Gautam Gambhir : कहानी एक ऐसे सख्स की, जिसने बदल दी KKR की तकदीर
बीती रात कोलकाता नाइट राइडर्स ने तीसरी बार IPL जीत कर इतिहास के पन्नो में अपना नाम दर्ज करा लिया। चारों तरफ सिर्फ एक ही गाना अब नजर आ रहा है कोरबो लोरबो जीतबो रे.....KKR के तमाम फैंस का सपना आखिर 10 साल बाद आखिर पूरा हो ही गया, खिलाड़ियों और फैंस की आँखों में ख़ुशी के आंसू साफ़ साफ़ देखे गए।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोलकाता को ट्रॉफी जीताने में सबसे बड़ा हाथ किसका है। एक ऐसा सख्स जो मैदान के अन्दर से नहीं, बल्कि मैदान के बाहर से मैच KKR की झोली में डाल देता है। शायद आप पहचान गए होंगे कि हम किस सख्स की बात कर रहे हैं। आज हम बात कर रहे हैं, टीम इंडिया के लिए 2 बार वर्ल्ड कप फाइनल में मैन ऑफ़ द मैच परफॉरमेंस करने वाले गौतम गंभीर की, जिसने तीसरी बार KKR को चैंपियन बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभा दी है, तो चलिए फिर आपको बताते हैं आखिर कैसे बदली गंभीर ने कोलकाता की तकदीर।
HIGHLIGHTS
- साल 2011 में कोलकाता नाइट राइडर्स से जुड़े थे गंभीर
- 2012 और 2014 में जीताया खिताब
- 6 साल बाद KKR में बतौर मेंटर वापसी
- 2024 आईपीएल का खिताब KKR ने जीता
IPL की शुरुआत में KKR का हाल बेहाल
इसके लिए हमे चलना होगा आज से 17 साल पहले जब आईपीएल का पहला संस्करण खेला गया। पहले सीजन में शाहरुख़ खान बने कोलकाता के मालिक और प्रिंस ऑफ़ कोलकाता सौरव गांगुली को बनाया गया इस टीम का कप्तान। लेकिन गांगुली ने जो कारानामा भारतीय क्रिकेट के लिए किया वह कोलकाता के लिए करने में असमर्थ साबित हुए। ना तो उनका खुद का बल्ला चल रहा था और ना ही उनकी टीम कुछ अच्छा कर पा रही थी। टाइटल जीतना तो छोड़िये टीम प्लेऑफ के आसपास भी नहीं मंडरा पा रही थी उलटा हालात यह थे कि टीम 8 टीम में कभी 6ठे पायदान पर तो कभी 8वें पायदान पर नज़र आ रही थी। ऐसे में कोलकाता के मैनेजमेंट ने 2011 आईपीएल से पहले टीम में बड़े-बड़े खिलाड़ियों को छोड़ा और फिर ऑक्शन में कुछ नामी खिलाड़ियों को अपनी टीम से जोड़ा जिनमें से एक थे गौतम गंभीर
2011 में मिली टीम की कमान
2011 आईपीएल से पहले सौरव गांगुली कोलकाता नाइट राइडर्स से जा चुके थे ऐसे में पहली समस्या तो यह थी कि टीम की कमान कौन संभालेगा। उस टीम में जैक कैलिस और ब्रेट ली मार्क बाउचर जैसे बड़े-बड़े खिलाड़ी थे लेकिन मैनेजमेंट ने गौतम गंभीर को टीम की कमान सौंप दी। इस फैसले के बाद कोलकाता के फैंस दो समूह में बंट गए किसी को भी गंभीर की कप्तानी पर बहुत ज्यादा भरोसा नहीं था, लिहाजा गंभीर पर उस समय दबाव होना लाजमी था। सौरव गांगुली का जाना कुछ फैंस को बहुत पसंद नहीं आया और फैंस KKR के मैच देखने तक के लिए राजी नहीं थे। ऐसे में केकेआर को किसी ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत थी जो इन फैंस को वापस स्टैंड पर ला सके। 8 अप्रैल 2011 को, गंभीर ने पहली बार कोलकाता नाइट राइडर्स का नेतृत्व किया। उनकी कप्तानी की अनूठी शैली ने CSK को 153 रनों पर रोकने में मदद की। जब लक्ष्य का पीछा शुरू हुआ, तो उन्होंने मनोज तिवारी और यूसुफ पठान जैसे खिलाड़ियों को अधिक मौके देने के लिए दूसरों को ऊपर भेजा और खुद को नंबर 6 पर उतारा, हालांकि हम दो रन के मामूली अंतर से मैच हार गए। उसी सीज़न में, गंभीर ने पहली बार कोलकाता को आईपीएल सेमीफाइनल तक पहुँचाया। लेकिन उनका काम अभी अधूरा था।
2012 में पहला, 2014 में दूसरा...
