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कोरोना : विरोधाभासी आंकड़ों के बीच जंग

अनलॉक-वन में देश के लोगों ने नई पारी शुरू कर दी है। लोग घरों से बाहर ​िनकल पड़े हैं। अब मंदिर, मस्जिद भी खुल जाएंगे और लोग वहां भी जाएंगे। कोरोना वायरस से निजात दिलाने के लिए प्रार्थना करेंगे।

12:09 AM Jun 07, 2020 IST | Aditya Chopra

अनलॉक-वन में देश के लोगों ने नई पारी शुरू कर दी है। लोग घरों से बाहर ​िनकल पड़े हैं। अब मंदिर, मस्जिद भी खुल जाएंगे और लोग वहां भी जाएंगे। कोरोना वायरस से निजात दिलाने के लिए प्रार्थना करेंगे।

अनलॉक-वन में देश के लोगों ने नई पारी शुरू कर दी है। लोग घरों से बाहर ​िनकल पड़े हैं। अब मंदिर, मस्जिद भी खुल जाएंगे और लोग वहां भी जाएंगे। कोरोना वायरस से निजात दिलाने के लिए प्रार्थना करेंगे। लोग कोरोना के साथ जीने की आदतें डाल रहे हैं। सरकार ने भी महामारी के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर ध्यान देना शुरू कर दिया है।
कोई वैक्सीन न होने के चलते भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना से अंधकार में ही लड़ रही प्रतीत होती है। कोरोना वायरस का भारत में कम्युनिटी ट्रांसमीशन हो चुका है या नहीं, इस संबंध में भी विरोधाभास है। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने निष्कर्ष निकाला है कि भारत में कम्युनिटी ट्रांसमीशन हो चुका है लेकिन अनेक विशेषज्ञों का कहना है कि अभी कम्युनिटी ट्रांसमीशन नहीं हुआ है। लॉकडाउन की शुरूआत से ही हर्ड इम्युनिटी, इम्युनिटी पासपोर्ट से लेकर कम्युनिटी ट्रांसमीशन तक विशेषज्ञ अपनी राय देते रहे हैं। कोरोना संक्रमण के आंकड़े अब बहुत डराने लगे हैं। भारत इटली को पछाड़ कर संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित देशों में सातवें स्थान पर पहुंच चुका है। ट्रांसमीशन रेट जिसे ​रि-प्रोडक्शन नम्बर भी कहा जाता है। इस रेट के माध्यम से हम आकलन लगाते हैं कि आबादी में महामारी ​कितनी तेजी से बढ़ रही है। 
यहां भी आंकड़ों में विरोधाभास है। लॉकडाउन का पहला चरण 24 मार्च से शुरू हुआ था तब इंस्टीच्यूट ऑफ मैथे​मेटिकल साइंस चेन्नई के वैज्ञानिकों ने ट्रांसमीशन रेट का गणित प्रस्तुत किया था। तब उन्होंने पाया था कि यह रेट 1.83 है, इसका अर्थ यह है कि सौ संक्रमित लोग 183 अन्य लोगों को संक्रमित कर रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान ट्रांसमीशन रेट कम होकर 1.29 रह गया। हैरानी की बात तो यह है कि लॉकडाउन में ढील के बाद लोग पहले की ही तरह घूमने-फिरने लगे हैं लेकिन ट्रांसमीशन दर कम हो रही है।
आंकड़ों का नया विश्लेषण यह बताता है कि अब यह दर 1.22 यानी अब सौ संक्रमित लोग 122 लोगों को बीमार बना रहे हैं। महामारी के अंत की शुरूआत तब मानी जाएगी जब यह दर एक से भी कम होगी। ट्रांसमीशन रेट लगातार कम हो रहा है लेकिन मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। महाराष्ट्र सर्वाधिक प्रभावित तो था ही, दिल्ली, असम, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। महाराष्ट्र में भी ट्रांसमीशन रेट राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले कम हो रहा है लेकिन मरीजों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। अब जबकि शापिंग माल्स भी खुल जाएंगे जो देश की गुलाबी तस्वीर जरूर प्रस्तुत करेंगे लेकिन विरोधाभासी आंकड़ों के चलते कोरोना से जंग कैसे लड़ी जाए, इस संबंध में कुछ भी निश्चित नहीं है। मास्क पहनना, बार-बार हाथ धोना, सोशल डिस्टेंसिंग को ही बेहतर उपाय माना गया है। हर्ड इम्युनिटी की बात की जा रही है। इसका कन्सैप्ट यह है कि अगर 60 फीसदी से ज्यादा लोगों में हर्ड इम्युनिटी पैदा हो जाए तो कोरोना वायरस के संक्रमण का दायरा सिमट जाएगा लेकिन हर्ड इम्युनिटी विकसित करने का रास्ता भी काफी जोखिम भरा है।
हर्ड इम्युनिटी के नाम पर अनेक उत्पादों को अब इस तरह से प्रचारित किया जाने लगा है जैसे उनसे शरीर के अन्दर कोरोना का मुकाबला करने की शक्ति पैदा हो जाती है। जबकि ऐसे उत्पाद तो पहले ही बाजार में थे लेकिन अब उन पर नया लेबल लगा दिया गया है। अस्पतालों की हालत किसी से छिपी हुई नहीं है। सबकी पोल खुल चुकी है। पूरी तरह भ्रम की स्थिति है, ऐसे में आम आदमी आशंकित है कि भविष्य में उसके साथ क्या होगा। राजनीतिज्ञों की हालत यह है कि कोरोना हो या तूफान सब अपनी-अपनी राजनीतिक नौकाएं बहाने लगे हैं। जब तक कोई वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक कोरोना से बचाव के उपाय तो करने ही होंगे, तब तक रात के अंधेरे में हाथ-पांव पटकते रहिये। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका ने कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए 20 लाख वैक्सीन तैयार कर ली हैं। वैज्ञानिकों द्वारा इनके सुरक्षित और प्रभावी होने की मुहर लगा दिए जाने के बाद ही इसका इस्तेमाल शुरू कर दिया जाएगा। ऐसा दावा कई देश कर चुके हैं, देखना होगा किसे सबसे पहले सफलता मिलेगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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