कोरोना काल में कर सुधार
पिछले कुछ वर्षों से आयकर, कार्पोरेट टैक्स, जीएसटी और अन्य करों के बारे में जानकारी देने वालों और टैक्स चुकाने वालों की संख्या में अच्छी खासी बढ़ौतरी हुई है। यह इस बात का संकेत है
12:07 AM Aug 15, 2020 IST | Aditya Chopra
पिछले कुछ वर्षों से आयकर, कार्पोरेट टैक्स, जीएसटी और अन्य करों के बारे में जानकारी देने वालों और टैक्स चुकाने वालों की संख्या में अच्छी खासी बढ़ौतरी हुई है। यह इस बात का संकेत है कि ईमानदार करदाता अपने हिस्से का टैक्स चुका कर देश के िवकास में अपना योगदान देने को तैयार है। व्यवस्था दुरुस्त हो, पारदर्शिता और टैक्स चुकाने की प्रणाली सरल हो तो लोग कर चुकाने के लिए स्वयं आगे आ जाते हैं। इसलिए कराधान प्रणाली में सुधारों की कवायद जारी रहनी चाहिए।
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आज भारत कोरोना के दंश से पीड़ित है। इस दंश ने अर्थतंत्र को बहुत नुक्सान पहुंचाया। काम-धंधे ठप्प हैं, अभी अर्थव्यवस्था की गति चींटी की चाल से चल रही है। लघु उद्योग चलाने के लिए धन की जरूरत है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती सरकार के सामने है। कराधान प्रणाली को सहज बनाने की पहल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में हमारी क्षमता का आधार बन सकती है। सरकार को भी राजस्व मिलना चाहिए। राजस्व की कमी से जनहित में चलाई जा रही परियोजनाएं बीच में ही रुक जाने का खतरा पैदा हो जाता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने करदाता चार्टर पारदर्शी कराधान ईमानदार का सम्मान मंच का उद्घाटन करते हुए उम्मीद जताई है कि इससे करदाता और आय कर विभाग के बीच का विवाद खत्म होगा और कराधान प्रणाली में पारदर्शिता आएगी। भारत में यह चार्टर पहली बार लागू किया जा रहा है। पिछले बजट में आयकर की दरों में बदलाव के साथ-साथ कर चुकाने की व्यवस्था सरल बनाने की घोषणा की गई थी। पांच लाख की सलाना आमदनी का कर मुक्त करना बड़ी पहल थी। वस्तु एवं सेवाकर के लागू होने से कारोबारियों को बड़ी राहत मिली है और सरकार को राजस्व जुटाने में भी सुविधा हुई है। जब भी कुछ नया किया जाता है, उसमें दिक्कतें तो आती ही हैं। जीएसटी लागू किए जाने का विरोध भी हुआ लेकिन अब दिक्कतें दूर कर दी गई हैं और राजस्व संग्रह सामान्य ढंग से हो रहा है। पिछले वर्ष कार्पोरेट दर को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया गया था। नई मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों के लिए यह दर 15 फीसदी निर्धारित की गई। कर सुधारों की वजह से कराधान प्रणाली की कार्यक्षमता भी बढ़ी। चुकाए गए कर की जांच-पड़ताल के काम में बड़ी कमी आई है। इसका एक कारण पारदर्शिता में वृद्धि भी है।
हमने वह दौर भी देखा है जब सब अफसरशाही के पीड़ादायक नियमों में उलझे हुए थे। हर वक्त आयकर इंस्पैक्टर का खौफ मन में छाया रहता था। झमेलों से बचने के लिए भारतीयों में कमाए गए धन को छुपाने और कर चोरी की मानसिकता बढ़ती जा रही थी। कौन नहीं जानता कि लालफीताशाही के चलते आयकर विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से ‘दोस्ती’ का भी अपना महत्व था। आयकर अधिकारी अपना सारा धंधा इनके जरिये ही करते थे। धीरे-धीरे इंस्पैक्टरी राज को खत्म करने की कोशिशें की गईं जो काफी हद तक सफल रहीं। वेतनभोगी आयकरदाताओं के लिए कर प्रणाली को सुविधाजनक बनाया गया। अब बड़े कारोबारियों को ध्यान में रखते हुए कराधान चार्टर लागू किया गया। नई प्रौद्योगिकी अपनाए जाने से अब सारा काम कम्प्यूटर प्रणाली द्वारा किया जाता है। इसी प्रणाली के तहत टैक्स का मूल्यांकन और भुगतान की सुविधा उपलब्ध होगी। इस तरह करदाता पर आयकर विभाग के अधिकारियों का बेवजह हस्तक्षेप नहीं होगा। अब तो आयकर रिटर्न दावों का निपटारा बहुत जल्दी हो जाता है। कम्प्यूटर प्रणाली से बड़े कारोबारियों के कर का मूल्यांकन भी जल्दी हो जाएगा।
देश में जब-जब आयकर विभाग सक्रिय हुआ, कर चोरी रोकने के लिए छापेमारी की गई तब स्थानीय स्तर पर तो कभी व्यापक स्तर पर बवाल मचा। कई बार आयकर छापों के विरोध में बाजार बंद रखे गए, हड़तालें और प्रदर्शन भी देखे गए। बड़े कारोबारी अदालतों में भी पहुंचते रहे हैं। अब नए चार्टर से आयकर विभाग को फेसलेस बनाने की कोशिश की गई है। नए चार्टर से कर संबंधी विवादों की सम्भावना कम हो रही है। अब इन्कम टैक्स आफिसरों और व्यापारियों में आमना-सामना कम ही होगा। जहां तक आयकर चोरी का सवाल है, यह भारतीयों की प्रवृत्ति बन चुका है। अभी तक के सारे उपाय विफल रहे हैं। आयकर चोर कोई न कोई छिद्र बना ही लेते हैं। ईमानदार करदाताओं को सहज प्रणाली का फायदा मिलेगा। कोरोना काल बहुत ही संकट भरा है। हर कोई अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित है। ऐसी स्थिति में सरकार को व्यापारियों, उद्योगपतियों और कार्पोरेट सैक्टर का विश्वास जीतने की जरूरत है। आयकर विभाग का हस्तक्षेप कम होने से करदाता की ताकत बढ़ेगी। कोरोना काल में किया गया कर सुधार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में अहम भूमिका निभा सकता है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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