कैसे मां के एक फैसले की वजह से बदल गया पूरा क्रिकेट करियर , जानिये अश्विन की कहानी
Ravichandran Ashwin Birthday Special : भारतीय टीम के स्टार स्पिन गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन आज अपना 38वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। एक ऐसा खिलाड़ी जिसने करियर की शुरुआत बतौर ओपनर की थी लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और आज वह खिलाड़ी विश्व क्रिकेट के सबसे बड़े स्पिनरों में गिना जाता है। आज हम आपको उस खिलाड़ी की कहानी बताने जा रहे हैं जो एक गेंद के कारण फ़ास्ट बॉलर की जगह स्पिनर बन गया। तो चलिए आपको बताते हैं रविचंद्रन अश्विन की कहानी....बहुत कम लोग जानते हैं कि अश्विन एक तेज गेंदबाज बनना चाहते थे लेकिन अंडर-16 के दिनों में अश्विन के प्राइवेट पार्ट में गेंद लग गई थी। ऐसे में उनकी मां ने उन्हें स्पिनर बनने को कहा था। अश्विन के बचपन के कोच सीके विजय ने ही उन्हें ऑफ स्पिनर बनने की सलाह दी थी। इस तरह भारतीय टीम को एक दिग्गज ऑफ स्पिनर मिला।
रविचंद्रन अश्विन, एक भारतीय क्रिकेटर हैं और टीम इंडिया में ऑलराउंडर की भूमिका निभाते हैं. घरेलू क्रिकेट में अश्विन तमिलनाडु के लिए खेलते हैं. जबकि इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में वह राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेलते हैं. अश्विन क्रिकेट जगत के सर्वश्रेष्ठ स्पिन गेंदबाजों में से एक हैं. अश्विन एक दाएं हाथ के ऑफ ब्रेक गेंदबाज हैं और वह अपनी कैरम बॉल और लेग स्पिन के लिए जाने जाते हैं. अश्विन टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज 50, 100, 150, 200, 250, 300, 350 और 400, 500 विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज हैं. रविचंद्रन अश्विन का जन्म 17 सितंबर 1986 को मायलापुर, चेन्नई के एक तमिल परिवार में हुआ था. उनके पिता रविचंद्रन रेलवे में काम किया करते थे और उनकी माता का नाम चित्रा है, जो एक गृहणी हैं. अश्विन को बचपन से ही क्रिकेट में दिलचस्पी थी. उनके पिताजी भी क्रिकेट के बहुत बड़े प्रशंसक हैं. इसी कारण वे अश्विन को एक क्रिकेटर बनाना चाहते थे और वह क्रिकेट के लिए प्रोतसाहित करते थे.
3 नवंबर 2011 को अश्विन ने अपनी बचपन की दोस्त प्रीति नारायण (Prithi Narayan) से शादी की. अश्विन की दो बेटियां हैं, जिनका नाम अखिरा और आध्या है. रविचंद्रन अश्विन को शुरू से ही क्रिकेट खेलने का शौका था. 11 साल की उम्र से ही अश्विन ने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. हालांकि, शुरू में रविचंद्रन अश्विन ने एक बल्लेबाज रूप में क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी, लेकिन बाद में वह स्पिन गेंदबाजी करने लगे और उन्होंने स्पिन गेंदबाजी में महारत हासिल की. उनके स्कूल में एक क्रिकेट एकेडमी थी, जहां उनके कोच सीके विजय और चंद्रा ने उनके गेंदबाजी में बड़ी भूमिका निभाई और यहां उन्होंने अपनी गेंदबाजी शैली को मध्यम गति से ऑफ स्पिन में बदल दिया. लेकिन 14 साल की उम्र में अश्विन का एक जबरदस्त एक्सीडेंट हो गया था, जिसके कारण उन्हें कुछ महीनों तक क्रिकेट से दूर रहना पड़ा था. हालांकि, उन्होंने एक बार फिर से क्रिकेट में वापसी की और क्रिकेट जगत में अपनी अलग पहचान बनाई.
रविचंद्रन अश्विन की लगातार कड़ी मेहनत के बाद उन्हें घरेलू क्रिकेट में खेलने का मौका मिला. 2006 में उन्होंने तमिलनाडु क्रिकेट टीम की तरफ से फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू किया था. 9 दिसंबर 2006 को अश्विन ने हरियाणा के खिलाफ अपना पहला मैच खेला और शानदार प्रदर्शन किया. इसके बाद फरवरी 2007 में उन्होंने आंध्र प्रदेश के खिलाफ उन्होंने लिस्ट ए क्रिकेट में अपना डेब्यू किया. अश्विन शुरुआत में एक सलामी बल्लेबाज थे. वह भारत की अंडर-17 टीम के लिए ओपनिंग बल्लेबाजी करते थे, लेकिन खराब फॉर्म की वजह से उन्हें रोहित शर्मा से रिप्लेस कर दिया गया. बाद में अश्विन तमिलनाडु क्रिकेट टीम और साउथ जोन के लिए एक विशेषज्ञ गेंदबाज के रूप में खेला. बता दें कि अश्विन ने 150 फर्स्ट क्लास मैच खेले और 731 विकेट झटके और लिस्ट ए मैचों की बात करें तो उन्होंने 176 मैचों में 236 विकेट लिए है.
