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बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) के मुख्य नियंत्रक पुरुषेंद्र कुमार धीर सिंह की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया लगता है कि वह कथित लाइसेंस घोटाले में शामिल थे। उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फाल्के ने 13 मार्च को उनकी गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका खारिज कर दी।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने इस मामले में तीन जनवरी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू की थी। प्राथमिकी में PESO में विस्फोटक के दो उप मुख्य नियंत्रक अशोक कुमार दलेला और विवेक कुमार, एक अन्य व्यक्ति प्रियदर्शन दिनकर देशपांडे और राजस्थान की सुपर शिवशक्ति केमिकल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक देवी सिंह कछवाहा को आरोपी के रूप में नामज़द किया गया है।
जांच के दौरान, CBI को लाइसेंस घोटाले में पुरुषेंद्र कुमार या पी कुमार की भूमिका का संकेत देने वाले सबूत मिले। जांच अधिकारी ने देशपांडे का बयान दर्ज किया, जिसने लाइसेंस घोटाले में पी कुमार की संलिप्तता का खुलासा किया। देशपांडे ने CBI को यह भी बताया कि रिश्वत की राशि का 70 प्रतिशत हिस्सा पी कुमार को, 15 फीसदी हिस्सा दलेला और विवेक कुमार को दिया जाना था और शेष 15 प्रतिशत वह खुद रखता। CBI ने कहा कि पी कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है और उसने कुमार की जमानत याचिका को खारिज करने का आग्रह किया।