चलते मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने टैस्टिंग दोगुणा करने का फैसला किया है। दिल्ली में हजारों मरीज स्वयं घरों में क्वांटरीन होकर ठीक हो चुके हैं। दिल्ली के दूसरे सीरो सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि काफी हद तक लोगों में एंटीबाॅडी विकसित हो चुकी है। यही कारण है कि महानगर के लोग कुछ एहतियात के साथ बाहर आने लगे हैं। जैसे-जैसे पाबंदियां खत्म हो रही हैं लोगों पर से मनोवैज्ञानिक दबाव कम हुआ है। दिल्ली के रेस्टोरेंट और साप्ताहिक बाजार खुलने से भी लोगों को खुलेपन का अहसास हुआ। अब दिल्ली में मैट्रो चलाने की तैयारी की जा रही है, इससे भी लोगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
उम्मीद तो की जाती थी कि भारत कोरोना से जंग जल्दी जीत लेगा लेकिन रोजाना 75 हजार से अधिक केस सामने आने से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने से चिंताएं स्वाभाविक हैं। घनी आबादी वाले उत्तरी राज्यों में जांच की रफ्तार उम्मीद के मुताबिक नहीं। उत्तर प्रदेश और बिहार में भी कोरोना के मरीज रोजाना मिल रहे हैं। वैक्सीन आने में अभी समय लगेगा। कोरोना का डर तो जेहन से निकल गया लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम एहतियाती उपाय करना छोड़ दें। दिल्ली में एक जगह साप्ताहिक बाजार इसलिए बंद करना पड़ा क्योंकि वहां सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गईं। कोरोना वायरस से युद्ध में यह स्लोगन दिमाग में बैठाना होगा-सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि संक्रमण छोटे कस्बों से लेकर गांवों तक पहुंच चुका है। अब आने वाले दिनों में त्यौहार आने वाले हैं, भले ही रामलीलाओं का मंचन और दशहरा पर्व का आयोजन नहीं किया जाएगा, फिर भी लोगों की गतिविधियां तेजी से बढ़ेंगी। बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, इससे वहां भी राजनीतिक गतिविधियां बढ़ेंगी। लोगों की गतिविधियां बढ़ने से संक्रमण की आशंकाएं भी अधिक होंगी। इसलिए काफी सावधानी बरतने की आवश्यकता है। भारतीयों को सोचना होगा कि वे कोरोना से युद्ध लड़ रहे हैं। समर अभी शेष है, इसलिए लोगों को अपना संकल्प मजबूत करके वायरस से लड़ना होगा। अगर हमने लापरवाही बरती तो वायरस फैल सकता है जिसे काबू करने के लिए बहुत ज्यादा समय लग सकता है। आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हैं, सिनेमाघर बंद हैं, खेल जगत का माहौल और रोमांच सब कुछ शिथिल है। खेल के मैदान में न दर्शकों की भीड़, न तालियों की गड़गड़ाहट और न ही हौसला अफजाई। स्थिति सामान्य तभी होगी जब कोरोना का साया छंट जाएगा। लोगों को सोचना होगा कि आखिर वे कोरोना के साथ जीना चाहेंगे या कोरोना से मुक्त होकर। अगर कोरोना से मुक्त होना है तो फिर खुद भी बचना होगा और दूसरों को भी बचाना होगा अगर ऐसा नहीं किया गया तो कोरोना से जूझते हुए लोगाें की कुर्बानियां सब जाया चली जाएंगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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