घरेलू क्रिकेट में लगातार शानदार प्रदर्शन के बाद रविचंद्रन अश्विन को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में खेलने का मौका मिला. 2009 में अश्विन ने चेन्नई सुपर किंग्स के साथ अपने आईपीएल करियर की शुरुआत की. एमएस धोनी के नेतृत्व वाली चेन्नई टीम के साथ उन्होंने 2010 और 2011 में लगातार दो आईपीएल खिताब जीते, जिसमें उन्होंने क्रमशः 13 और 20 विकेट लिए थे. अश्विन सीएसके के प्रमुख खिलाड़ी बन गए. लेकिन 2016 में चेन्नई सुपर किंग्स पर लगे प्रतिबंध के कारण से उन्हें राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स टीम से खेलना पड़ा. 2016 आईपीएल सीजन में अश्विन पुणे से खेले जबकि स्पोर्ट्स हर्निया के कारण 2017 का संस्करण नहीं खेल सके.
2018 की आईपीएल नीलामी में अश्विन को किंग्स XI पंजाब ने 7.6 करोड़ रुपये की रकम देकर अपनी टीम शामिल किया और उन्हें कप्तान भी नियुक्त किया. उस सीजन अश्विन ने 14 मैचों में 10 विकेट लिए. अश्विन आईपीएल 2021 में दिल्ली की टीम के लिए खेले थे. हालांकि, 2022 आईपीएल के मेगा ऑक्शन में अश्विन को राजस्थान रॉयल्स ने 5 करोड़ रुपये में खरीदा. 2023 आईपीएल में अश्विन ने शानदार प्रदर्शन किया और 13 मैचों में 14 विकेट लिए. 2010 के आईपीएल में रविचंद्रन अश्विन के शानदार प्रदर्शन ने उन्हें भारतीय टीम में जगह दिलाई. अश्विन ने 5 जून 2010 को श्रीलंका के खिलाफ अपना वनडे डेब्यू किया था. इस मैच में उन्होंने 32 गेंदों में 38 रन बनाए और 50 रन देकर दो विकेट भी चटकाए. फिर अश्विन को अक्टूबर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज में खेलने का मौका मिला, जहां उन्होंने 9 ओवर में महज 34 रन देकर एक सफलता हासिल की. हालांकि, जल्द ही अश्विन की 62.00 के औसत से गेंदबाजी के कारण उनके प्रदर्शन पर सवाल उठने लगे. लेकिन 2013 में इंग्लैंड में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में अश्विन ने चार ओवरों में केवल 15 रन देकर 2 विकेट लेकर खुद को साबित किया. तब से, अश्विन भारतीय वनडे टीम के नियमित सदस्य रहे हैं. अश्विन 2011 आईसीसी विश्व कप के लिए 15 सदस्यीय भारतीय टीम का भी हिस्सा थे. हालांकि, अश्विन ने विश्व कप में केवल दो मैच खेले और उन्होंने अपनी छाप छोड़ी.
टेस्ट क्रिकेट–अश्विन ने अपने टेस्ट क्रिकेट करियर की शुरुआत 6 नवंबर 2011 को दिल्ली में वेस्टइंडीज के खिलाफ की थी. अपने पहले टेस्ट मैच में अश्विन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 9 विकेट (पहली पारी में 3/81 और दूसरी में 6/47) झटके और ‘मैन ऑफ द मैच’ का खिताब भी जीता. इसी के साथ अश्विन टेस्ट डेब्यू पर MoM अवार्ड जीतने वाले तीसरे भारतीय खिलाड़ी बने. इसी सीरीज में अश्विन शतक लगाने के साथ ही एक ही मैच में पांच विकेट लेने वाले तीसरे भारतीय बन गए. इस तरह अश्विन को उनके ऑलराउंडर प्रदर्शन के लिए ‘मैन ऑफ द सीरीज’ अवार्ड से नवाजा गया. 2012 के अंत में अश्विन इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज 50 विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज बने. बाद में, अश्विन टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज 100, 200, 300, 400 और 500 विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज बन गए. रविचंद्रन अश्विन ने 12 जून 2010 को हरारे में जिम्बाब्वे के खिलाफ अपना टी20 डेब्यू किया था. उस मैच में उन्होंने चार ओवरों में 22 रन देकर एक विकेट लिया था. उनके इस प्रदर्शन ने अश्विन को न्यूजीलैंड और मेजबान श्रीलंका के खिलाफ त्रिकोणीय श्रृंखला के लिए चुना गया. हालांकि, अश्विन को खेलने का मौका नहीं मिला, क्योंकि प्रज्ञान ओझा और रवींद्र जडेजा को उनसे ज्यादा तहजीब दी गई. 2014 के एशिया कप और 2014 आईसीसी वर्ल्ड टी-20 के लिए भारतीय टीम में अश्विन को फिर जगह मिल गई. अश्विन ने इन टूर्नामेंटों में भारत की सफलता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.