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कोरोना का नया वेरिएंट और हम

बार-बार एक ही सवाल सामने आ रहा है कि महामारी से हमें कब मुक्ति मिलेगी? कब हमारा जीवन सामान्य होगा? जब भी कोरोना के नए केस घटने लगते हैं तो लगता है कि महामारी से हमारा पिंड छूटने लगा है।

12:12 AM Jan 30, 2022 IST | Aditya Chopra

बार-बार एक ही सवाल सामने आ रहा है कि महामारी से हमें कब मुक्ति मिलेगी? कब हमारा जीवन सामान्य होगा? जब भी कोरोना के नए केस घटने लगते हैं तो लगता है कि महामारी से हमारा पिंड छूटने लगा है।

बार-बार एक ही सवाल सामने आ रहा है कि महामारी से हमें कब मुक्ति मिलेगी? कब हमारा जीवन सामान्य होगा? जब भी कोरोना के नए केस घटने लगते हैं तो लगता है कि महामारी से हमारा पिंड छूटने लगा है। फिर अचानक संक्रमण बढ़ जाता है, लगातार हो रही मौतें हमें चिंता में डाल देती हैं। कोरोना के नए-नए वेरिएंट हमें डराने लगते हैं। संकट अभी भी बहुत बढ़ा है, क्योंकि ओमीक्रोन वेरिएंट अब तक के सारे कोरोना के एपो से सबसे ज्यादा लम्बे समय तक रहने वाला वेरिएंट है। इसके  बाद इसका नया वेरिएंट बी-2 मिला। मध्य प्रदेश के इंदौर में इस वेरिएंट से संक्रमित बच्चे भी मिले हैं। अभी भी कुछ पता नहीं चल रहा कि नया वेरिएंट कितना घातक है। अब एक ओर नए घातक कोरोना वायरस वेरिएंट का पता चलने से पूरी दुनिया की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। चीन के बुहान के शोधकर्ताओं ने नए वेरिएंट ‘निपोकोव’ को लेकर चेतावनी जारी की है। उनका दावा है कि निपोकोन की प्रसार क्षमता बहुत अधिक है और इससे माैत का खतरा बहुत ज्यादा है। स्टडी के मुताबिक नए वायरस से हर तीन में से एक संक्रमित की मौत होने का खतरा है। कोरोना का यह नया वेरिएंट दक्षिण अफ्रीका के चमगादड़ों में पाया गया है। इसी वायरस से इंसानों को भी खतरा माना जा रहा है क्योंकि 2019 में जब चीन में दुनिया का पहला कोरोना केस सामने आया था तब इसमें चमगादड़ों के जरिये ही इंसानों में फैलने की बात कही गई थी। बुहान के ​विशेषज्ञों का कहना है कि नया वेरिएंट निपोकोन इंसान तक पहुंचने के लिए बस एक म्यूटेशन की जरूरत है। एक दूसरी रिपोर्ट यह भी है कि निपोकोव वायरस नया नहीं है, ये वायरस कुछ वर्ष पहले फैले मर्स-कोव वायरस से सं​बंधित है, जो 2012-15 के दौरान खाड़ी देशों में फैला था। अब इस वेरिएंट पर रिसर्च जारी है। अगर आज का आंकड़ा देखा जाए तो अब तक कोरोना से कुल मौतों का आंकड़ा 4,93195 पहुंच चुका है और कुल कोरोना केसों का आंकड़ा 4,0857922 हो चुका है। 
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फिलहाल देश में एक्टिव केस यानी इलाज करा रहे मरीजों की संख्या 20.04 लाख है। नए साल में केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश सर्वाधिक प्रभावित हुए जबकि उत्तर भारत के राज्यों में कोरोना शांत हुआ है। राजस्थान में नए संक्रमितों की संख्या में कमी, उत्तर प्रदेश में एक्टिव केसों की संख्या में कमी, हरियाणा में नए केसों की रफ्तार स्थिर हो चुकी है और दिल्ली में पॉजिटिविटी रेट घट कर 8.60 फीसदी रह गया है। यह भी विश्लेषण का विषय है कि उत्तर भारत में कोरोना शांत और दक्षिण भारत में वायरस उग्र क्यों है? भारत में सफल टीकाकरण के चलते लोगों में इम्युनिटी पैदा हुई है। कोरोना वैक्सीनेशन का आंकड़ा 165.04 करोड़ के पार पहुंच चुका है। 15 से 17 वर्ष के 60 प्रतिशत से ज्यादा बच्चों को वैक्सीन की पहली डोज लगाई जा चुकी है। कोरोना की वैक्सीन को मार्केट में उपलब्ध कराने के​ लिए मंजूरी दी जा चुकी है। महाराष्ट्र में राजनीतिक विरोध के बावजूद स्कूल खोले जा चुके हैं। हरियाणा में यूनिवर्सिटी, कालेज और कक्षा दसवीं से 12वीं तक के स्कूलों को एक फरवरी से खोला जा रहा है। राजस्थान में भी फरवरी महीने से स्कूलों को खोलने का फैसला किया गया है। चंडीगढ़ प्रशासन ने भी एक फरवरी से स्कूल-कालेज खोलने का फैसला कर लिया गया है। अब दिल्ली में भी स्कूल-कालेज खोलने पर विचार किया जा रहा है। राज्य सरकारें पाबंदियों में फिर से ढील देने लगी हैं। 
दरअसल जब एक सरकार कोई फैसला लेती है तो दूसरी सरकारों पर भी ऐसे ही फैसले लेने का दबाव बढ़ता है। इसलिए जरूरी है कि हर फैसला परिस्थितियों के अनुसार समझदारी से ​लिया जाए। यह लहर बच्चों को भी समान रूप से पीड़ित कर रही है। यद्यपि ऐसा कहा जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर पीक पर पहुंच गई है और अब ये तेजी से कम होगी। फिलहाल इस बात से राहत है कि कोरोना की इस लहर का स्वास्थ्य सेवाओं पर दूसरी लहर जैसा कोई दबाव नजर नहीं आया। यह जरूरी है कि अनावश्यक प्रतिबंधों में तार्किक ढंग से ढील दी जाए और समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए रोजी-रोटी का संकट पैदा न हो। 
निसंदेह बच्चों के टीकाकरण से अभिभावकों की चिंता दूर होगी। यह मान कर चलना होगा कि यह वर्ष भी हमें कोरोना से बचाव का हर सुरक्षा कवच लेना होगा। केवल सुविधाओं की घोषणा करने से कुछ नहीं होगा। शासन, प्रशासन और समाज को खुद वायरस से लोहा लेना होगा। अभी भी कुछ पता नहीं चल रहा कि समाज में कौन किसको संक्रमित कर रहा है। महामारी को रोकना एक-एक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। सबसे जरूरी है लक्षण की स्थिति में संक्रमण का वाहक बनने से बचना। आपदा में अवसर तलाशने वालों की कोई कमी नहीं बल्कि इंसानों और इंसानियत की परीक्षा का समय है। कोरोना के नए वेरिएंट की खबर से हम सब भयभीत हैं, इसलिए हमें सतर्क रहने की जरूरत है। बेहतर यही है कि फिलहाल हमें सुरक्षा संबंधी उपायों को अपनाते रहना होगा जब तक खतरा पूरी तरह टल नहीं जाता।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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