आईपीएल 2012....यानि की सीजन 4 में गंभीर & कंपनी में अनुभव और युवा खिलाड़ियों का मिश्रण देखा गया, इसी टीम ने स्पिन के जादूगर माने जाने वाले सुनील नरेन की पहली झलक हमे दिखाई। टीम की शुरुआत काफी खराब रही और टीम ने सीजन के अपने पहले 2 गेम गंवा दिए, लेकिन यहां से टीम ने जबरदस्त कमबैक करते हुए लगातार 7 मैच जीते और अंक तालिका में दूसरा स्थान हासिल किया और प्ले-ऑफ में प्रवेश करने में मदद की। उसके बाद फाइनल में CSK के खिलाफ उन्ही के घर में एक रोमांचक मुकाबले में जीत हासिल की और पहली बार ट्रॉफी पर अपना कब्जा जमाया। गौतम ने कप्तानी और बल्लेबाजी हर जगह शानदार काम किया, उन्होंने इस सीजन 6 अर्धशतक जड़ते हुए 590 रन बनाए। इस एक दिन के बाद कोलकाता की हर गली में दिल्ली का यह लाल छा गया। उसके सिर्फ दो साल बाद गंभीर ने फिर KKR को चैंपियन बनाया। उसके बाद भी गंभीर & कंपनी का शानदार प्रदर्शन जारी रहा चाहे वह बेंगलुरु की टीम को 49 रन पर समेटना हो या फिर धोनी के खिलाफ फील्डिंग सेट करना उनकी कप्तानी देखने लायक होती थी....2017 तक गंभीर KKR के अहम् खिलाड़ी साबित हुए।
2018 में एक अधूरा सपना लिए पहुंचे दिल्ली
लेकिन यहां से कहानी ने एक नया मोड़ लिया, हम सब जानते हैं कि गंभीर दिल्ली में पले बड़े हैं उनकी यह ख्वाहिश थी कि वह एक बार दिल्ली को भी चैंपियन बना पाए क्योंकि दिल्ली ने भी तो कभी आईपीएल का खिताब जीता नहीं था। ऐसे में गंभीर ने यहाँ किया बदलाव..... और कोलकाता का साथ छोड़ दिल्ली की टीम से जुड़े वो भी बतौर कप्तान लेकिन दिल्ली में गंभीर का आना किसी को रास नहीं आया गंभीर शुरू में ही फ्लॉप हुए और फिर उन्होंने फ्रेंचाइज़ी को अपनी पूरी फीस वापिस करते हुए श्रेयस अय्यर को टीम की कमान सौंप दी। दूसरी तरफ कोलकाता के प्रदर्शन भी एक आध मौकों को छोड़कर पूरी तरह गिर चुका था। गंभीर ने संन्यास लिया और फिर लखनऊ के मेंटर बने। लेकिन पिछले साल जब गंभीर ने लखनऊ को छोड़ा तो सभी की निगाह में यही बात थी की क्या गंभीर 7 साल बाद एक बार फिर से KKR की जर्सी में नज़र आएंगे। शाहरुख़ खान के साथ हुई बातचीत के बाद साफ़ हो गया कि अब गंभीर की वापसी होने वाली है और फिर कुछ दिनों के बाद KKR ने भी ऑफिशियली डिक्लेअर कर दिया कि 2024 आईपीएल में KKR के मेंटर रहेंगे गौतम गंभीर।
2024 में फिर हुई KKR वापसी और रच दिया इतिहास
गंभीर के कोलकाता से जुड़ते ही फैंस के एक अन्दर एक अलग उमंग देखी गई। कई बार गंभीर के इंटरव्यू में KKR फैंस काफी ज्यादा इमोशनल हो गए और गंभीर को KKR कभी ना छोड़ने के लिए कहने लगे। गंभीर भी फैंस की भावनाओं का सम्मान किया और उनकी बात को माना। इसके बाद जो कुछ भी हुआ वह किसी करिश्मे से कम नही था। KKR जब इस बार ऑक्शन में उतरी तो वहां पर मैनेजमेंट के साथ गंभीर भी बैठे थे उन्होंने 24.75 करोड़ की भारी भरकम राशि में मिचल स्टार्क को अपनी टीम से जोड़ा तो फैंस ने इनके इस फैसले की कड़ी आलोचना की। लोगों का मान ना था कि स्टार्क पर इतने पैसे लुटाना बेकार है और उनके साथ बाकी गेंदबाज बिलकुल साधारण हैं।
गंभीर के आते ही जैसे KKR की टीम पूरी तरह से बदल गई, जैसे की टीम का खोया हुआ कॉन्फिडेंस लौट आया हो। जिस टीम के खिलाड़ी कल तक डर डर कर खेल रहे थे अब वह टीम शेर की तरह मैदान पर नज़र आने लगी थी। गंभीर का हर फैसला अब शानदार नज़र आ रहा था चाहे सुनील नारायण को ओपनिंग कराना हो, अंगक्रिश रघुवंशी को खिलाना, श्रेयस और वेंकटेश अय्यर को खराब फॉर्म के बावजूद लगातार बैक करना। गंभीर ने जिस भी चीज़ को छुआ वह सोना बन गई। यहां तक की फैंस तो यह कहने लगे की श्रेयस अय्यर तो सिर्फ नाम के कप्तान हैं असली मास्टर माइंड तो गौतम गंभीर है। KKR फैंस आखिर में यही कहना चाहेंगे थैंक्यू सो मच गौतम गंभीर......